‘मैंने अपना पति खोया। ससुराल पहुंची तो ननद, सास, देवर ने मेरी गर्दन दबाते हुए मारपीट शुरू कर दी। मेरा सुहाग तक नहीं उतरने दिया और घर से भगा दिया… बेटी को लेकर पिता के घर में रह रही हूं। सरकार ने मुझे नौकरी का आश्वासन दिया था। पर नौकरी ननद को दे दी गई। मेरे ससुर सरकारी पेंशन पाते हैं। ननद कल को शादी के बाद अपने घर चली जाएगी। कल को मेरे पिता नहीं रहे, तो मैं बेटी को लेकर कहां जाऊंगी?’ ये कहते हुए माॅब लिंचिंग के शिकार हरिओम वाल्मीकि की पत्नी संगीता उर्फ रिंकी फफक पड़ती हैं। फिर सवाल करती हैं- सुना है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और प्रदेश अध्यक्ष अजय राय मेरे ससुराल पहुंचे थे। उन्होंने वहां क्यों नहीं पूछा कि हरिओम की पत्नी व बेटी कहां हैं? कोई भी कांग्रेसी मेरी सुध लेने नहीं आया। मुझे योगी बाबा पर भरोसा है कि इस सरकार में मुझे और मेरी बेटी को न्याय मिलेगा। भास्कर टीम फतेहपुर पहुंची और हरिओम की पत्नी से बात की, पूरे परिवार की स्थिति को समझा। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट… फतेहपुर के तुरावली का पुरवा निवासी हरिओम वाल्मीकि (38) की बीते 1 अक्टूबर की देर रात रायबरेली के ऊंचाहार में ग्रामीणों ने चोर समझ कर पीट–पीट कर हत्या कर दी थी। हरिओम वाल्मीकि की ऊंचाहार एनटीपीसी के पास नई बस्ती में आखिरी छोर पर ससुराल है। परिजनों का दावा है कि वारदात के समय वह पैदल फतेहपुर घर से ससुराल ही जा रहा था। तभी ग्रामीणों ने उसे ड्रोन चोर समझ लिया और फिर उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी थी। बाद में उसकी मौत होने पर ग्रामीणों ने शव को नहर पुलिया के पास फेंक दिया था। हरिओम वाल्मीकि की मौत पर सियासत जारी है। रायबरेली सांसद एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी शुक्रवार को परिवार से मिलने फतेहपुर पहुंचे थे। उनके साथ प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, विधायक आराधना मोना मिश्रा, अमेठी सांसद किशोरी लाल शर्मा सहित अन्य नेता थे। परिवार में वे हरिओम के पिता गंगादीन, मां केवला देवी, छोटे भाई शिवम, बहनें कुसुम व सुमन से मिले। राहुल गांधी के आने से पहले ही हरिओम की बहन कुसुम को सरकार ने संविदा पर फतेहपुर मेडिकल कॉलेज में नर्स की नौकरी का नियुक्ति पत्र तक जारी कर दिया। लेकिन, परिवार में हरिओम की पत्नी संगीता उर्फ पिंकी (33) और हरिओम की इकलौती बेटी अनन्या (11) की गैरमौजूदगी सवाल खड़े कर रही थी। हरिओम के पिता सहित अन्य परिवार-वाले पुलिस के कड़े पहरे में बात करने के लिए तैयार ही नहीं हुए। हमने पड़ोसियों से इसके बारे में टटोला। इसके बाद 60 किमी दूर रायबरेली जिले के ऊंचाहार में हरिओम के ससुराल पहुंचे। हरिओम की मौत के बाद जिस तरीके से सियासत हो रही है, कुछ उसी तरह की सियासत परिवार के अंदर भी जारी मिली। हरिओम दिमागी रूप से कमजोर था, फिर कैसे हुई संगीता से शादी
हरिओम के घर वाली गली में हमारी मुलाकात किराने की दुकान चलाने वाले मंगलदीन से हुई। हरिओम को लेकर बताया कि वह दिमागी रूप से कमजोर था। तीन साल तक गायब था। तब किसी ने उसे नागपुर पागलखाने में भर्ती कराया था। वहां उसे सूत कताई का काम मिला था। इसके बदले में उसे 900 रुपए पारिश्रमिक भी मिल रहे थे। पर जैसे ही पिता को पता चला, उसका इलाज अधूरा छुड़वाकर उसे अपने साथ लिवा लाए। वहां डॉक्टरों ने चेताया था कि इलाज पूरा करा लो तो ये ठीक हो जाएगा, लेकिन पिता गंगादीन नहीं सुने। हरिओम वाल्मीकि के घर से दो घर छोड़कर रामरतन मिले। बताया- वह शुरू से दिमागी रूप से ठीक नहीं था। शादी के समय भी उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं थी। गंगादीन की सरकारी नौकरी थी। इसी लालच में लड़की वाले फंस गए। हरिओम वाल्मीकि की मौत से पहले 25 सितंबर को उसकी पत्नी संगीता मिलने आई थी, लेकिन वह घर पर नहीं था। इसके बाद वह लौट गई थी। 