बृजभूषण बोले, झुकना तो बड़े को ही पड़ेगा:सीएम की तरफ से गया था बुलावा, योगी के लिए क्यों खास हैं पूर्व सांसद?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से 31 महीने बाद हुई मुलाकात के बाद भी कैसरगंज के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के तेवर नरम नहीं हैं। सीएम से मुलाकात के बाद बृजभूषण ने 22 जुलाई को मीडिया में दो टूक कहा- जो बड़ा होता है, झुकना उसे ही पड़ता है। वो सीएम हैं, झुकना उन्हें ही पड़ेगा। सियासी जगत में बृजभूषण शरण सिंह के इस बयान के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर सीएम योगी ने 31 महीने बाद बृजभूषण को बुलावा क्यों भेजा? या बृजभूषण के शब्दों में कहें तो झुकना क्यों पड़ा? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… बृजभूषण शरण सिंह ने 21 जुलाई को मीडिया से बातचीत में कहा कि 29 दिसंबर, 2022 को मैं सीएम के यहां गया था। गोंडा के नंदनी नगर में उनका कार्यक्रम मांगा था। कुछ ऐसी परिस्थिति हुई कि 6 जनवरी, 2023 को एक अधिकारी से सूचना मिली कि सीएम योगी नहीं आ पाएंगे। इससे मुझे थोड़ा अच्छा नहीं लगा। मैंने कहा कि अब जब तक वह खुद नहीं बुलाएंगे, तब तक उनसे मिलने नहीं जाएंगे। बृजभूषण सिंह ने कहा कि इसके बाद मेरी सीएम से बात नहीं हुई। बात करने की कोशिश भी नहीं की। अगर कोशिश करते तो बात हो जाती। इंतजार था कि जब सीएम बुलाएंगे, तब ही जाएंगे। मुलाकात के संकेत मिलने लगे थे
बृजभूषण का कहना है कि बीते 4-6 महीने से जब सांसद बेटे करण भूषण सिंह और विधायक बेटे प्रतीक भूषण सिंह सीएम से मिलने जाते थे, तो सीएम मेरा भी हालचाल पूछते थे। इससे लगता था कि वह मिलना चाहते हैं। लेकिन, वह चाहते हैं कि पहल मेरी तरफ से हो। लेकिन दोनों खारा नमक हैं। उन्होंने कहा कि वो बड़े हैं तो झुकना तो उन्हें ही पड़ेगा। हम तो चौराहे पर खड़े हैं। कबीरा खड़ा बाजार में मांगे सबकी खैर, ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर। हम तो खाली हैं ना। बुलावा आया हम मिलने गए। बृजभूषण सिंह ने कहा कि सीएम योगी से मुलाकात में उनकी सिर्फ घरेलू चर्चा हुई। सिर्फ शिकवा-गिला हुआ, पारिवारिक चर्चा हुई। दो परिवार इकट्‌ठा होते हैं, तो 55 मिनट लगते हैं। कोई द्वेष की घटना नहीं है। मौजी मन है, वह सीएम और हम खाली मंत्री हैं। 31 महीने तक चली सीधी तकरार
योगी आदित्यनाथ और बृजभूषण शरण सिंह के बीच बीते 31 महीनों से सीधी तकरार चल रही थी। बृजभूषण खुलेआम सरकार की नीतियों और कामकाज पर सवाल उठा रहे थे। वहीं, योगी ने बृजभूषण शरण सिंह के साथ मंच साझा करना बंद कर दिया था। एक वरिष्ठ आईएएस बताते हैं कि एक बैठक के दौरान जब बृजभूषण के बेटे प्रतीक ने गोंडा में एक सड़क का प्रस्ताव दिया, तो सीएम योगी ने तपाक से कहा था कि वहां जमीन खरीद ली है क्या? काफी दिनों से अलग-थलग पड़े थे बृजभूषण
जानकार मानते हैं, योगी ने जब से बृजभूषण से नजर फेरी थी, तब से यूपी की राजनीति में बृजभूषण सिंह अलग-थलग पड़ गए थे। हालांकि, इस बीच उन्हें दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का पूरा सहयोग मिल रहा था। लेकिन, यूपी के भाजपा नेताओं, सरकार के मंत्रियों ने उनसे दूरी बना ली थी। इतना ही नहीं, गोंडा, बलरामपुर, बहराइच और श्रावस्ती में जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान सहित अन्य अधिकारी उनकी बातों को उतना महत्व नहीं देते थे। बीते दिनों एक इंटरव्यू में बृजभूषण ने कहा भी था कि 2 साल से उनका समय ठीक नहीं चल रहा है। इस बीच बृजभूषण के बेटे और कैसरगंज के सांसद करण भूषण सिंह सीएम योगी से मिलते रहे। जानकार मानते हैं कि करण ने ही दोनों के बीच दूरी मिटाने का प्रयास भी किया। मुलाकात के मायने…योगी को क्यों हैं बृजभूषण की जरूरत
राजनीति के जानकार मानते हैं, आगामी समय में पंचायत चुनाव होना है। बृजभूषण का अयोध्या और देवीपाटन मंडल में वर्चस्व है। इतना नहीं, प्रदेश के ठाकुर समाज में भी उनकी गहरी पकड़ है। बृजभूषण की नाराजगी का थोड़ा-बहुत नुकसान योगी को भी उठाना पड़ता। पंचायत चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव भी नजदीक आ रहे हैं। योगी को भी लगातार तीसरी बार सीएम की हैट्रिक के लिए बृजभूषण की जरूरत होगी। भाजपा के अंदर चल रही राजनीति में एक खेमा बृजभूषण को योगी के खिलाफ मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहा था। बृजभूषण के विरोध और सरकार विरोधी बयानबाजी से कहीं न कहीं योगी का भी राजनीतिक नुकसान संभव था। बृजभूषण को भी योगी की जरूरत
राजनीति के जानकारों का मानना है, बृजभूषण को भी योगी की जरूरत है। अगर उनकी सीएम योगी से तकरार जारी रहेगी, तो पंचायत चुनाव में वह सरकार और संगठन के कामकाज में उतना दखल नहीं दे पाएंगे। इतना ही नहीं, ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव पूरी तरह सरकार के हाथ होता है। अगर सीएम से ठनी रही तो बृजभूषण समर्थक उम्मीदवारों का जीतना भी मुश्किल हो जाता। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्रनाथ भट्‌ट मानते हैं- बृजभूषण को योगी की जरूरत है, योगी को बृजभूषण की जरूरत नहीं है। वे जब सांसद थे, तो किसी के मोहरे बनकर काम कर रहे थे। यूपी और दिल्ली के बीच सत्ता का शीतयुद्ध थम गया है। इस मुलाकात का कोई फायदा निकलता नहीं है। अगर बृजभूषण को सरकार में कोई पद चाहिए तो सीएम संगठन की सलाह से ही निर्णय लेते हैं। अगर संगठन में पद चाहिए तो वह संगठन का नेतृत्व ही दे सकता है। मुलाकात का मकसद जल्द साफ होगा
वरिष्ठ पत्रकार आनंद राय मानते हैं कि 31 महीने बाद सीएम योगी और बृजभूषण सिंह की मुलाकात का राजनीतिक मकसद जल्द साफ होगा। लंबे अर्से बाद हुई मुलाकात में निश्चित तौर पर दोनों ने गिले-शिकवे दूर कर रिश्ते ठीक करने की शुरुआत की है। उनका मानना है कि 2 राजनेता एक होने का मतलब किसी मुहिम या अभियान की शुरुआत है। इस मुलाकात का असर तो आने वाले दिनों में ही देखने को मिलेगा। ———————— ये खबर भी पढ़ें… 3 साल बाद योगी से मिले बृजभूषण सिंह, 1 घंटे मुलाकात, मुस्कुराते हुए बाहर आए; सियासी सरगर्मी बढ़ी कैसरगंज के पूर्व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने सोमवार को लखनऊ में सीएम योगी से मुलाकात की। बृजभूषण दोपहर में सीएम आवास पहुंचे। दोनों के बीच करीब 1 घंटे तक बातचीत चली। इस मुलाकात के बाद बृजभूषण मुस्कुराते हुए बाहर आए। कहा कि प्रदेश के CM हैं, मुलाकात तो होनी ही चाहिए। पढ़ें पूरी खबर

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