भोजपुरी के चर्चित गायक रितेश पांडेय अब राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने वाले हैं। उन्होंने हाल ही में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ज्वाइन की है। रितेश पाण्डेय भोजपुरी के फेमस सिंगर हैं, वो यूपी के वाराणसी के रहने वाले हैं। “हैलो कौन” और “गोरी तोरी चुनरी बा लाल रे”जैसे गानों से काफी हिट हुए हैं। भोजपुरी सिनेमा में सफल होने के बाद अब पॉलिटिकल करियर पर रितेश फोकस कर रहे हैं। पटना में रितेश पाण्डेय ने दैनिक भास्कर के साथ खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि पार्टी जहां से टिकट देगी वहां से चुनाव लड़ेंगे। साथ ही नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए अभी के बिहार में जंगलराज होने की बात कही, मनीष कश्यप को गुरु मानने की बात को नकारा। पढ़िए ये रिपोर्ट। सवाल: गायकी से राजनीति! क्या आप भी यूपी में चल रहे ट्रेंड जो मनोज तिवारी, रवि किशन कर रहे हैं उसको फॉलो कर रहे हैं? जवाब: ट्रेंड को फॉलो कर रहे हैं यह तो नहीं कह सकते, लेकिन बहुत सालों से हम जन सेवा करते आ रहे हैं। हां राजनीति में उसे समय नहीं थे, लेकिन मन में जन सेवा का भाव है। लोगों की सेवा करना चाहते हैं इसलिए जन सुराज के साथ जुड़े। जन सुराज के पास एक क्लियर विजन है। बिहार जिस बदहाली में है उस बदहाली और बेरोजगारी से निकलने का रोड मैप प्रशांत किशोर के पास है। वह जो कहते हैं वह दिल और दिमाग दोनों को यकीन होता है। इनके पास कोई भी कार्य को करने का तरीका है। सवाल: राजनीति से जुड़ने का ख्याल कब और क्यों आया? जवाब: आज से 35 साल पहले बिहार शिक्षा में सबसे नीचे था, आज 35 साल बाद भी सबसे नीचे है। आज से पहले भी लोग कोलकाता और मद्रास कमाने जाते थे, आज भी जाते हैं। लोगों को फरीदाबाद, दिल्ली, मुंबई, सूरत कमाने जाना पड़ रहा। इस बदहाली से निकलने की प्रशांत किशोर बात कर रहे हैं। यहां से जो पलायन हो रहा है, उसको रोकने की पीके बात कर रहे हैं। इन सभी बातों से प्रभावित होकर मैं राजनीति और जन सुराज में आया हूं। सवाल: बिहार की राजनीति में आपने नीतीश कुमार और लालू यादव दोनों को देखा है, तो दोनों में अंतर क्या देखते हैं? जवाब: लालू यादव का जब शासन चल रहा था, तब हम लोग बहुत छोटे थे। अपने पिताजी के मुंह से सुना है कि जंगल राज था, रात में कोई निकलता नहीं था, कभी भी छीना झपटी हो जाती थी। अब वही चीज देख रहे हैं। कोई हॉस्पिटल में घुसकर मार दे रहा तो कोई व्यापारी अपने घर जा रहा है, तो उसको मार दे रहा है। पहले सुना था और अब देख रहे हैं यही अंतर है। सवाल: अभी हाल ही में आप भाजपा कार्यालय गए थे तो क्या वहां बात नहीं बनी? जवाब: हमारा जन सेवा का भाव था, लेकिन जब हम कोई एक शर्ट खरीदते हैं तो कम से कम तीन-चार दुकान देखते हैं। हम मिल जुलकर जन सेवा करें इसलिए हम घूम रहे थे और देख रहे थे। यह लोकतंत्र है और अभिव्यक्ति की आजादी है इसमें क्या बुराई है। सवाल: क्या मनीष कश्यप को आप अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं क्योंकि भाजपा भी गए थे और जब वह जन सुराज आए तो आप भी यहां आ गए? जवाब: मैं उनके साथ वहां भी नहीं गया था और उनके साथ यहां भी नहीं आया हूं। सवाल: आप चुनाव के समय जन सुराज से जुड़े हैं तो क्या प्रशांत किशोर ने टिकट का वादा किया है? जवाब: हमें फिलहाल कोई दायित्व नहीं मिला है लेकिन जिस प्रकार से पार्टी का आदेश होगा वह काम करेंगे। सवाल: अगर टिकट दिया जाएगा तो किस सीट से चुनाव लड़ने के दिलचस्पी रखेंगे? जवाब: जहां से टिकट मिल जाए क्योंकि हम लोग तो बिहारी है और बिहार में कहीं से भी लड़ लेंगे। पार्टी जहां उम्मीदवार बनाएगी वह भी ठीक है अगर नहीं बनाएगी तो भी ठीक है। करगहर से चुनाव लड़ने की उम्मीद तीन दिन पहले ही रितेश पांडेय ने जन सुराज ज्वाइन किया है। जनसुराज के लोगों का कहना है कि रितेश पाण्डेय इस बार रोहतास के करगहर से चुनाव लड़ सकते हैं। पार्टी उन्हें टिकट भी दे सकती है। रितेश ने अपने स्तर से तैयारियां भी शुरू कर दी है। बिहार में प्रशांत किशोर का जन सुराज परिवार बढ़ रहा है।