उत्तर बिहार को दक्षिण बिहार से जोड़ने वाला कच्ची दरगाह-राघोपुर-बिदुपुर सिक्स लेन पुल के पहले फेज (कच्ची दरगाह-राघोपुर) का काम पूरा हो गया है। 10 जून से यह जनता के लिए खोल दिया जाएगा। वहीं, दूसरे फेज (राघोपुर-बिदुपुर) का काम भी 80 फीसदी से ज्यादा पूरा हो चुका है। गंगा नदी पर बन रहे इस 9.76 किलोमीटर लंबे एक्स्ट्रा-डोज केबल ब्रिज के चालू होने से दक्षिण बिहार से उत्तर बिहार आने-जाने में करीब 60 किमी की दूरी कम हो जाएगी। साथ ही मगध का एरिया झारखंड, ओडिशा और नेपाल के साथ-साथ पूर्वांचल से सीधे कनेक्ट हो जाएगा। इससे जेपी सेतु, महात्मा गांधी सेतु और राजेंद्र सेतु पर गाड़ियों का दबाव कम होगा। पथ निर्माण विभाग के मुताबिक, कच्ची दरगाह से राघोपुर तक के सिक्स लेन पुल का उद्घाटन 10 जून को होगा। मुख्यमंत्री से समय मांगा गया है। वहीं, सेकेंड फेज के राघोपुर से बिदुपुर का काम सितंबर तक पूरा करने का टारगेट है। हालांकि, अगर गंगा नदी में उफान आ गया तो काम प्रभावित हो सकता है। इससे देरी भी हो सकती है। संडे बिग स्टोरी में जानिए, केबल ब्रिज के चालू होने से क्या फायदा होगा? कितने का पूरा प्रोजेक्ट है? एक्स्ट्रा-डोज केबल ब्रिज क्या हैः एक ऐसा पुल, जिसमें केबल डेक को सीधे टावर से नहीं जोड़ते हैं बल्कि डेक के नीचे केबल को एक पॉइंट से दूसरे पॉइंट तक ले जाते हैं। डेक के ऊपर कम टावर की ऊंचाई होती है। 936 टन भार सहन कर सकेगा ब्रिज में टोटल 67 पिलर हैं। यह पुल बैलेंस कैंटीलीवर तकनीक से बनाया गया है, इसका फायदा ये है कि बेहतर संतुलन के साथ स्ट्रक्चर को मजबूती मिलती है। साथ ही इस तरह के पुल लंबे वक्त तक टिकते हैं। जहां जमीन कम होती है और आसपास समुद्र या नदी होती है, वहां इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। एक्स्ट्रा डोज केबल से लोड को बैलेंस किया गया है। दो पिलर के बीच 150 मीटर का गैप है, जिससे बड़े जहाज भी आराम से गुजर सकते हैं। इसकी ऊंचाई गंगा के जलस्तर से करीब 13 मीटर ऊपर है, जिससे बाढ़ के समय भी आने-जाने में दिक्कत नहीं होगी। पुल का लोड टेस्ट पूरा हो चुका है। प्रत्येक स्पैन (दो पायों के बीच का हिस्सा) 936 टन से अधिक वजन सहन करने में सक्षम है। आठ रैंप और दो फ्लाईओवर भी बनाए गए हैं। यह पुल पटना के सबलपुर के पास NH-30 और वैशाली के चकसिकंदर में NH-103 से जुड़ेगा। बाद में यह आमस-दरभंगा सिक्सलेन सड़क से भी कनेक्ट होगा। पुल पर सोलर सिस्टम से कंट्रोल होने वाली हाई मस्क लाइट लगाई गई है। इसके अलावा पर्यटकों के लिए बालकनी जैसे प्लेटफॉर्म बनाए जाएंगे, जहां से वे गंगा में डॉल्फिन देख सकेंगे। सबलपुर के पास एक हाईवे म्यूजियम भी बनाया जाएगा, जो पीएचईडी और एमटेक के छात्रों के लिए रिसर्च सेंटर होगा। आने-जाने में होगी आसानीः राघोपुर दियारा इलाका चारों तरफ से गंगा नदी से घिरा है। अब तक यहां से बाहर निकलने के लिए केवल नाव या बरसात से पहले पीपा पुल का सहारा था। कच्ची दरगाह और चकसिकंदर में पीपा पुल तो है, लेकिन बरसात के समय पुल हट जाता है और पूरे इलाके का संपर्क राजधानी सहित बाकी जिलों से कट जाता है। पुल बनने