पूर्णिया में जन सुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह ने पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर को सीएम फेस बताया है। बुधवार को प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा, ‘बिहार में बदलाव की लहर चल रही है। प्रशांत किशोर की अगुवाई में जनता बदलाव करना चाहती है। गांव-गांव में लोग जन सुराज के साथ जुड़ रहे हैं। आने वाले चुनाव में संभावना साफ दिख रही है।’ जन सुराज राजनीतिक नहीं, राज्य सुधारक पार्टी है। वर्तमान में राजनीतिक दलों ने कुर्सी के लालच में राज्य की हालत बद से बदतर बना दी है। चुनाव के बाद कौन सी पार्टी किस गठबंधन में रहेगी, यह कहना मुश्किल है। सारा खेल कुर्सी का है। प्रशांत किशोर की अगुवाई में हमारे कार्यकर्ता सामाजिक बदलाव कर विकास के लिए लोगों के बीच जा रहे हैं। राज्य सरकार पर साधा निशाना उदय सिंह ने आगे कहा, ‘नीतीश कुमार बीते 20 वर्षों से सत्ता में हैं। इसके बावजूद मजदूरों का पलायन नहीं रुका। गांवों में स्कूल तो बने हैं, लेकिन बच्चों को सही शिक्षा नहीं मिल रही है। नीतीश कुमार लालू राज को जंगल राज कहते हैं, लेकिन मैं कहता हूं कि पिछले 15 वर्षों से बिहार में महाजंगल राज है। 2005 से 2009 तक का कार्यकाल नीतीश कुमार का स्वर्णिम काल था। इसके बाद लगातार गिरावट आई। पुलिस या अधिकारियों की गलती नहीं है। नेता की नीयत ठीक नहीं है। अगर शासन-प्रशासन ईमानदारी से काम करे तो कोई अधिकारी घूस लेने की हिम्मत नहीं करेगा। कभी पूर्णिया को चंबल की घाटी कहा जाता था। एक ईमानदार एसपी ने इसे बदल दिया। अगर नीयत साफ हो तो सब कुछ ठीक हो सकता है। 1977 में गांधी मैदान से जय प्रकाश नारायण ने कहा था सत्ता छोड़ो, जनता आती है। आज वही माहौल बन गया है। बिहार उड़ता पंजाब की राह पर शराबबंदी कानून पर उदय सिंह ने कहा, ‘अगर बिहार में जन सुराज की सरकार बनी तो इसे खत्म किया जाएगा। जेल में बंद निर्दोष लोगों को रिहा किया जाएगा। शराबबंदी सिर्फ कागजों पर है। जमीन पर इसका कोई असर नहीं है। महिलाएं जिन्हें इसका लाभ बताया गया, खुद देख रही हैं कि उनके पति महंगी शराब खरीदकर पी रहे हैं। 100 रुपए की शराब 500 रुपए में खुलेआम बिक रही है। बिहार में शराब की खपत बढ़ी है। शराब महंगी होने से लोग अब स्मैक पीने लगे हैं। पहले उड़ता पंजाब की चर्चा होती थी, अब बिहार भी उसी राह पर है। शराबबंदी कानून से पुलिस और माफिया मालामाल हो रहे हैं। पुलिस कुछ तस्करों को पकड़ती है, लेकिन अधिकतर धंधा मिलीभगत से चल रहा है।