महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान जारी है। इन सबके बीच मुकेश सहनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है। बताया जा रहा है कि 8 सीटों को लेकर सहनी अड़े हुए हैं। पहले ये प्रेस कॉन्फ्रेंस 12 बजे बुलाई गई थी। इसके बाद इसका समय बढ़ाकर शाम 4 बजे कर दिया गया। थोड़ी देर में प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू होगी। बताया जा रहा है कि मुकेश सहनी अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में आज बड़ा ऐलान कर सकते हैं। इधर, मुकेश सहनी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए पटना के होटल मौर्या में पहुंचे कार्यकर्ताओं में मारपीट हुई है। मारपीट का वीडियो भी सामने आया है। बताया जाता है कि पीसी से पहले दिल्ली से राहुल गांधी ने सहनी से बात की। उसके बाद पीसी की टाइमिंग को 12 से बढ़ाकर 4 बजे कर दिया गया है। खबर है कि सहनी महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर खुश नहीं हैं। सहनी ने पोस्टर से हटा ली थी महागठबंधन के नेताओं की तस्वीर सूत्रों की मानें तो तेजस्वी यादव ने मुकेश सहनी को दू टूक कह दिया है कि अगर आपको महागठबंधन से चुनाव लड़ना है तो उनकी शर्तों के साथ ही चुनाव लड़ना होगा। इसके बाद मुकेश सहनी ने फेसबुक अकाउंट से एक तस्वीर जारी की थी, जिसमें महागठबंधन का कोई जिक्र नहीं है। इसी तरह का एक पोस्ट सहनी ने तीन दिन पहले जारी किया था, जिसमें लिखा था- ’14 नवंबर को महागठबंधन सरकार आ रही है।’ सहनी ने फेसबुक पोस्ट के बाद शनिवार देर शाम तेजस्वी ने इंडियन इंक्लूसिव पार्टी के मुखिया IP गुप्ता से मुलाकात की। IP गुप्ता ने X पर तेजस्वी के साथ मुलाकात की एक वीडियो शेयर किया है। IP गुप्ता ने लिखा, ‘पहली मुलाकात है, मिला मजबूत साथ है। शाम भी खास है, वक्त भी खास है, मुझको एहसास है। इससे ज्यादा हमें और क्या चाहिए, मैं तेरे पास हूं, तू मेरे पास है।’ हालांकि फेसबुक पोस्ट के 4 घंटे बाद मुकेश सहनी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से एक बयान जारी कर कहा है कि ‘महागठबंधन अटूट है। हम लोग महागठबंधन के साथ हैं।’ अब देखिए पोस्टर… तेजस्वी और IP गुप्ता के 2 मायने निकाले जा रहे हैं 1. सहनी अगर साथ छोड़ते हैं, IP गुप्ता को EBC चेहरे के तौर महागठबंधन में आगे बढ़ाया जा सकता है।
2. IP गुप्ता के नाम पर मुकेश सहनी को हिदायत दी गई है। सहनी की ताकत, सीट भले न जीतें, लेकिन वोट दिला सकते हैं 2014 से 2024 तक 10 साल में मुकेश सहनी ने बिहार में खुद को निषाद कम्युनिटी के नेता के तौर पर स्थापित किया है। बिहार में इस कम्युनिटी की आबादी करीब 2.5% है। सीनियर जर्नलिस्ट अरुण पांडेय बताते हैं, ‘मुकेश सहनी भले सीट न जीतें, लेकिन मुजफ्फरपुर, वैशाली, दरभंगा, मधुबनी, खगड़िया और सहरसा यानी मिथिलांचल-कोसी के इलाके की 25 से 30 सीटों पर हार-जीत का बड़ा फैक्टर हैं। यहां निषादों की अच्छी-खासी आबादी है।’ अरुण पांडेय आगे बताते हैं, ‘मुकेश सहनी लगातार चुनाव हार रहे हैं, लेकिन अपनी जाति में उनकी वैसी ही पैठ है, जैसी कुशवाहा समुदाय में RLSP के लीडर उपेंद्र कुशवाहा की है।’ सहनी की वजह से नुकसान और फायदे का गणित 1. अलग हुए तो महागठबंधन में टूट का मैसेज जाएगा
अरुण पांडेय बताते हैं, ’अगर BJP मुकेश सहनी को तोड़ने में कामयाब रहती है तो इसका फायदा NDA को मिलेगा। NDA चुनाव से पहले मैसेज दे सकेगा कि महागठबंधन में एकजुटता नहीं है। ये बिल्कुल वैसा ही झटका होगा जैसा लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार के INDIA गठबंधन छोड़ने से लगा था। नीतीश कुमार ने INDIA बनाने से लेकर विपक्ष को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई थी।’ 2. अति पिछड़ा वर्ग साथ आया, तो NDA का गढ़ मजबूत होगा
NDA के लिए अति पिछड़ा वर्ग यानी EBC मजबूत वोट बैंक माना जाता है। EBC-OBC, NDA खासकर नीतीश कुमार का कोर वोट बैंक है। सहनी के आने से NDA का वोट बैंक बढ़ेगा। वैसे भी मुकेश सहनी के असर वाला मिथिलांचल और कोसी का इलाका BJP का गढ़ माना जाता है। मुकेश सहनी साथ आते हैं, तो ये गढ़ और मजबूत हो जाएगा। 3. तेजस्वी का EBC समीकरण बिगड़ेगा
2005 के बाद से नीतीश कुमार कोइरी, कुर्मी और EBC समुदाय के सबसे बड़े नेता हैं। इसी सोशल इंजीनियरिंग के दम पर वे 20 साल से लगातार CM हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद से तेजस्वी इस वोट बैंक में सेंधमारी करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने दो प्रयोग किए। पहला: लोकसभा चुनाव में पहली बार RJD और महागठबंधन की तरफ से कुशवाहा समुदाय के 7 कैंडिडेट को टिकट दिया गया।
दूसरा: मुकेश सहनी को अपने साथ जोड़ा। लोकसभा चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव ने 250 से ज्यादा सभाएं कीं। सभी में सिर्फ मुकेश सहनी उनके साथ रहे। इस दौरान तेजस्वी और मुकेश सहनी के अलावा महागठबंधन का कोई नेता नहीं रहता था। इससे तेजस्वी ने मैसेज देने की कोशिश की थी कि नीतीश का वोट बैंक अब RJD की तरफ शिफ्ट हो रहा है। मुकेश सहनी का साथ छूटा, तो तेजस्वी यादव की कोशिशों को बड़ा झटका लगेगा। सहनी को महागठबंधन के साथ नुकसान, NDA के साथ फायदा मुकेश सहनी NDA और महागठबंधन दोनों के साथ चुनाव लड़ चुके हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव और 2015 के विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी ने बिना पार्टी के BJP के लिए प्रचार किया था। 2018 में उन्होंने अपनी पार्टी बनाई। 2019 के चुनाव में वे महागठबंधन के साथ थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी 4 सीटों पर लड़ी, लेकिन सभी पर हार गई। 2020 के विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी दोबारा NDA का हिस्सा बने। 11 सीटों पर कैंडिडेट उतारे और 4 सीटें जीतीं। 2024 के लोकसभा चुनाव में वापस वे महागठबंधन के साथ चले गए। पार्टी ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन खाता नहीं खोल पाई