से राघोपुर सीधे पटना, हाजीपुर और बिहार के अन्य हिस्सों से जुड़ जाएगा। स्थानीय लोग इसे अपनी ‘लाइफलाइन’ कह रहे हैं। व्यापार को मिलेगा बढ़ावाः पटना के फतुहा और सबलपुर के इंडस्ट्रियल एरिया से अब सामान सीधे उत्तर बिहार, पूर्वांचल और नेपाल भेजा जा सकेगा। पहले लोगों को गांधी सेतु के जाम से जूझना पड़ता था, अब वैकल्पिक रास्ता तैयार है। यह पुल आमस-दरभंगा फोरलेन और बख्तियारपुर फोरलेन से भी जुड़ जाएगा, जिससे पूरे राज्य की कनेक्टिविटी मजबूत होगी। पूरा प्रोजेक्ट क्या है: यह देश का सबसे लंबा एक्स्ट्रा-डोज केबल पुल है। इसकी कुल लंबाई 22.76 किलोमीटर है, जिसमें पुल 9.76 किलोमीटर और एप्रोच रोड 13 किलोमीटर है। पुल का शिलान्यास 31 जनवरी 2016 को किया गया था। DPR के मुताबिक, प्रोजेक्ट पर 4,988 करोड़ रुपए खर्च करने का अनुमान है। इसमें 696 करोड़ रुपए जमीन अधिग्रहण के लिए और 4,291 करोड़ रुपए पुल-रोड के निर्माण के लिए तय है। अब तक करीब 4,500 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं। एल एंड टी और कोरियाई कंपनी देबू पुल-सड़क बना रही है। 5 साल लेट है प्रोजेक्टः इस प्रोजेक्ट को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल से बन रहा है। इसे 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन जमीन अधिग्रहण में देरी, कोरोना, बाढ़ और गंगा नदी से गाद हटाने के कारण पुल का काम पूरा होने में लेट हुआ। पटना के कच्ची दरगाह से राघोपुर हिम्मतपुर तक 4.5 किलोमीटर तक का पूरा हिस्सा पूरी तरह बनकर तैयार है। इस हिस्से में 3.5 किलोमीटर का एक्स्ट्रा-डोज केबल ब्रिज और बाकी एप्रोच रोड शामिल है। जबकि, उसके आगे राघोपुर से बिदुपुर तक का काम भी 80% पूरा हो चुका है। फाउंडेशन और सब-स्ट्रक्चर का काम पूरा हो चुका है, जिसमें पिलर, अपर पाइलॉन और एक्स्ट्रा डोज कनेक्शन का काम पूरा हो गया है। प्रोजेक्ट में करीब 7,000 मजदूर, 1,000 इंजीनियर और सुपरवाइजर दिन-रात काम कर रहे हैं। कच्ची दरगाह से राघोपुर हिम्मतपुर के बीच फिनिशिंग का काम 2,000 मजदूर कर रहे हैं। जबकि, राघोपुर से बिदुपुर तक 5,000 मजदूर लगे हैं। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का टारगेट सितंबर 2025 तक है। गंगा नदी पर बन रहे पुल 1. शेरपुर-दिघवारा सिक्स लेन पुल कहां से कहां तक: सारण के दिघवारा से शेरपुर (पटना के पास)। खासियत: यह 6 लेन का केबल ब्रिज है। इसके नीचे जेपी. गंगा पथ का निर्माण भी हो रहा है। यह बिहटा-सरमेरा पथ से जुड़ेगा। शेरपुर-दिघवारा सिक्स लेन गंगा पुल की कुल लंबाई एप्रोच रोड सहित 14.52 किलोमीटर होगी। कितना काम हुआ: निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मई 2025 में इसका निरीक्षण किया था। खर्चा: लगभग 3,064 करोड़ रुपए। फायदा: यह पटना के रिंग रोड का हिस्सा है और छपरा, सीवान, गोपालगंज वाले को खास फायदा होगा। 2. जेपी सेतु के समानांतर सिक्स लेन पुल कहां से कहां तक: पटना से गोविंदचक तक। जे.