बिहार चुनाव- JDU की पहली लिस्ट, 57 कैंडिडेट्स के नाम:4 विधायकों के टिकट काटे, 23 नए चेहरे, मुस्लिम एक भी नहीं, 3 बाहुबली मैदान में

बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए JDU ने बुधवार को अपने 57 कैंडिडेट्स की पहली लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में JDU ने 3 बाहुबलियों को टिकट दिया है। मोकामा से अनंत सिंह, एकमा से धुमल सिंह, कुचाएकोट से अमरेंद्र पांडेय को उतरा है। लिस्ट में एक भी मुस्लिम नाम नहीं है। 10 अनुसूचित जातियों के कैंडिडेट्स को उतारा है। लिस्ट में 6 मंत्री भी हैं। 4 महिलाओं को भी टिकट मिला है। इसके अलावा चिराग के दावे वाली 5 सीटों सोनबरसा, अलौली, राजगीर, एकमा और मोरबा पर भी JDU ने कैंडिडेट उतारे हैं। पहली लिस्ट में 18 विधायकों को रिपीट किया गया है। 2 विधायकों का टिकट कटा है। सकरा से आदित्य कुमार और बरबीघा से सुदर्शन कुमार। नीतीश कुमार ने सम्राट चौधरी के लिए अपनी सिटिंग सीट छोड़ दी है। पिछली बार तारापुर जेडीयू के खाते में थी। इस बार यहां से बीजेपी कोटे से डिप्टी CM सम्राट चौधरी लड़ेंगे। वहीं परबत्ता सीट भी JDU ने गठबंधन के लिए छोड़ी है। 2020 में परबत्ता जदयू के खाते में थी। 2020 में सबसे कम 12 वोटों से चुनाव जीते कृष्ण मुरारी शरण ऊर्फ प्रेम मुखिया को फिर से हिलसा से टिकट दिया गया है। 2025 के विधानसभा चुनाव में JDU 101 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। राज्य पहले फेज के लिए 6 नवंबर को 121 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। 14 नवंबर को नतीजे आएंगे। JDU की 57 कैंडिडेट्स की पूरी लिस्ट… मंत्री विजय चौधरी के बेटे की जगह फिर उन्हें उतारा सरायरंजन से विजय कुमार चौधरी के बेटे के चुनाव लड़ने की सूचना थी, लेकिन पार्टी ने फिर से मंत्री विजय चौधरी को ही उतारा है। मंत्री महेश्वर हजारी के टिकट कटने की चर्चा चल रही थी, लेकिन पार्टी ने फिर से भरोसा जताया है। कल्याणपुर से टिकट दिया है। पार्टी ने मंत्री श्रवण कुमार को नालंदा, मदन सहनी को बहादुरपुर, महेश्वर हजारी को कल्याणपुर और सुनील कुमार को भोरे, सोनबरसा से रत्नेश सदा को मैदान में उतारा है। अनंत सिंह समेत 3 बाहुबलियों को टिकट दिया गया है JDU ने 18 विधायकों को रिपीट किया है पहली लिस्ट में JDU ने 4 महिलाओं को टिकट दिया है JDU ने 4 विधायकों का टिकट काटा है 2020 के चुनाव में JDU 43 सीटें जीतकर RJD और BJP के बाद तीसरे नंबर पर रही थी नीतीश के नेतृत्व में NDA लड़ेगा चुनाव 2025 के चुनाव में NDA का साफ कहना है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व और चेहरे पर ही विधानसभा का चुनाव लड़ा जाएगा। शुरुआत में NDA में नीतीश को लेकर थोड़ी असमंजस की स्थिति थी, लेकिन अब फिर बीजेपी के बड़े नेताओं ने नीतीश के चेहरे पर मुहर लगा दी। जेडीयू भी नीतीश को ही CM चेहरा मान रही है और उनका नारा है- ‘2025 से 2030, फिर से नीतीश।’ इसके अलावा चिराग पासवान की पार्टी LJP(R) और HAM पार्टी के सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने भी नीतीश के चेहरे पर चुनाव लड़ने की सहमति जताई है। 2020 चुनाव के 5 बड़े फैक्ट्स… 1). मोदी सरकार में पहली बार JDU-BJP साथ चुनाव लड़ी: मोदी सरकार बनने के बाद पहली बार 2020 में JDU-BJP एकसाथ चुनाव लड़ी। इससे पहले 2015 के चुनाव में JDU महागठबंधन का हिस्सा थी, लेकिन 2017 में JDU ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया और NDA गठबंधन में शामिल हुई। 2). पहली बार माले को 29 सीटें मिलीं: 2020 के महागठबंधन में RJD, कांग्रेस, और वाम दल (CPI, CPM, CPI(ML)) शामिल थे। ये पहली बार था जब वाम दलों को महागठबंधन में इतनी बड़ी हिस्सेदारी (29 सीटें) मिली। 3). तेजस्वी का नेतृत्व: RJD के तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। तेजस्वी ने 10 लाख सरकारी नौकरियों का वादा किया, जो अभियान का मुख्य मुद्दा बना। चुनाव में RJD 2000 विधानसभा चुनाव के बाद 2020 में सबसे बड़ी पार्टी बनी। 4). महागठबंधन में सीट शेयरिंग और विवाद: RJD को 144, कांग्रेस को 70, और वाम दलों को 29 सीटें मिलीं। हालांकि, विकासशील इंसान पार्टी (VIP) और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) ने सीट बंटवारे से नाराज होकर गठबंधन छोड़ दिया। तेजस्वी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान VIP नेता मुकेश सहनी उठ गए और कहा- मेरी पीठ में छुरा मारा गया। मुझे डिप्टी CM का लालच देकर महागठबंधन में शामिल किया गया, लेकिन हमें उचित सम्मान नहीं मिला, इसलिए हम NDA के साथ जाएंगे।” इसके जवाब में तेजस्वी ने कहा, “महागठबंधन में केवल वही रहेंगे जो बिहार के हित में काम करेंगे। जो लोग अवसरवादी हैं, उनके लिए कोई जगह नहीं।” 5). लेफ्ट की पार्टियों का बेहतर प्रदर्शन: CPI(ML) ने 19 में से 12 सीटें जीतकर बेहतर प्रदर्शन किया। यह वाम दलों का बिहार में दशकों बाद सबसे अच्छा प्रदर्शन था। वाम दलों ने भूमिहार और दलित मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत की। कोविड के दौरान चुनावः 2020 का चुनाव कोविड-19 महामारी के दौरान हुआ। महागठबंधन ने प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को जोर-शोर से उठाया, जो लॉकडाउन में बिहार लौटे थे। इस मुद्दे ने ग्रामीण क्षेत्रों में गहरी छाप छोड़ी। बिहार में 6 नवंबर को पहले फेज की वोटिंग

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