मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह में सुनवाई:हाईकोर्ट में हिन्दू पक्ष की 18 याचिकाओं पर जारी है सुनवाई, मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद के मामले में शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में दोपहर दो बजे से सुनवाई होगी। मामले में हिन्दू पक्ष की 18 याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई हाे रही है। इसमें मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग भी शामिल है। सूट नंबर 13 में वादी एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा शाही मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया है। हालांकि मुस्लिम पक्ष द्वारा इस आवेदन पर लिखित आपत्ति दायर की गई है। शुक्रवार को कोर्ट हिंदू पक्ष द्वारा मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने वाली मांग पर अपना आदेश दे सकती है। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की सिंगल बेंच मामले में सुनवाई कर रही है। इससे पहले हुई सुनवाई में क्या हुआ था
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि की सह-मालकिन होने का राधारानी का दावा पौराणिक ग्रंथों में लिखे तथ्यों पर आधारित है। राधारानी श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़ी संपत्ति की सह-स्वामिनी हैं, यह केवल पौराणिक ग्रंथों से साबित नहीं किया जा सकता है। राधा रानी की ओर से ऐसा कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया जिससे यह साबित हो सके कि वह विवादित संपत्ति की सह-स्वामिली थीं या विवादित संपत्ति में उनका कोई मंदिर था। अगर भविष्य में आवेदक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस सबूत पेश करता है कि वह वाद की संपत्ति की सह-स्वामिनी हैं तो उचित समय पर पक्षकार बनाने के बारे में विचार किया जा सकता है। लिहाजा, वर्तमान सिविल वाद में राधारानी को पक्षकार बनाने का दावा सुनवाई योग्य नहीं है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की अदालत ने भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में “श्रीजी राधा रानी” को पक्षकार बनाने की दायर अर्जी खारिज करते हुए ये टिप्पणी की। राधारानी को श्रीकृष्ण की पहली पत्नी बताकर पक्षकार बनने की मांग की गई थी। इस मामले की अगली सुनवाई 4 जुलाई 2025 को होगी। पक्षकार बनाने के लिए यह किया गया था दावा‘श्रीजी राधारानी वृषभानु कुमारी वृंदावनी’ की ओर से अधिवक्ता रीना एन. सिंह ने खुद को राधारानी का भक्त (नेक्स्ट फ्रेंड) बताकर लंबित सिविल वाद नंबर सात में पक्षकार बनने की अर्जी दाखिल की थी। तर्क था कि वह भगवान श्रीकृष्ण लला विराजमान की कानूनी पत्नी हैं। दोनों अनादिकाल से देवता के रूप में पूजे जाते हैं। वह मथुरा की 13.37 एकड़ की उस जमीन की संयुक्त मालकिन हैं, जिस पर मौजूदा समय में शाही ईदगाह मस्जिद बनी है। इस दावे के समर्थन में उन्होंने सनातन धर्मग्रंथों जैसे स्कंद पुराण, श्रीमद्भागवत और ब्रह्मवैवर्त पुराण का हवाला दिया था।

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