पी. सेतु (दीघा) के समानांतर। खासियत: 4.5 किलोमीटर लंबा 6 लेन पुल है, जिसे 42 महीने में पूरा करने का लक्ष्य है। खर्चा: लगभग 2,200 करोड़ रुपए। कितना काम हुआ: अभी काम शुरू हुआ है। फायदा: यह पटना में गाड़ियों के दबाव को कम करेगा। दीघा-सोनपुर के बीच कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा। इस पर बड़ी गाड़ियां भी चलेंगी। अभी जेपी सेतु पर केवल छोटी गाड़ियों की अनुमति है। जाम नहीं लगेगा। जेपी सेतु की तरह इसे भी जेपी गंगा पथ, पाटली पथ, अशोक राजपथ आदि मार्ग से जोड़ा जाएगा। 3. महात्मा गांधी सेतु के समानांतर सिक्स लेन पुल कहां से कहां तक: पटना से हाजीपुर। महात्मा गांधी सेतु के बगल में बन रहा। खासियत: यह 5 किलोमीटर लंबा सिक्स लेन पुल है, जिसका निर्माण कार्य जारी है। खर्चा: लगभग 3,000 करोड़ रुपये। कितना काम हुआ: मार्च 2024 तक पूरा होने की संभावना थी, लेकिन लेटेस्ट अपडेट के अनुसार काम चल रहा है। फायदा: यह पटना में गंगा नदी पर गाड़ियों का दबाव कम करेगा। 4. विक्रमशिला सेतु के समानांतर पुल कहां से कहां तक: भागलपुर में विक्रमशिला सेतु के पास। खासियत: यह पुल उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ेगा। कितना काम हुआ: दिसंबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। फायदा: यह भागलपुर और आसपास के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगा। 5. सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल कहां से कहां तक: भागलपुर के सुल्तानगंज और खगड़िया के अगुवानी के बीच। खासियत: 440 मीटर लंबा यह पुल 1,716 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा है। कितना काम हुआ: निर्माण के दौरान कई बार पिलर गिरने की घटनाएं हुई हैं (2022, 2023, और 2024 में), जिसके कारण देरी हुई है। इसे 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है। फायदा: यह भागलपुर और खगड़िया के बीच कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा। 6. मटिहानी-साम्हो के बीच सिक्स लेन पुल कहां से कहां तक: बेगूसराय में मटिहानी-साम्हो। खासियत: यह रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेस-वे का हिस्सा है। कितना काम हुआ: निर्माण प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। फायदा: यह उत्तर बिहार को पूर्वी भारत और नेपाल से जोड़ेगा। 7. बक्सर में अतिरिक्त दो लेन पुल कहां: बक्सर जिले में गंगा नदी पर। खासियत: यह मौजूदा पुल के अतिरिक्त दो लेन का विस्तार है। कितना काम हुआ: निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। फायदा: यह बक्सर और आसपास के क्षेत्रों में यातायात को सुगम बनाएगा। ग्राफिक- सौरभ कुमार ——————— ये भी पढ़ें… पटना से बड़ा होगा बिहटा एयरपोर्ट, PM ने किया शिलान्यास:3 हजार पैसेंजर्स के ठहरने की व्यवस्था, बोइंग जैसे विमान उतरेंगे PM नरेंद्र मोदी ने पटना को गुरुवार को दूसरी बड़ी सौगात दी। पटना एयरपोर्ट के नए टर्मिनल के उद्घाटन के साथ बिहटा में नए सिविल एन्क्लेव एयरपोर्ट का शिलान्यास किया। 1413 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस एयरपोर्ट से देश-विदेश के बड़े विमान उड़ान भर सकेंगे। इससे पटना के मौजूदा एयरपोर्ट पर से यात्री का दबाव कम होगा। पूरी खबर पढ़िए