मोतिहारी में 18 जुलाई को पीएम मोदी की बड़ी रैली:बिहार को मिलेंगी कई सौगातें; डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने स्थल का लिया जायजा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 जुलाई को एक बार फिर बिहार दौरे पर रहेंगे। इस बार उनका दौरा पूर्वी चंपारण के मोतिहारी में होगा जहां वे गांधी मैदान में एक विशाल जनसभा को संबोधित कर जनता से सीधा संवाद करेंगे। इस रैली में वह कई सारे विकास की योजनाओं की घोषणा करेंगे साथ ही आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए प्रचार प्रसार भी करेंगे। पीएम मोदी की यह यात्रा चंपारण की उस धरती पर हो रही है, जिसे गांधीजी के पहले सत्याग्रह आंदोलन की जन्मस्थली कहा जाता है। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी खुद तैयारियों का जायजा लेने मोतिहारी पहुंच चुके हैं। उन्होंने कहा कि पीएम की रैली ऐतिहासिक होगी और बिहार को इससे नई दिशा मिलेगी। भीड़ जुटाने की तैयारी, 10 जिलों से आएंगे लोग भाजपा और जदयू ने बूथ स्तर तक भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी बांटी है। पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सीवान, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सारण और वैशाली से बड़ी संख्या में लोगों के आने की तैयारी है। सभा स्थल पर 100 फीट चौड़ा मंच और सुरक्षा के लिए एसपीजी, NSG व ATS की टीमें तैनात रहेंगी। पार्किंग के लिए 50 एकड़ जमीन चिह्नित की गई है। योजनाओं के अगले चरण की करेंगे घोषणा चंपारण में अब तक 50 से ज्यादा किसान उत्पादक संगठन (FPO) बन चुके हैं। आयुष्मान भारत योजना के तहत सैकड़ों लोगों को इलाज की सुविधा मिली है। जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों में पाइपलाइन बिछाई जा रही है और गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के विस्तार का काम भी शुरू हो चुका है। सूत्रों के अनुसार इस बार की रैली में प्रधानमंत्री इन्हीं योजनाओं के अगले चरण की घोषणा कर सकते हैं। प्रधानमंत्री की चंपारण में पूर्व की सभा पीएम मोदी इससे पहले भी कई बार चंपारण आ चुके हैं। साल 2018 में वे ‘सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह’ कार्यक्रम में शामिल होने आए थे और यहीं से ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को राष्ट्रीय आंदोलन का रूप दिया था। 2019 में उन्होंने बजट से पहले एनडीए की रणनीति को यहीं से धार दी। 2021 में कोविड काल में पूर्वी भारत के लिए स्वास्थ्य योजनाओं की घोषणा भी उन्होंने चंपारण से की थी। वहीं 2023 में ‘चंपारण किसान सम्मेलन’ में उन्होंने जैविक खेती और ई-नाम मंडियों के विस्तार की बात की। 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने यहीं से “विकसित बिहार–विकसित भारत” का नारा दिया था।

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