मोहाली में मां का दूध पीते बच्चे की मौत:ढाई महीने उम्र, अचानक उल्टी आई, सांस की नली बंद हो गई; इकलौता बेटा था

पंजाब के मोहाली के सेक्टर-82 में मा का दूध पीने के बाद बच्ची की मौत हो गई। दूध की उल्टी आने पर दूध बच्चे की सांस नली में चला गया गया और इससे उसकी सांस रुक गई। जब तक बच्चे को अस्पताल ले जाया जाता, उसकी मौत हो गई थी। अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि नवजात बच्चे को गलत तरीके से दूध पिलाने से ये स्थिति बनी। जानकारी के अनुसार ढाई वर्षीय बच्चे गोपाल की मां पूजा देवी ने उसे दूध पिलाकर सुलाया था। कुछ समय बाद बच्चे ने दूध की उल्टी कर दी। इसके तुरंत बाद ही उसकी सांस नली में दूध चला गया और उसकी सांस रुक गई। इससे बच्चा बेहोश हो गया। मां ने जब देखा कि बच्चा सांस नहीं ले रहा, तो परिवार घबरा गया और तुरंत उसे फेज-6 स्थित सिविल अस्पताल लेकर पहुंचे। डाक्टरों ने जांच के बाद बच्चे को मृत घोषित कर दिया। परिवार के अनुसार बच्चा पूरी तरह स्वस्थ था और सुबह सामान्य रूप से दूध पिया था। पिता शंकर दास ने बताया कि उसकी पहले से दो बेटियां हैं और यह बेटा बहुत दुआओं और लंबे इंतजार के बाद हुआ था। बच्चे की मौत की खबर सुनकर परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। बच्चे को दूध पिलाते समय में मां को किन बातों का ध्यान रखना होता है। ग्राफिक्स देखिए: बच्चों को दूध पिलाने के तरीके के लिए सावधानी जरूरी… ते बच्चे को दूध पिलाना भी खतरनाक
सिर्फ मां ही नहीं, अगर बच्चा भी नींद में है, तब भी उसे दूध पिलाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। डॉक्टर बताते है कि सोते बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने पर दूध उसके फेफड़ों तक पहुंच सकता है। सांस की नली में फंसने से दम घुट जाने का डर रहता है। स्तनपान कराते वक्त बच्चे का पूरी तरह से अलर्ट रहना जरूरी है। अगर उसके दूध पीने का टाइम हो गया है, तो उसे जगाने के लिए हल्के हाथ से उसे सहलाएं, गीले रूमाल से उसका चेहरा साफ करें और मां बच्चे के तलवे को हल्के से गुदगुदाए। इससे उसकी नींद टूटती है और बच्चा दूध पीने लगता है। अगर ब्रेस्ट से दूध का फ्लो तेज है तो भी बच्चे को दूध पीने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उसे दूध निगलने में मुश्किल होती है। खांसी, चोकिंग जैसी दिक्कतें होती हैं। ऐसी स्थिति में बच्चा निप्पल को काटने की कोशिश करता है। बच्चे को 6 महीने तक पानी न पिलाएं
डॉक्टर बताते हैं कि 6 महीने तक नवजात को मां के दूध के अलावा कुछ और न दें। ब्रेस्टमिल्क में 90 फीसदी पानी ही होता है। इसलिए अलग से पानी देने की जरूरत नहीं होती। यही नहीं, बच्चे को दूध की बोतल, सिलिकॉन निप्पल या चुसनी भी न दें। बच्चे को बोतल से दूध न पिलाएं। निप्पल बदलने से भी होता है कंफ्यूजन
कभी बोतल तो कभी ब्रेस्टमिल्क पिलाने से बच्चा कंफ्यूज रहता है, जिसकी वजह से वह हमेशा के लिए मां का दूध पीना छोड़ सकता है। इसे ‘निप्पल कंफ्यूजन’ कहते हैं। बोतल से दूध पिलाने पर नवजात कोलिक नाम की बीमारी का शिकार भी हो सकता है। जिसमें उसे पेट दर्द होता है और वह घंटों तक रोता रहता है। बोतल से दूध पीने वाले बच्चों को जबड़े के विकास से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। इन्हीं वजहों से ‘इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स’ IAP और WHO ने दूध पिलाने के लिए बोतल का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है।

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