बेअंत हत्याकांड, राजोआणा केस में सुनवाई नहीं हुई:SGPC मेंबर बोले- हमें फैसले की उम्मीद थी, फिर से तारीख मिल रही

पंजाब के पूर्व CM बेअंत सिंह के हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआणा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई नहीं हुई। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में केंद्र से पूछा था कि आपने अब तक उसे फांसी क्यों नहीं दी? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? कम से कम हमने तो फांसी पर रोक नहीं लगाई। इस मामले को लेकर SGPC के मेंबर गुरचरण ग्रेवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछली बार कहा था कि केंद्र फैसला ले वर्ना हम इसकी सुनवाई करेंगे। हमें इसकी बहुत आस थी लेकिन वह केस लिस्ट ही नहीं हुआ। अब इसमें अगली तारीख पड़ेगी। उन्होंने कहा कि सिखों के फैसलों को लेकर तारीख पर तारीख पड़ती है, जिससे हमारे मन पर गहरा असर पड़ता है। हमारी न्यायपालिका से उम्मीद है कि सिखों से जुड़े मामलों को लेकर, खासकर दोगुनी-चौगुनी सजा भुगत चुके बंदी सिखों को लेकर गंभीर हो। दरअसल, राजोआणा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मर्सी पिटीशन पर सुनवाई में देरी को आधार बनाते हुए याचिका दायर की गई है। मर्सी पिटीशन राष्ट्रपति के पास पेंडिंग है। सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि मर्सी पिटीशन में देरी को देखते हुए फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला जाए। राजोआणा को 2007 में फांसी की सजा सुनाई गई थी। जिसके लिए 31 मार्च 2012 की तारीख तय की गई थी। मगर, इससे पहले ही शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने राष्ट्रपति के आगे मर्सी पिटीशन दायर कर दी। यह मर्सी पिटीशन पिछले 13 साल से राष्ट्रपति के पास पेंडिंग हैं। वहीं बलवंत राजोआणा इस वक्त वह पटियाला सेंट्रल जेल में बंद हैं। राजोआणा की फांसी की सजा उम्रकैद में बदलने के ये 2 तर्क सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र ने मांगा था समय
करीब 20 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था- जब इसे गंभीर अपराध की श्रेणी में माना तो फिर अब तक बलवंत सिंह राजोआणा को फांसी क्यों नहीं दी गई?। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। इस पर केंद्र की तरफ से केस की पैरवी कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा था कि इस बारे में जल्द से जल्द जवाब देंगे। इसके बाद मामले की सुनवाई आज यानी 15 अक्टूबर तक के लिए टाल दी गई। कोर्ट ने ये भी कहा था कि केंद्र के कहने पर दोबारा इस मामले को स्थगित नहीं किया जाएगा। बेअंत हत्याकांड का मास्टरमाइंड बलवंत राजोआणा
31 अगस्त 1995 को चंडीगढ़ सेक्रेटेरिएट परिसर में सीएम बेअंत सिंह समेत 16 लोगों को मानव बम से उड़ा दिया गया। जांच में पता चला कि इस धमाके के लिए पाकिस्तान से 14 किलो RDX मंगाया गया था। पूरी प्लानिंग भी पाकिस्तान में हुई। जांच में ये भी सामने आया कि मानव बम दिलावर बना था। वहीं इस धमाके का मास्टरमाइंड बलवंत सिंह राजोआणा और जगतार सिंह हवारा थे। बलवंत राजोआणा को 27 जुलाई, 2007 को CBI की एक विशेष अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। 11 महीने पहले भाई के भोग में शामिल हुआ था
राजोआणा 20 नवंबर, 2024 को 3 घंटे के लिए जेल से बाहर आया था। सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक वह लुधियाना के राजोआणा कलां गांव में मंजी साहिब गुरुद्वारे में अपने भाई कुलवंत सिंह के भोग कार्यक्रम में शामिल हुआ था। इसके बाद कड़ी सुरक्षा में उसे वापस पटियाला की जेल में ले जाया गया। राजोआणा ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से भोग में शामिल होने के लिए पैरोल मांगी थी। इससे पहले जनवरी 2022 में हाईकोर्ट ने उसे पिता की मौत के बाद भोग और अंतिम अरदास में शामिल होने की इजाजत दी थी। ******************
ये खबर भी पढ़ें चिट्ठी लिखी-मौत चाहिए, पहले CM फिर PM की:मुख्यमंत्री के चीथड़े उड़ाने वाले को फांसी की सजा, घरवालों ने पैरवी ही नहीं की; सीएम मर्डर केस 31 अगस्त 1995, वक्त शाम 5 बजकर 5 मिनट। पंजाब सिविल सचिवालय की बिल्डिंग से पगड़ी बांधे 6 फीट के सरदार जी NSG कमांडो के साथ पार्किंग की तरफ बढ़ रहे थे। उन्हें देखते ही गाड़ियों का काफिला पार्किंग में आकर रुका। सरदार दी एक सफेद रंग की एंबेसडर में बैठ गए। मेन गेट पर गाड़ी में बैठे बलवंत ने दिलावर की पीठ थपथपाई और बोला- ‘सफेद एंबेसडर में सरदार जी बैठे हैं। जा दिलावर, कौम के लिए शहादत देने का वक्त आ गया है।’ (पूरी खबर पढ़ें)

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