सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने सपा अल्पसंख्यक मोर्चा और पसमांदा समाज के साथ बड़ी मीटिंग की। अल्पसंख्यक मोर्चा के साथ उन्होंने 16 जून को बैठक की, जबकि पसमांदा समाज के साथ 17 जून को। इस दौरान मुस्लिम संगठनों ने मदरसों पर बुलडोजर और अलीगढ़ मॉब लिंचिंग का मुद्दा उठाया। अखिलेश ने मुद्दों को ध्यान से सुना, जवाब दिया एक-एक मामला जानकारी में है। ऐसे लोगों पर कार्रवाई के लिए पहले सरकार बनाइए, उसके बाद ऐसा एक्शन होगा, जो नजीर बनेगा। अखिलेश यादव की जानकारी में हर मुद्दा भले हो, लेकिन कई बार वे बोलने से बचते नजर आ रहे हैं। इसकी वजह क्या है? क्या मुस्लिमों के मुद्दे पर खुलकर न बोलना अखिलेश की सॉफ्ट हिंदुत्व की रणनीति का हिस्सा है? या ये डर कि मुस्लिमों के मुद्दे पर बोलेंगे तो भाजपा टारगेट करेगी? इन सभी सवालों के जवाब जानने से पहले हाल के दिनों की उन 5 बड़ी घटनाओं पर नजर डालिए, जिन पर अखिलेश यादव या तो खामोश रहे या विरोध केवल सांकेतिक था। 1- नेपाल बॉर्डर इलाकों में मदरसों पर बुलडोजर एक्शन
नेपाल सीमा से सटे जिलों बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, लखीमपुर खीरी और महराजगंज में बिना मान्यता वाले मदरसों और अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलाया गया। सपा की ओर से कोई कड़ी प्रतिक्रिया नहीं आई। 2- अलीगढ़ में मुस्लिम युवकों की मॉब लिंचिंग
अलीगढ़ में 24 मई को अलहदादपुर क्षेत्र में हुई मॉब लिंचिंग की घटना पर भी सपा प्रमुख ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। हालांकि, उन्होंने रामजीलाल सुमन के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल जरूर भेजा और आर्थिक मदद भी की। लेकिन, बोलने से बचते रहे। इस घटना में 4 मुस्लिम मीट व्यापारियों कदीम, अली, अरबाज और एक अन्य पर गोमांस तस्करी के शक में हमला किया गया था। 3- गाजी मियां के मेले पर रोक
बहराइच में सैयद सालार गाजी (गाजी मियां) की दरगाह पर इस साल मेला नहीं लगा। 500 साल में ऐसा दूसरी बार हुआ। कोरोना काल में सहमति से मेला नहीं लगा था, लेकिन इस बार प्रशासन ने इजाजत नहीं दी। इस मुद्दे पर भी अखिलेश की ओर से कोई बड़ा बयान नहीं आया। 4- प्रोफेसर अली खान की गिरफ्तारी
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया अकाउंट पर कथित कमेंट को लेकर प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी हुई। यह मुद्दा सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा था, जिसकी आलोचना देश की कई हस्तियों तक ने की। वहीं, अखिलेश यादव ने केवल एक शेर लिखकर इसका विरोध किया। अली खान का नाम तक नहीं लिखा। इसे लेकर आल इंडिया मुस्लिम जमात के मौलाना शहाबुद्दीन ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अखिलेश मुस्लिमों के वोट तो चाहते हैं, लेकिन उनके मुद्दों पर बोलने से बचते हैं। 5- मुस्लिम युवकों का एनकाउंटर
मंगेश यादव का एनकाउंटर हो या अनुज प्रताप सिंह का एनकाउंटर अखिलेश मुखर होकर बोलते रहे। वहीं बड़ी संख्या में मुस्लिमों के भी एनकाउंटर हुए, लेकिन अखिलेश यादव खामोश रहे। अखिलेश मुस्लिमों के एनकाउंटर पर बोलने से बचने की कोशिश करते हैं। इस खामोशी की वजह क्या? 1- छवि बदलने की कोशिश कर रहे अखिलेश
वरिष्ठ पत्रकार और मुस्लिम राजनीति को करीब से कवर करने वाले कुबूल कुरैशी कहते हैं- अखिलेश यादव 2017 के बाद से ही अपनी छवि बदलने की कोशिश कर रहे हैं। वे पीडीए के साथ सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति और वे खुद को सभी वर्ग का नेता साबित करना चाहते हैं। 2- भाजपा को मुद्दा नहीं देना चाहते
कुबूल कुरैशी कहते हैं- अखिलेश यादव को लगता है कि मुस्लिमों के मुद्दों पर आक्रामक होंगे तो भाजपा इसे कैश कर लेगी। भाजपा पहले से ही उन पर तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप लगाती रही है। ऐसे में वे ऐसा कोई मुद्दा नहीं देना चाहते, जिससे गैर मुस्लिम और गैर यादव वोट उनसे नाराज हो। 3- जिसका मुद्दा उठाया, उसे झेलनी पड़ी परेशानी
कुबूल कहते हैं- अखिलेश यादव इसलिए भी मुस्लिमों से जुड़े मुद्दे उठाने से परहेज करते हैं, क्योंकि कई मामलों में उस व्यक्ति का नुकसान हुआ, जिसका मुद्दा उन्होंने उठाया। जैसे इरफान सोलंकी के खिलाफ कार्रवाई हुई, तो अखिलेश यादव उनसे मिलने चले गए। उसके बाद न सिर्फ सोलंकी को दूर की जेल में शिफ्ट कर दिया गया, बल्कि उनके खिलाफ कई नए मुकदमे भी दर्ज कर लिए गए। 4- वोटबैंक छिटकने का डर
