मोहाली नगर निगम द्वारा लोगों को एनक्रोचमेंट हटाने के लिए दिए गए नोटिस का मामला मोहाली जिला अदालत पहुंच गया है। आज इस मामले में नगर निगम के कमिश्नर, GAMADA CA और SSP मोहाली की तरफ से जवाब दाखिल किया जाएगा। इस संबंधी केस मोहाली के फेज-चार के लोगों द्वारा दायर किया गया है, जिसके बाद अदालत की तरफ से नोटिस जारी किया गया था। अब तीन प्वाइंटों में जानिए आखिर मामला अदालत क्यों पहुंचा – 1. निगम को नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं है इस मामले को उठाने वाले एडवोकेट प्रीतपाल सिंह बासी बताते हैं कि सड़क के साथ सिर्फ 5 फुट का हिस्सा नगर निगम के अधिकार में आता है, शेष जमीन GAMADA के अधीन है। GAMADA ने अभी तक कोई पत्र या नोटिफिकेशन जारी कर यह जमीन नगर निगम को नहीं सौंपी है। इसलिए नगर निगम कमिश्नर का तीन दिन का पब्लिक नोटिस पूरी तरह गैर-कानूनी है। उन्होंने अपने पद का गलत इस्तेमाल करके जनता का पैसा भी खर्च किया है, जिसके लिए वह जिम्मेदार हैं। 2.GAMADA की जिम्मेदारी, लेकिन एक्शन निगम का
पॉलिसी के मुताबिक अगर कोई प्लॉट मालिक सड़क के साथ 5 फुट जगह नहीं छोड़ता, तो पहले उसे GAMADA की ओर से 15 दिन का नोटिस देना जरूरी है। इसके बाद 16वें दिन से 25 रुपए प्रति फुट, फिर हर दिन 5 रुपए प्रति फुट जुर्माना लगाया जा सकता है और 30 दिन बाद ही कोई कार्रवाई की जा सकती है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि GAMADA ने किसी भी प्लॉट मालिक को कोई नोटिस जारी नहीं किया और 5 फुट से ज्यादा जगह छोड़ने के बावजूद भी नगर निगम और GAMADA ने पुलिस के साथ मिलकर अचानक गैर-कानूनी तरीके से तोड़फोड़ शुरू कर दी। इसके लिए अधिकारी हाई कोर्ट में चल रही एक कंटेम्प्ट पिटीशन का गलत हवाला दे रहे हैं। 3. राजनीति से प्रेरित है मामला
फेज-4 की पार्षद रुपिंदर कौर रीना ने कहा कि यह कदम राजनीति से प्रेरित है। वह हाउस में मुद्दा उठाती हैं। वे हाउस मीटिंग में सरकार की गलतियों पर आवाज उठाती रहती हैं। उन्होंने कहा कि वे वार्ड के लोगों और शहरवासियों के साथ मिलकर इस जुल्म के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगी।