‘मां-बाप साथ सोते हैं, एसिड से बच्चा पैदा होता है’:डिप्टी डायरेक्टर का बयान, 5 लोगों की हत्या की जांच करने पहुंचे थे, जाति पूछकर धमकाया

‘मां-बाप साथ सोते हैं, एसिड गर्भाशय में जाता है तो 9 महीने के बाद बच्चा पैदा होता है।’ ‘कौन जात हो, SC या ST, तुम्हारे ही थाने में तुम्हारे खिलाफ केस करूंगा, देख लेना।’ ये दो बयान है डिप्टी डायरेक्टर रघुवर प्रसाद का, जो पूर्णिया में 5 लोगों की हत्या की जांच करने के मामले में पहुंचे थे। यहां उन्होंने वार्ड सदस्य अखिलेश महलदार को जाति पूछकर धमकाया। वार्ड सदस्य अखिलेश महलदार और डिप्टी डायरेक्टर के बीच बातचीत का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। सचिव और वार्ड सदस्य के बीच बातचीत डिप्टी डायरेक्टर- वोट किस चीज के लिए दिया जाता है।
वार्ड सदस्य- ताकि हम जनता का काम करें। डिप्टी डायरेक्टर- मैंने आपको वोट दिया कि मेरी रक्षा कीजिएगा। आपने वार्ड में इन सबका पता क्यों नहीं लगाया।
वार्ड सदस्य- रात का मामला था सर। डिप्टी डायरेक्टर- रात में घटना हुई तो ऐसे होता है क्या। हर एक चीज के पीछे एक इतिहास होता है। तुम्हारा जन्म, हमारा जन्म ऐसे ही थोड़े हो गया। मां-बाप एक जगह सोते हैं तो उसमें एसिड जाता है। तब जाकर 9 महीने के बाद बच्चा पैदा होता है।’
वार्ड सदस्य- सर, पहले कुछ नहीं था। डिप्टी डायरेक्टर- चुप, फालतू बात कर रहा है। तू SC है या ST है। कौन सी जात है तुम्हारी।
वार्ड सदस्य- SC हूं। डिप्टी डायरेक्टर- तो चलो SC-ST केस तुम्हारे ऊपर करवाएंगे। दोनों की बातचीत का ये वीडियो हत्या के एक दिन बाद यानी 8 जुलाई का है। जिस वार्ड सदस्य से बात हो रही है उसका नाम अखिलेश। वो घटना स्थल से 1 किलोमीटर दूर रहता है। उसे घटना की जानकारी नहीं थी। स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारी मामले की जांच करने की बजाय उन्हें धमकी दे रहे हैं। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि अधिकारी ने वार्ड सदस्य को फंसाने की धमकी दी। इस पोल में हिस्सा लेकर अपनी राय जरूर दीजिए… डायरेक्टर बोले- डंडे से हमला करते तो मौतें नहीं होती वायरल वीडियो में डायरेक्टर रघुवर प्रसाद वार्ड सदस्य से कहते हैं, ‘वोट लेकर किनारे हो जाते हो। वोट का वेल्यू नहीं है। जब 5 लोगों की मौत हुई। लाशें जलाई गई तुम क्या कर रहे थे।’ ’10 लोगों को लेकर जुट जाते, डंडे से हमला कर देते तो एक भी मौत नहीं होती। ये सब तुम लोगों ने ही किया है। मैं एक-एक चीज पता कर लूंगा। कैसे मुखिया बनता है। कैसे वार्ड बनता है।’ ‘सब पता कर लूंगा। इस मामले में तुम भी अपराधी हो। तुमने मुखिया को क्यों नहीं बताया कि हत्या होने वाली है। वोट लेने चले आते हो। कोई मर रहा है तो बचाने नहीं आते हो क्या।’ 7 जुलाई को 5 लोगों को जिंदा जलाकर मार दिया था पूर्णिया के टेटगामा गांव में 7 जुलाई को एक ही परिवार के 5 लोगों की लाशें मिलीं। सभी को जिंदा जलाया गया था। परिवार ने बताया कि 6 जुलाई को ये हत्याएं हुईं। इसके बाद शवों को छिपा दिया गया। इस घटना में जिंदा बचे 16 साल के बेटे ने पुलिस को जानकारी दी थी। इसके बाद सोमवार सुबह 5 बजे से पुलिस शवों की तलाश में थी। हत्या के पहले भीड़ को उकसाया गया था पूर्णिया के टेटगामा गांव में 200 लोग रहते हैं। आदिवासियों के गांव में अंधविश्वास में एक ही परिवार के 5 लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई। लोगों की माने तो गांव के मरर (प्रमुख) नकुल उरांव के उकसाने पर भीड़ ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया। उसी के कहने पर गांव के लोगों ने बाबूलाल उरांव और उसके पूरे परिवार की हत्या कर दी। दरगाह गांव के किशुन देव उरांव ने हमें बताया, ‘इस गांव में 2 साल में एक-एक कर 6 लोगों की मौत हो चुकी है। इसी महीने 3 लोगों की मौत हुई, जिसमें रामदेव उरांव के बेटे की मौत हो गई थी, जबकि एक बेटे की तबीयत खराब थी।’ शक था कि सिद्धि के लिए बलि देता है परिवार टेटगामा गांव के पड़ोस में दरगाह गांव है। वारदात की जानकारी के बाद पड़ोस के गांव के लोग यहां पहुंचे थे। हमने गांव के किशुन देव उरांव और मोहनी देवी से बात की थी। उन्होंने बताया था, ‘आदिवासियों के टेटगामा गांव में रहने वाले बाबूलाल उरांव की मां कागतो देवी झाड़फूंक का काम करती थी। उसने पहले अपने बेटे बाबूलाल उरांव, फिर बहू सीता देवी, पोते मंजित उरांव और उसकी पत्नी रनिया देवी को झाड़फूंक का काम सिखाया था। बाबूलाल के परिवार से दूर-दूर के लोग झाड़-फूंक कराने उसके घर पहुंचते थे। टेटगामा गांव के लोगों का मानना था कि बाबूलाल उरांव की मां कागतो डायन है, उसने सिद्धि के लिए पति की बलि दे दी और वो डायन बन चुकी है।’ वहीं, मोहनी देवी के मुताबिक, डायन वाली बात गलत है, कागतो देवी के पति की मौत बीमारी से हुई थी।’ लाठी-डंडे से पीट-पीटकर मार डाला चश्मदीद बेटे ललित उरांव और बेटे सोनू उरांव ने बताया था, ‘6 जुलाई की रात 10-11 बजे के करीब गांव का प्रमुख नकुल उरांव गांव के लोगों के साथ उसके घर आ धमका। नुकुल बीमार भांजा को ठीक करने के लिए पिता बाबू लाल, दादी कातो और उसके परिवार पर दबाव बना रहा था।’ ‘नकुल के बेटे की मौत बीमारी से 5 दिन पहले ही हो गई थी। नकुल और उसके परिवार वालों के साथ ही गांव के लोगों का कहना था झाड़ फूंक और डायन कर मेरे परिवार वालों ने उसे मार दिया है।’ ‘भांजा ठीक नहीं हुआ तो वे सब को मार डालेंगे। इसी के बाद वे घर से जबरन सभी को पंचायत में ले गए। यहां नकुल के इशारे पर गांव वालों ने मिलकर पीट-पीटकर मेरे पिता ओझा बाबू लाल उरांव, मां कागतो देवी, बहू सीता देवी, पोते मंजित उरांव और उसकी पत्नी रनिया देवी की लाठी-डंडे से पीट-पीटकर हत्या कर दी।’ ‘इसके बाद ट्रैक्टर से लाश को गांव से 3 किलोमीटर दूर बिसरिया बहियार ले गया। रात करीब 12 बजे तालाब के जलकुंभी में इन लाशों को रखकर डीजल से पांचों शवों को जला दिया और फिर मौके से भाग निकले।’ ‘ननिहाल पहुंचकर उन्होंने पूरी बात बताई। सुबह 5 बजे पुलिस को घटना की सूचना दी गई। इसके कुछ ही देर बाद मुफस्सिल थाना की पुलिस मौके पर पहुंची। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए गांव और आसपास के इलाके में छापेमारी की गई।’ अफवाह फैली कि रामदेव के बेटे की बलि देने वाले हैं ‘5 दिन पहले ही गांव के रहने वाले रामदेव उरांव के बेटे की अचानक तबीयत बिगड़ी और उसकी मौत हो गई थी। छोटा बेटा भी बीमार था।’ रामदेव के बेटे की मौत के बाद आदिवासी टोले और आसपास के गांव में ये अफवाह फैल गई कि रामदेव के बड़े बेटे के बाद बाबूलाल का परिवार उसके छोटे बेटे की बलि लेना चाहता है।’ ———————– पूर्णिया हत्याकांड से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए… शक था परिवार बलि देता है,इसलिए 5 को जिंदा जलाया:पूर्णिया में हत्याकांड से पहले पंचायत बैठी; भीड़ को उकसाकर हमला करवाया गया बिहार के पूर्णिया में सोमवार को एक ही परिवार के 5 लोगों की लाशें मिलीं। सभी को बुरी तरह से पीटने के बाद डीजल डालकर जिंदा जला दिया गया था। इस हत्याकांड की वजह जानने के लिए भास्कर की टीम पूर्णिया से 20 किलोमीटर दूर टेटगामा गांव पहुंची। हमने गांव वालों से बात कर पूरी कहानी जानी। लोगों से बातचीत कर समझ आया कि 2 साल से गांव में 6 लोगों की मौत हो चुकी थी। गांव वाले इसके लिए बाबूलाल उरांव के परिवार को ही दोषी मानते थे। पुरी खबर पढ़िए

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