1 अक्टूबर को वह सुबह पैदल घर से निकला था। अक्सर वह इसी तरह बिना बताए घर से निकल जाया करता था। दिमागी रूप से कमजोर हरिओम से बेटी की शादी करने वाले ऊंचाहार में नई बस्ती निवासी ससुर छोटेलाल से यही सवाल किया। शादी के वक्त क्या आपको पता नहीं था कि हरिओम दिमागी रूप से कमजोर है, बोले–मेरे समधी नौकरी में थे। हरिओम बहुत सीधा दिखा। किसी ने बताया भी नहीं कि उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं है। मेरी आर्थिक स्थिति भी ऐसी नहीं थी कि बहुत अधिक खोजबीन करता। शादी के बाद पता चला। ससुराल छोड़ मायके में क्यों रहती है पत्नी संगीता इसके दो जवाब मिले। हरिओम के पड़ोसियों का कहना था कि उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं रहने से पत्नी संगीता उसे नापसंद करती थी। वहीं, उसके घरवालों का दावा है कि वह जब भी आती, तो विवाद कर चली जाती थी। पर 12वीं तक पढ़ी–लिखी संगीता से यही सवाल किया तो उसने इसकी अलग ही वजह बताई। बोली कि ये सच है कि मेरे पति की मानसिक हालत ठीक नहीं रहती थी। पर मुझे वे जैसे भी थे, पसंद थे। मेरी शादी 30 अप्रैल 2011 को हुई थी। शादी के बाद 4 साल 2015 तक मैं लगातार मायके में ही रही। मेरी बेटी उसी दौरान हुई। ससुराल में जब तक रही, मेरा जीवन सास व ननदों ने नरक बना दिया था। वे कभी मुझ पर झूठे चोरी के आरोप लगाते तो कभी दोषारोपण करते कि मैंने कुछ पति पर झाड़–फूंक करा दिया है। इसे लेकर अक्सर घर में कलह होती थी। इसी से परेशान होकर मैं बेटी को लेकर मायके में पिता के घर आकर रहने लगी। यहां एनटीपीसी के अंदर संचालित बैंक में मुझे चपरासी की प्राइवेट नौकरी मिल गई। महीने का 6 हजार मिलता है। इसी से अपनी बेटी को पाल रही हूं। मैं बीच–बीच में ससुराल जाती रहती थी। नहीं तो खुद मेरे पति हरिओम आ जाया करते थे। 60 किमी पैदल चलकर ससुराल जाता था हरिओम पत्नी संगीता ने रोते हुए बताया- मेरे ससुर पेंशन पाते हैं। पर एक पैसा मेरे पति को नहीं देते थे। जब भी उन्हें बेटी से मिलने का मन करता था, तो वे 60 किमी पैदल चलकर आ जाते थे। फिर वापसी में मैं उन्हें पैसे देकर गाड़ी में बिठाकर भेजती थी। फोन कर संतुष्टि कर लेती थी कि ठीक से घर पहुंच गए हैं कि नहीं। जबकि इसके उलट मेरे ससुर कभी फोन कर ये नहीं बोलते थे कि हरिओम तुम्हारे पास जा रहा है। मेरे पति के पास फोन भी नहीं था। 1 अक्टूबर को भी वह इसी तरह मुझसे मिलने के लिए पैदल निकले थे। पर बीच में कहां रुक गए पता नहीं। मुझे तो 2 अक्टूबर को थाने से फोन आया। मेरे मोबाइल में एक फोटो भेजकर पहचानने के लिए बोला। देखा तो मैं सन्न रह गई। वो तस्वीर मेरे पति हरिओम की थी, जिसको ग्रामीणों ने पीट–पीट कर बेरहमी से मार डाला था। हरिओम की हत्या के 16 दिन बाद भी तेरहवीं नहीं हरिओम की हत्या 1 अक्टूबर की देर रात हुई थी। 2 अक्टूबर को उसकी पहचान हुई। 