कुबूल कहते हैं कि कुछ मुद्दे ऐसे होते हैं, जिनके उठाने से दूसरा वोट बैंक नाराज हो सकता है। उदाहरण के तौर पर सरकार ने गाजी मियां के मेले पर प्रतिबंध लगाया। अखिलेश यादव चाहते हुए भी इस मुद्दे को नहीं उठा सके। वजह है, राजभर वोट बैंक। गाजी मियां का मेला गाजी सालार की याद में लगाया जाता है। गाजी सालार की जंग महाराजा सुहेलदेव से हुई थी। ऐसे में अगर अखिलेश यादव इस मुद्दे को उठाते, तो उनसे राजभर वोट बैंक नाराज हो जाता। क्योंकि, राजभर समाज सुहेलदेव को अपना मसीहा मानते हैं। ऐसे में वे किसी भी तरफ बोलेंगे, तो उनका एकतरफा वोटबैंक छिटकेगा। 5- मुस्लिमों के पास नहीं है कोई विकल्प
कुबूल कुरैशी बताते हैं- यूपी में मुस्लिम वोट बैंक सपा के अलावा फिलहाल कहीं नहीं जाने वाला। कांग्रेस के साथ उसका गठबंधन है और बसपा की स्थिति पहले से ज्यादा खराब है। ओवैसी को लेकर भाजपा की B-टीम का नरेटिव सेट हो चुका है। ऐसे में मुस्लिमों के मुद्दे पर अखिलेश यादव बोलें या खामोश रहें, इससे फर्क नहीं पड़ता। 6- मुद्दों पर चर्चा से दूर रहना चाहते हैं अखिलेश
अखिलेश यादव मुस्लिम राजनीतिक से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा से दूर रहना चाहते, ताकि कोई ऐसी बहस न शुरू हो जिससे नुकसान हो। जैसे सहारनपुर में कांग्रेस के मुस्लिम चेहरा बन कर उभरे इमरान मसूद और समाजवादी पार्टी के विधायक आशु मलिक के बीच की जंग जगजाहिर है। प्रेस कॉन्फ्रेंस हो या सपा की अंदरूनी बैठक, इस मुद्दे पर वे साफ कहते हैं कि उनकी लड़ाई भाजपा से है। आपस में ही लड़ेंगे, तो सरकार नहीं बना पाएंगे। मौके का फायदा उठाने की कोशिश में कांग्रेस-बसपा
राजनीति के जानकारों का कहना है कि एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी या सपा प्रमुख अखिलेश यादव मुस्लिमों से जुडे़ मुद्दों पर बोलने से बचते हैं। वहीं, कांग्रेस ऐसे मुद्दों पर ज्यादा मुखर होने की कोशिश कर रही है। क्योंकि, कांग्रेस संगठनात्मक रूप से कमजोर है। इसलिए मुस्लिम उस पर भरोसा नहीं कर पा रहा। यही हाल बसपा का भी है। मायावती ने कई ऐसे मुद्दे सोशल मीडिया के जरिए उठाए, लेकिन मुस्लिमों को मायावती पर भी भरोसा नहीं। चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी का भी यही हाल है। वे लगातार मुस्लिमों को अपनी ओर करने की कोशिश कर रहे हैं। कह रहे हैं ‘…मियां कहां सपा के चक्कर में पड़े हो, हमारे साथ आ जाओ।’ पार्टी का दावा- मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं अखिलेश
समाजवादी पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष शकील नदवी कहते हैं- ऐसा नहीं है कि अखिलेश यादव मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों से दूर रहते हैं। वे हर स्तर पर लोगों की मदद करते हैं। संभल का मुद्दा सबसे बड़ा था, जिस पर अखिलेश यादव ने खुल कर बात की और पूरा पक्ष लिया। इसी तरह कुशीनगर में मस्जिद गिराने का मामला रहा हो या मुस्लिमों से जुड़ा कोई और मुद्दा, अखिलेश यादव ने हर मामले में मदद की है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अमीक जामेई कहते हैं- सच है, पिछड़े और मुसलमान सीधे योगी सरकार के निशाने पर हैं। आजम खान साहब को, उनके विश्वविद्यालय को बर्बाद किया गया है। पूरी पार्टी आजम खान साहब के साथ है। चाहे विधायक इरफान सोलंकी या रमाकांत यादव का मामला हो, CAA, बुलडोजर मुद्दा हो अखिलेश यादव बोले हैं। संभल में पीड़ित परिवारों की मदद की है। ———————- ये खबर भी पढ़ें… संभल हिंसा में सपा सांसद समेत 23 के खिलाफ चार्जशीट:बर्क ने कहा था- हमारी कौम हम पर ही थूकेगी, सर्वे नहीं होना चाहिए संभल हिंसा मामले में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बुधवार को पुलिस ने 1100 पन्नों की चार्जशीट चंदौसी MP/MLA कोर्ट में दाखिल की है। पुलिस ने सांसद बर्क और सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल समेत 23 आरोपियों को हिंसा भड़काने का नामजद आरोपी बनाया है। पुलिस ने 700-800 अज्ञात को भी आरोपी बनाया है। पढ़ें पूरी खबर