यूपी में 60,244 पदों पर पुलिस भर्ती के बाद ट्रेनिंग प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। प्रदेश भर में 112 RTC (रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर) पर इन सिपाहियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। इसमें एटीसी, पीटीसी और पीटीएस के अलावा जिलों की पुलिस लाइन, पीएसी की बटालियन में 21 जुलाई से ट्रेनिंग शुरू हो चुकी है। यह पहले से तय था कि कब से ट्रेनिंग होगी, कहां कितनी क्षमता है, कहां-किन संसाधनों की जरूरत पड़ेगी? इसके लिए बाकायदा ट्रेनिंग निदेशालय से पत्र भी भेजा गया, फिर भी तैयारियों में खामियां नजर आ रही हैं। गोरखपुर की घटना इसका जीता जागता उदाहरण है। किस सेंटर की कितनी क्षमता है? किस तरह की खामियां हैं? ट्रेनिंग शुरू होने से पहले निदेशालय ने क्या निर्देश दिए थे? ट्रेनिंग स्कूलों में किस तरह के अफसर तैनात हैं? गोरखपुर जैसी स्थिति क्यों बनी? संडे बिग स्टोरी में पढ़िए… पहले जानिए गोरखपुर में क्या हुआ? गोरखपुर में ट्रेनिंग कर रही करीब 600 महिला सिपाही 23 जुलाई को अचानक विरोध-प्रदर्शन करने लगीं। यह ट्रेनिंग बिछिया स्थित पीएसी ट्रेनिंग कैंपस में चल रही है। महिला सिपाहियों का आरोप था कि ट्रेनिंग कैंपस में बिजली नहीं आती, केवल आधा लीटर पानी पीने के लिए दिया जाता है। खाने की क्वालिटी खराब है। खुले में नहाने को मजबूर किया गया। महिलाओं में प्रेग्नेंसी टेस्ट कराने को लेकर भी काफी नाराजगी थी। शिकायत करने पर RTC प्रभारी ने अभद्र भाषा का प्रयोग किया। मामले ने तूल पकड़ा तो सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए पीएसी कमांडेंट आनंद कुमार और RTC प्रभारी संजय राय को सस्पेंड कर दिया। गोरखपुर में ऐसी स्थिति क्यों बनी?
यह स्थिति इसलिए पैदा हुई, क्योंकि क्षमता से अधिक प्रशिक्षुओं को एक ही स्थान पर रखा गया, सुविधाएं नाममात्र थीं। संख्या के हिसाब से नहाने और शौचालय की भी व्यवस्था नहीं थी। इसके अलावा प्रेग्नेंसी टेस्ट भी बड़ी वजह बना। अविवाहित लड़कियों को भी टेस्ट करने को कहा गया। प्रशिक्षुओं की समस्याओं का समय से समाधान होता तो शायद ये स्थिति नहीं बनती। नाराज होने पर ट्रेनिंग सेंटर भेज देती है सरकार
वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र कुमार कहते हैं- आमतौर पर सरकार जिन अफसरों से नाराज होती है या चिढ़ती है, उन्हें ट्रेनिंग सेंटर या ट्रेनिंग स्कूल भेज देती है। मौजूदा समय में कई ऐसे अफसर हैं, जो सरकार की नाराजगी झेल रहे हैं। ऐसे में कभी-कभी अफसर कुंठित हो जाते हैं। वो पूरे मनोयोग से काम नहीं कर पाते। उदाहरण के तौर पर 2022 में जब भाजपा की सरकार दोबारा बनी तो शपथ ग्रहण कार्यक्रम लखनऊ के इकाना स्टेडियम में हुआ। उस समय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ट्रैफिक जाम में फंस गए और उन्हें पैदल चलना पड़ा। साथ ही ऐन मौके पर पीएसी का बैंड डिस्टर्ब हाे गया। उस समय पीएसी में अजय आनंद और यातायात निदेशालय में ज्योति नारायण तैनात थे। सरकार ने दोनों ही अफसरों को पुलिस ट्रेनिंग स्कूल भेज दिया। 