बिजली महादेव रोपवे विवाद में कुल्लू MLA का बयान:बोले-विरोधी जंतर-मंतर जाएं, केंद्र की परियोजना; पीएम और गडकरी का करें विरोध

कुल्लू में बिजली महादेव रोपवे परियोजना को लेकर विरोध का माहौल तेज हो गया है। कुल्लू विधायक सुंदर ठाकुर ने विरोधियों को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की सलाह दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह परियोजना केंद्र सरकार की भारतमाला परियोजना का हिस्सा है। इसमें हिमाचल सरकार का कोई पैसा नहीं लगा है। विधायक ने सोमवार को कुछ स्थानीय नेताओं पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ये नेता पहले इसे मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट बताते थे। अब वही लोग विरोध कर रहे हैं। विधायक ने 2018 का जिक्र किया। उस समय भाजपा समर्थित प्रधान सुभाष और बीडीसी हेमराज शर्मा ने रोपवे के लिए पंचायत से एनओसी दिलवाई थी। पूर्व सांसद पर लगाए आरोप ठाकुर ने कहा कि अब यही लोग गांव-गांव जाकर विरोध के लिए लोगों को भड़का रहे हैं। उनके अनुसार, अगर पंचायत ने एनओसी नहीं दी होती तो रोपवे का निर्माण संभव नहीं था। विधायक ने पूर्व सांसद महेश्वर सिंह पर भी आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मिशन रिपीट के दौरान महेश्वर सिंह ने रोपवे का पोस्टर छपवाया था। वे भूमिपूजन में भी शामिल हुए। वहां प्रसाद भी ग्रहण किया और तस्वीरें भी खिंचवाईं। लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि वे विरोध करने गए थे। मोदी और गडकरी का करें विरोध ठाकुर ने कहा कि चुनाव के समय तो वे बिजली महादेव रोपवे का श्रेय ले रहे थे और अब कह रहे हैं कि वह विरोध में खड़े हैं। उन्होंने उन्हें सलाह दी कि अब उन्हें जंतर-मंतर जाकर मोदी और गडकरी का विरोध करना चाहिए। पूर्व चेयरमैन पर बागी होने का आरोप इसके बाद उन्होंने पूर्व एचपीएमसी (हिमाचल प्रदेश बागवानी उपज विपणन एवं प्रसंस्करण निगम) के पूर्व चेयरमैन राम सिंह को भी घेरा। उन्होंने कहा कि एक समय वे बिजली महादेव में मोदी के साथ के फोटो सोशल मीडिया में डलवाते नहीं थकते थे। आज जब वह भाजपा से बागी हो गए और अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए रोपवे के विरोध में खड़े हो गए हैं। ठाकुर ने कहा कि ये वही “दोगले लोग” हैं, जब 2018 में भाजपा सरकार के समय NOC नहीं मिली होती, तो आज रोपवे बनता ही नहीं। पेड़ों की कटाई पर भी सवाल
विधायक ने कहा कि आज ये नेता 67 पेड़ों को काटने पर पर्यावरण का रोना रो रहे हैं, जबकि उनकी सरकार में एडी हाइड्रो प्रोजेक्ट ने ट्रांसमिशन लाइन के लिए 1300 से अधिक पेड़ काटे थे, तब ये नेता कहां थे, तब विरोध क्यों नहीं हुआ। उन्होंने तर्क दिया कि ट्रांसमिशन लाइन दूसरी जगह से भी जा सकती थी, जहाँ इतने पेड़ों की बलि नहीं चढ़नी थी। भाजपा नेताओं को घेरा उन्होंने ‘देववाणी’ के मुद्दे पर भी भाजपा नेताओं को घेरा। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के समय देवता ने बिजली महादेव रोपवे को इनकार नहीं किया, जब ये रोपवे का श्रेय ले रहे थे। और अब कह रहे हैं कि देवता इनकार कर रहे है। विधायक ने स्पष्ट किया कि रोपवे में बिजली महादेव की एक इंच भी जमीन नहीं लग रही है और हमने 900 मीटर लंबाई घटाई है, जबकि उस समय काफी आगे तक रोपवे का सर्वे था। उन्होंने कहा कि ऐसे “दोगले लोगों” का पर्दाफाश जरूरी था और जनता को इनकी असलियत पता लगनी चाहिए।

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