भगवान को सर्दी से बचाने को गरमाई प्रसाद रात दिन हीटर, गर्म कंबल और रात को रजाइयां ओढ़ाने शुरू

सतीश कपूर | अमृतसर सर्दी और घना कोहरा पड़ने से ठिठुरन बढ़ती जा रही है। वहीं मंदिरों में अब भगवान को सर्दी से बचाने को गरमाई प्रसाद रात दिन हीटर, गर्म कंबल और रात को रजाइयां ओढ़ाने शुरू कर दी है। मंदिर कमेटी पुजारी का मानना है कि अगर मनुष्य को ठंड और गर्मी लगती है तो भगवान को भी यह ठंड और गर्मी लगती है। इसलिए भगवान को सर्दी से बचने के लिए बादाम, अखरोट, अंजीर, देसी घी, केसर, जायफल जावित्री समेत अन्य गरमाई चींजे डालकर प्रसाद तैयार किया जाता है। गरमाई का भोग देवी देवताओं को सुबह भोग आरती के बाद लगाया जाता है । दुर्ग्याणा मंदिर की बात करें तो पुजारियों की ओर से भगवान को भोग लगाने को गरमाई प्रसाद तैयार कर दिया है। गरमाई प्रसाद में यह सबकुछ : वैसे तो भगवान को गरमाई प्रसाद संक्रांति के दिन से लगाया जाता है। इस बार ज्यादा सर्दी दिसंबर से शुरू हुई है इसीलिए गरमाई प्रसाद शनिवार शाम को बनाना शुरू किया। इस प्रसाद में बादाम गिरी, अखरोट, जयफल, जावित्री, सोठ, छोटी बड़ी इलाची, समुद्री झाग, केसर, बादाम रोगन, देसी घी, अंजीर, किशमिश, छुहारे, तुलसी, चारों मगज, चारों गोंद, सोना चांदी भस्म समेत कई तरह का ड्राईफ्रूट डालकर तैयार किया जाता है और यह अगले महीने संक्रांति तक चलेगा। इस प्रसाद को ज्यादा खाना नुकसानदेह : इस प्रसाद में काफी गर्म चींजे डाली जाती है। इसे अगर कोई इंसान ज्यादा मात्रा में खा ले तो उसके नाक और मुंह से खून निकलना शुरू हो जाएगा।

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