यूपी में कौन तुड़वा रहा भीमराव अंबेडकर की मूर्तियां?:प्रयागराज में 4 महीने में 7 घटनाएं, चंद्रशेखर के हाउस अरेस्ट की रात 3 तोड़ी गईं

प्रयागराज में 80 KM के दायरे में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की मूर्तियों के सिर-हाथ क्षतिग्रस्त किए गए। मूर्तियों को काले कपड़े से ढक दिया गया। अराजक तत्वों ने मूर्ति को उखाड़कर नाले में फेंक दिया। हर वो प्रयास हुआ, जिससे दलित बिरादरी के लोगों का गुस्सा भड़के या वो खुद को असुरक्षित महसूस करें। 4 महीने में 7 से ज्यादा स्पॉट पर डॉ. अंबेडकर की मूर्तियां तोड़ी गईं। यह भी अहम है कि 29 जून को सांसद चंद्रशेखर के प्रयागराज पहुंचने के बाद बवाल भड़का। इसके 24 घंटे के अंदर 3 जगह अंबेडकर की मूर्तियां तोड़ दी गईं। तकरीबन हर मामले में पुलिस इन्वेस्टिगेशन हुई। 7 में से सिर्फ 1 मामले में पुलिस एक युवक की अरेस्टिंग कर सकी। प्रयागराज में 14.20 लाख दलित वोटर्स में नाराजगी है। सिर्फ प्रयागराज ही नहीं, लखनऊ के काकोरी, सुल्तानपुर और झांसी के बरुआसागर में इसी तरह अंबेडकर की मूर्तियों को तोड़ा गया। पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं- आप ये समझ लीजिए कि मूर्तियों के टूटने का कोई फायदा सत्ताधारी दल को नहीं होने जा रहा। बीजेपी कोशिश कर रही है कि दलित और पिछड़ा वर्ग के लोगों को एक साथ लाया जाए। इन कोशिशों को झटका लगेगा। इन घटनाओं के पीछे क्या वाकई अराजक तत्व हैं या ये कोई साजिश का हिस्सा है, इसको रिपोर्ट में समझिए… पहले किस तरह मूर्तियों को तोड़ा गया, ये जानिए 1 अप्रैल, मांडा अंबेडकर की मूर्ति का दायां हाथ तोड़ा
अंबेडकर मूर्ति को नुकसान पहुंचाने की शुरुआत 1 अप्रैल से हुई। मांडा इलाके में डॉ.अंबेडकर की मूर्ति तोड़े जाने पर हंगामा हो गया। मांडा के गांव सभा टिकरी में शरारती तत्वों ने मूर्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया। मूर्ति टूटी देख ग्रामीणों मेंं आक्रोश फैल गया। गुस्साए लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया। मेजा एसडीएम दशरथ कुमार, एसीपी रवि कुमार गुप्ता समेत 2 थानों की फोर्स पहुंच गई। बसपा और भीम सेना के कार्यकर्ता भी पहुंचे। 5 घंटे में प्रशासन ने नई मूर्ति लगवा दी। मांडा थाने में ग्रामीणों ने शिकायत दी। 27 अप्रैल, हाईकोर्ट (सिविल लाइंस) मूर्ति को नुकसान पहुंचाकर काले कपड़े पहनाए
अराजक तत्वों ने मूर्ति को पूरी तरह से तोड़ा नहीं गया, लेकिन नुकसान पहुंचाया गया। अंबेडकर की मूर्ति को फटे हुए काले कपड़े पहना दिए गए। सिर पर लाल टोपी पहना दी गई। मामला हाईकोर्ट चौराहे का था, ऐसे में वकीलों ने हंगामा किया। घटना के तुरंत बाद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। पूरे क्षेत्र को सुरक्षा घेरे में लिया गया। मूर्ति को अपने पुराने स्वरूप में लाया गया। इसके बाद भी वकील 7-8 दिन तक विरोध जताते रहे। 30 जून, इसौटा इलाका भीम आर्मी के बवाल के बाद मूर्ति तोड़ी
29 जून को करछना के इसौटा गांव में दलित युवक की हत्या करके जला देने के मामले में सांसद चंद्रशेखर प्रयागराज पहुंचे। सर्किट हाउस में रोके जाने के बाद भीम आर्मी समर्थकों ने तोड़फोड़, आगजनी और बवाल किया था। 30 जून को यमुनापार इलाके के इसौटा गांव में डॉ. अंबेडकर की मूर्ति तोड़ दी गई। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि ये मूर्ति रात में तेज बारिश की वजह से टूटी है। गुस्साए लोगों को शांत कराने के लिए नई मूर्ति लगवाई गई। 30 जून, सोरांव मूर्ति तोड़ने के 4 घंटे के अंदर दूसरी लगवाई