3 अक्टूबर को पोस्टमॉर्टम के बाद शव का फतेहपुर में अंतिम संस्कार हुआ। लेकिन 16 दिन गुजर जाने के बावजूद हरिओम की अभी तक तेरहवीं नहीं हुई। इसकी वजह पूछने पर पत्नी संगीता ने बताया कि मैं पोस्टमॉर्टम के बाद पति हरिओम के शव को लेकर पिता व पड़ोसियों के साथ ससुराल पहुंची। वहां मुझे देखते ही मेरे ससुर गंगादीन, सास केवला देवी, देवर शिवम, ननद कुसुम और सुमन लड़ने लगे। ननद कुसुम और देवर शिवम ने मेरा गला दबा दिया। मेरा सुहाग उजड़ा था। हिन्दू धर्म के अनुसार सुहाग उतरना था, लेकिन ये भी नहीं होने दिया। मेरी सास बोली कि तुझे मिट्टी (शव) को हाथ तक नहीं लगाने दूंगी। मैं रोती रही। मेरे पिता सहित पड़ोसियों ने समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे विवाद करते रहे। किसी तरह अंतिम संस्कार तक मैं वहां रुक पाई। इसके बाद मुझे भगा दिया गया कि यहां तुम्हारा कुछ नहीं है। तेरहवीं तो मेरे ससुराल वालों को करना था, क्यों नहीं की, ये वो ही बता सकते हैं? वैसे 13 दिन में तेरहवीं होनी चाहिए थी। पर वे पैसे और नौकरी हथियाने के तिकड़म में जुटे हैं। ननद को संविदा पर नौकरी मिलने पर भाभी संगीता ने उठाया सवाल मॉब लिंचिंग के शिकार हरिओम के परिजनों से राहुल गांधी की मुलाकात से पहले सरकार ने परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का वादा पूरा कर दिया। हरिओम की सबसे छोटी बहन कुसुम को फतेहपुर मेडिकल कॉलेज में संविदा पर नर्स की नौकरी की नियुक्ति पत्र दे दिया गया है। इस पर अब हरिओम की पत्नी संगीता ने सवाल उठाए हैं। संगीता ने कहा कि 11 अक्टूबर को मुझे, मेरी बेटी व पिता को ऊंचाहार के विधायक मनोज पांडे लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलाने पहुंचे थे। वहां योगी बाबा ने मुझे आश्वासन दिया था कि एक मकान और सरकारी नौकरी देंगे। पर पता नहीं कैसे मेरी ननद को ये नौकरी दे दी गई। मेरी ननद तो पहले से प्राइवेट नर्स की जॉब कर रही थी। मेरे ससुर की अच्छी खासी पेंशन है। मुआवजे के तौर पर 6.92–6.92 लाख रुपए हमें और मेरे ससुर को मिले हैं। मेरी बैंक में प्राइवेट नौकरी है। पति को पहले ही छीन लिया गया है। ससुराल वालों ने घर से निकाल दिया है। पिता के घर रह रही हूं। कल को पिता भी नहीं रहे तो कहां जाऊंगी। नौकरी तो नियमानुसार मुझे मिलना चाहिए था। मुझे पेंशन के तौर पर हर महीने 5 हजार रुपए और बेटी के बालिग होने तक हर महीने 2500 रुपए पेंशन देने की बात कही गई है। नौकरी को लेकर मैंने विधायक मनोज पांडे से बात की तो उन्होंने आश्वासन दिया है कि ऐसा कैसे हो गया? मैं खुद सीएम योगी से बात करूंगा। हरिओम के पिता के पास कितनी संपत्ति हरिओम के पिता टीवी अस्पताल से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद से रिटायर हुए हैं। तुरावली के पुरवा में उनके दो मकान हैं। 2 हजार वर्गफीट का एक बड़ा मकान है, लेकिन ये अभी अधूरा बना है। सामने की ओर एक दुकान भी है। इसमें गंगादीन परचून की दुकान चलाते हैं। इसी मकान में उनकी पत्नी, छोटी बेटी कुसुम और हरिओम रहते थे। हरिओम चार–भाई बहनों में सबसे बड़ा था। इसी कॉलोनी में 100 मीटर की दूरी पर गंगादीन ने 1200 वर्गफीट का एक और मकान बनवा रखा है। ये मकान पूरी तरह से फर्निश्ड है। टाइल्स तक लगे हैं। इस मकान को गंगादीन ने छोटे बेटे शिवम को दे रखा है। शिवम के साथ उसकी पत्नी आरती और उनकी दो छोटी बेटियां रहती हैं। गंगादीन ने बड़ा मकान बड़े बेटे हरिओम को देने की बात कही थी। लेकिन उसकी हत्या के बाद गंगादीन ने इस घर में उसकी पत्नी संगीता को किसी भी तरह का हिस्सा देने से मना कर दिया है। ———————- ये खबर भी पढ़ें… यूपी मॉब लिंचिंग; राहुल बोले-दलित परिवार को डराया जा रहा:घर में बंद कर रखा है, मुझसे न मिलने के लिए उन्हें धमकाया गया राहुल गांधी ने रायबरेली मॉब लिंचिंग में मारे गए दलित हरिओम वाल्मीकि के परिवार से शुक्रवार को फतेहपुर में मुलाकात की। उन्होंने 25 मिनट तक माता-पिता, भाई और बहन से बातचीत की। बाहर निकलने पर उन्होंने कहा- परिवार को घर में बंद कर रखा है, इन्हें डराया जा रहा है। पढ़ें पूरी खबर