21 अप्रैल, 2022 को अजय आनंद को सुल्तानपुर और ज्योति नारायण को जालौन भेज दिया गया। दोनों ही स्थानों पर उस समय 300-300 सिपाहियों की ट्रेनिंग की क्षमता थी। अब इसे बढ़ाकर 700 और 600 किया गया है। यहां पद डीआईजी का था और तैनाती एडीजी की हुई। अजय आनंद इसी पद से अप्रैल, 2025 में रिटायर हो गए। अब वहां एसपी रैंक के 2 अफसर ब्रजेश कुमार मिश्रा और मायाराम तैनात किए गए हैं। वहीं, ज्योति नारायण अब भी पीटीएस जालौन में तैनात हैं। इसी तरह सीतापुर पीटीसी में आईजी का पद है। यहां एडीजी जय नारायण सिंह तैनात हैं। जय नारायण के खिलाफ एक महिला एसपी ने शिकायत की थी, जिसके बाद उन्हें वहां से हटाया गया था। सीतापुर में ही एटीसी में तैनात शगुन गौतम के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में विभागीय कार्रवाई चल रही है। इसकी वजह से उन्हें प्रमोशन भी नहीं मिला। उनके पास एटीसी सीतापुर की जिम्मेदारी है। सतीश गणेश जीआरपी के एडीजी थे। उसी दौरान एक एसपी का रिश्वत लेते हुए वीडियो वायरल हो गया। तत्कालीन पुलिस मुखिया को शक सतीश गणेश पर हुआ। उन्होंने सतीश का तबादला पीटीएस मुरादाबाद करा दिया। मार्च, 2023 से अब तक वे मुरादाबाद में ही तैनात हैं। इसके अलावा पीटीएस और पीटीसी में कई ऐसे अफसर तैनात हैं, जो पिछली सरकार में अहम पदों पर हुआ करते थे। ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हो रहा है। इससे पहले भी सरकारें अपनी पसंद के अफसरों को अच्छी जगहों पर तैनाती देती थी। नापसंद को पीटीएस या पीटीसी में रखती थीं। जैसे सुलखान सिंह ने मुलायम सिंह सरकार के दौरान हुए भर्ती घोटाले की जांच की थी। कई अफसरों को दोषी पाया था। लेकिन, 2012 में जब सपा सरकार बनी, तो सुलखान सिंह को ट्रेनिंग में पोस्टिंग दे दी गई। यहां तक कि उन्हें डीजी के तौर पर भी 2 साल तक पीटीएस उन्नाव में तैनात रखा गया। हेड मास्टर कहलाते हैं पीटीएस के हेड
पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह बताते हैं- यूपी में कुल 6 पुलिस ट्रेनिंग स्कूल हैं। इनमें मेरठ, मुरादाबाद, उन्नाव, गोरखपुर, सुल्तानपुर और जालौन है। यहां जो भी हेड होता है, उसे हेड मास्टर कहा जाता है। पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज के हेड को प्रिंसिपल और अकादमी के हेड को डायरेक्टर कहा जाता है। वह चाहे एडीजी रैंक का हो या एडिशनल एसपी रैंक का। इन अफसरों के पास काम जिले के पुलिस कप्तान से भी कम होता है। भले ही पद तय हो, लेकिन तय पदों के अनुसार आमतौर पर यहां पोस्टिंग नहीं होती। इन स्थानों पर हाई रैंक के अफसरों की तैनाती की एक वजह अधिक अफसरों का होना भी है। निर्देशों पर अमल किया होता तो न होती गोरखपुर की घटना
प्रशिक्षण निदेशालय ने 11 जुलाई को सभी 112 RTC को विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए गए थे। एडीजी प्रशिक्षण बीडी पाल्सन की ओर से जारी पत्र में सीधे तौर पर कहा गया था कि RTC प्रमुख-बैरक, क्लासरूम, मेस व्यवस्था, शौचालय और स्नानघर की पर्याप्त व्यवस्था देख लें। सुनिश्चित करें कि प्रशिक्षण अवधि में प्रशिक्षण की गुणवत्ता उच्च कोटि की रहे। ————————- ये खबर भी पढ़ें… गोरखपुर में 600 ट्रेनी महिला सिपाही रोते-चिल्लाते बाहर आईं, एक बोली- बाथरूम में कैमरे लगे; प्रेग्नेंसी टेस्ट का आदेश देने वाले DIG हटे गोरखपुर में ट्रेनी महिला सिपाहियों ने बुधवार सुबह 8 बजे हंगामा कर दिया। 600 महिला सिपाही रोती-चिल्लाती ट्रेनिंग सेंटर से बाहर आ गईं। एक महिला सिपाही ने कहा- ट्रेनिंग सेंटर के बाथरूम में कैमरे लगे हैं। हमारे वीडियो बन गए हैं। क्या उनको वापस किया जाएगा? अब क्या होगा? कल कुछ अफसर आए थे, वो खरी-खोटी सुनाकर चले गए। पढ़ें पूरी खबर