इसके बाद एक घटना गंगापार के सोरांव इलाके में हुई। यहां डॉ. अंबेडकर की मूर्ति अराजक तत्वों ने तोड़ दी। पुलिस और SDM ने मौके पर पहुंचकर लोगों को समझाया। 4 घंटे के अंदर प्रशासन ने दूसरी मूर्ति लगवा दी। पुलिस ने एक FIR भी दर्ज की, जो अज्ञात अराजक तत्वों के खिलाफ थी। लेकिन, पुलिस इस मामले में मूर्ति तोड़ने वालों को सामने नहीं ला सकी। 30 जून, मऊआइमा मूर्ति उखाड़कर ‘गायब’ कर दी
गंगापार के मऊआइमा इलाके में 30 जून को एक और घटना हुई। ग्राम कटरा दयाराम में डॉ. अंबेडकर की मूर्ति उखाड़कर गायब कर दी गई। लोग सड़क पर जमा हो गए। हंगामा होने लगा। पुलिस ने इस मामले को संभाला। कामता प्रसाद मौर्य की तहरीर पर मऊआइमा थाने में FIR दर्ज की गई। पुलिस ने सर्च ऑपरेशन चलाया, लेकिन मूर्ति का कुछ पता ही नहीं चला। इसके बाद एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारियों ने अंबेडकर की नई मूर्ति लगवाकर लोगों को शांत कराया। 20 जुलाई, फूलपुर फूलपुर में आधी रात मूर्ति तोड़ी
फूलपुर के कोडापुर में डॉ. अंबेडकर की मूर्ति को तोड़ा गया। यह सब रात के अंधेरे में हुआ। जब लोगों ने टूटी मूर्ति को देखा, तो पुलिस को खबर दी। पुलिस और प्रशासनिक अफसर मौके पर पहुंचे। पुलिस ने लालजी गौतम की शिकायत पर मोहम्मद इश्तियाक उर्फ कल्लू, अतीक और मोहम्मद आलम के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। जांच कर पुलिस ने बताया कि रास्ते के विवाद में मूर्ति तोड़ी गई। इसके बाद पुलिस ने नई मूर्ति लगवा दी। अब 2 तस्वीर में लखनऊ और झांसी में हुई घटनाएं समझिए… अब यूपी में मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने के पीछे की सियासत मूर्तियों को तोड़ने की इन घटनाओं से दलित बिरादरी में नाराजगी है। लेकिन, इसका असली सियासी फायदा किसको मिलता दिख रहा? यह जानने के लिए दैनिक भास्कर ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के सोशियोलॉजी विभागाध्यक्ष के प्रोफेसर पॉलिटिकल एक्सपर्ट सुनील शुक्ला और आशीष सक्सेना से बात की। पढ़िए पॉलिटिकल एक्सपर्ट की राय… सवाल- क्या बाबा साहब की मूर्तियां टूटने से सत्ताधारी सरकार को नुकसान होगा?
जवाब- अंबेडकर के प्रति सम्मान दिखाने के लिए लोग जगह-जगह उनकी मूर्तियों की स्थापना करते हैं। अभी कुछ महीनों में इन मूर्तियों के साथ तोड़फोड़ हुई है। कुछ ऐसी भी जगह हैं, जहां लोगों ने मूर्तियों को लगाने नहीं दिया। अगर जबरन मूर्ति लगी, तो प्रशासन तक शिकायत पहुंचाई गई। इस तरह की घटनाएं अगर बढ़ती हैं, तो सिर्फ प्रयागराज ही नहीं, पूरे देश की सियासत पर इसका असर पड़ेगा। भारतीय जनता पार्टी भी इस नुकसान को महसूस करती है। आप याद करिए, जब लखनऊ में इस तरह की घटना हुई, तो जो पूर्व मंत्री और स्थानीय विधायक थे, उन्होंने भी हस्तक्षेप किया था। ऐसे ही झांसी में बड़ी घटना हुई। अगर इन घटनाओं को रोका नहीं गया, तो सरकार को नुकसान होगा। जो लोग मूर्तियां लगाने के लिए आवेदन कर रहे हैं, उन्हें या तो अनुमति दे दीजिए, नहीं तो ऑर्डर पास कर दीजिए। लोगों के मन में स्टैंड साफ होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो बीजेपी को राजनीतिक नुकसान होगा। सवाल- बसपा या चंद्रशेखर को क्या मूर्ति पॉलिटिक्स का कोई फायदा होगा?
