औरंगाबाद में भारतमाला परियोजना के तहत कराए जा रहे वाराणसी से कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे निर्माण कार्य में बिना मुआवजा राशि का भुगतान किए ही किसानों के जमीन अधिग्रहीत करने की कोशिश की जा रही है। प्रशासन की ओर से चिह्नित की गई भूमि में धान रोपनी न करने की अपील की गई थी। कुछ जगहों पर किसानों ने खेत में जबरन फसल लगा दिया। वहीं कुछ जगहों पर खेत खाली है, लेकिन किसान बिना मुआवजा राशि भुगतान किए ही जमीन पर कार्य होने नहीं देना चाहते हैं। इसे लेकर कई बार किसानों ने विरोध किया, लेकिन प्रशासन के आगे उनकी एक न चली। जब कोई नेता, अधिकारी या पार्टी किसानों के साथ नहीं खड़ी हुई तो अब किसान भगवान को अपना सहारा मान रहे हैं। कुटुम्बा अंचल के अंचलाधिकारी चंद्रप्रकाश मंगलवार को अंबा थाना की पुलिस के साथ पीएनसी कंपनी को सहयोग देने सोनबरसा गांव पहुंचे। कंपनी की मशीनें खेत में उतरते ही गांव के लोग इकट्ठा हो गए। सभी ने विरोध शुरू कर दिया। सीओ चंद्रप्रकाश ने पुलिस बल के सहारे विरोध को दबाने की कोशिश की, लेकिन खेतों में हाल ही में हुई भारी बारिश के कारण मशीनें कीचड़ में फंस गईं। काफी कोशिश के बाद भी मशीनें आगे नहीं बढ़ सकीं। सरकार पहले दखल कब्जा का कागज लेकर आए, तभी हम जमीन छोड़ेंगे मौके पर मौजूद किसान नरेंद्र राय ने कहा कि जब हम अपनी जमीन किसी को बेचते हैं तो सरकार दखल खारिज कर देती है। फिर खरीदार के नाम दखल कब्जा का प्रमाण बनता है। लेकिन यहां सरकार ने न तो हमें जमीन का पैसा दिया है, न ही दखल खारिज किया है। सरकार पहले दखल कब्जा का कागज लेकर आए, तभी हम जमीन छोड़ेंगे। पप्पू तिवारी ने कहा कि बिना मुआवजा दिए अधिकारी गांवों में खेती न करने का नोटिस चिपका रहे हैं। यह संवेदनहीनता है। पैसा भी नहीं मिला और किसान खेती भी न करे, तो खाएगा क्या? उन्होंने सभी किसानों से अपील की कि वे अपनी जमीन पर खेती करें और सरकार से कानूनी लड़ाई के लिए तैयार रहें। इस मौके पर शंभूनाथ तिवारी, रमाकांत तिवारी, धीरेंद्र तिवारी, अभिषेक राय, बबलू तिवारी समेत दर्जनों किसान मौजूद थे।