जवाब- चंद्रशेखर जैसे सांसद तो दलित बिरादरी में अपनी पैठ बनाना चाहते हैं। इसलिए ऐसी घटनाओं में तत्काल उपस्थित हो जाते हैं। इन घटनाओं से उनके कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ेगा, क्योंकि वो फील्ड में संघर्ष करते हुए दिखाई पड़ेंगे। जो लोग अंबेडकर के विचारों के प्रति समर्पित हैं, उनको एकजुट करने में चंद्रशेखर जैसे सांसद कामयाब रहेंगे। अगर सरकार दलित समुदाय में अपना जनाधार बनाना चाहती है, तो उसको इस तरह की घटनाएं रोकनी होगी। सवाल- क्या आपको लगता है कि मूर्तियां टूटने से पब्लिक कनेक्ट होती है?
जवाब- लखनऊ, झांसी के घटनाओं में लोगों ने चंदा देकर दोबारा मूर्तियों को ठीक करवाया। ऐसा नहीं है कि एक व्यक्ति ने मूर्ति लगवा दी। एक समुदाय कह सकता है कि इस तरह जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। लेकिन, ये सरकार का काम है कि उसको रोके। लोगों के बीच ये संदेश नहीं जाना चाहिए कि आप मूर्तियों को लगने नहीं देना चाहते। किसी खास मूर्ति को लगवाया जाएगा, लेकिन बाबा साहेब की मूर्ति नहीं लगेगी। अगर ये संदेश जाता है तो बीजेपी को इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा। बीजेपी को तभी फायदा होगा, जब दलित और पिछड़े वोटर्स में विभाजन न हो। सबको पता है कि कांग्रेस-सपा यही चाहती है कि उनके साथ दलितों की एकजुटता बने। 2024 के चुनाव में दलित वोटर्स ने बड़े पैमाने पर वोट भी कास्ट किया। सवाल- क्या डॉ. अंबेडकर की मूर्तियों को तोड़ने के पीछे सियासी मकसद हो सकता है?
जवाब- डॉ. अंबेडकर की मूर्तियों को तोड़ने के पीछे लोगों का मकसद क्या हो सकता है, यह कहना मुश्किल है। कई बार इस तरह के मामले राजनीति से प्रेरित होते हैं। इस तरह की घटनाओं का राजनीतिकरण भी हो जाता है। वैसे महापुरुषों की प्रतिमाएं समाज में आने वाली पीढ़ी को उनके काम याद दिलाते रहने का एक जरिया होती हैं। सवाल- इसका फायदा किस पार्टी को मिलता दिख रहा?
जवाब- सामाजिक परिवेश में महापुरुषों की प्रतिमाओं का अपमान और तोड़फोड़ के पीछे नेगेटिव विचारधारा काम कर रही होती है। जिसका फायदा राजनीतिक दल और वोट की राजनीति करने वाले लोग को मिलता है। डॉ. अंबेडकर के संदर्भ में जाति को नहीं देखना चाहिए। अब जानिए कि प्रयागराज के सियासी दल क्या सोचते हैं… अब पुलिस एक्शन जानिए प्रयागराज पुलिस कमिश्नर जोगेंद्र कुमार कहते हैं- प्रयागराज में जो घटनाएं बाबा साहब की मूर्तियों को तोड़ने की हुई हैं, उन पर गंभीरता से कार्रवाई की गई। जो अज्ञात में केस दर्ज हुए, उनकी जांच हो रही है। मानीटरिंग की जा रही है। ऐसे सभी मामलों में लोगों को चिह्नित करके एक्शन लिया जा रहा है। ——————————- ये खबर भी पढ़ें : ‘हमारे मूंछ रखने, घोड़ी चढ़ने से दिक्कत’, लखनऊ में अंबेडकर प्रतिमा तोड़ने से गांव में गुस्सा, बोले- जातिवादी लोग माहौल बिगाड़ना चाह रहे लखनऊ के काकोरी स्थित मौंदा गांव में डॉ. भीमराव अंबेडकर प्रतिमा टूटने को लेकर बवाल हुआ। आक्रोशित लोगों ने प्रतिमा के पास प्रदर्शन और नारेबाजी की। सूचना पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी पहुंचे। नई प्रतिमा लगवाने का आश्वासन दिया, जिसके बाद मामला शांत हुआ। पढ़िए पूरी खबर..

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