उत्तर प्रदेश में दैनिक भास्कर ने 1450 किलोमीटर लंबी ‘गंगा यात्रा’ की। हम बिजनौर से बलिया तक गए। 5 दिन (14 से 18 जून) तक यात्रा करके गंगा की व्यथा को बताया। कुल 5 स्टोरी की सीरीज पेश की। हमारी इन खबरों का असर भी दिखा। राज्य स्वच्छ गंगा मिशन ने कानपुर और प्रयागराज में गंगा की बदहाली पर संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है। यही नहीं, कानपुर में चमड़ा फैक्ट्रियों का दूषित जल का ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) संचालित करने वाली कंपनी पर 9.33 लाख का जुर्माना भी लगाया है। राज्य स्वच्छ गंगा मिशन ने जिलाधिकारियों, नगर आयुक्तों, जल निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आला अफसरों को पत्र भेजते हुए एक हफ्ते के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। गंगा की सबसे ज्यादा कानपुर से प्रयागराज के बीच
दरअसल, अपनी गंगा यात्रा के दौरान हमने बताया था कि कैसे खनन के चलते गंगा की धारा बदल रही है? कहां गर्मियों में गंगा सूख जाती है? कैसे कानपुर से प्रयागराज के बीच गंगा मैली होती है? चमड़ा फैक्ट्रियों का दूषित जल कैसे सीधे गंगा के जल को मैला कर रहा? हमारी यात्रा में गंगा की सबसे ज्यादा दुर्दशा कानपुर से प्रयागराज के बीच दिखी थी। यहां सीधे नालों और चमड़ा फैक्ट्रियों का हानिकारक जल गंगा में प्रवाहित किया जा रहा था। आदेश में क्या कहा गया है
राज्य स्वच्छ गंगा मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर प्रभाष कुमार ने पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है- दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में जो स्थितियां दर्शाई गई हैं, वो गंगा नदी के संरक्षण के प्रति गंभीर लापरवाही का संकेत देती हैं। अधिकारियों से अपेक्षा है कि वे तत्काल इस पर परीक्षण कर ठोस कार्रवाई करें। 7 दिन के भीतर इसकी रिपोर्ट पेश करें। एसटीपी ऑपरेट करने वाली कंपनियों की जांच कर कार्रवाई करें। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निगरानी बढ़ाने और हर सप्ताह रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा जल निगम और सिंचाई विभाग को भी क्लीन-अप एक्शन प्लान तैयार करने को कहा गया है। इस पत्र की प्रतिलिपि नमामि गंगे विभाग, वन एवं पर्यावरण विभाग और जल निगम के मुख्य अभियंता को भी भेजी गई है। साफ कहा गया है कि गंगा की बदहाली को किसी भी स्तर पर नजरअंदाज करना बर्दाश्त नहीं होगा। प्रोजेक्ट डायरेक्ट के निर्देश पर कानपुर में कार्रवाई राज्य स्वच्छ गंगा मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के निर्देश पर कानपुर में उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (UPPCB) की टीम ने जाजमऊ स्थित 130 और 43 एमएलडी एसटीपी की जांच की। टीम ने पाया कि एसटीपी से बिना ट्रीटमेंट के सीवेज गंगा में गिराया जा रहा है। एसटीपी से ओवरफ्लो कर गंगा नदी में सीवेज गिरता रहा, लेकिन कंपनी ने जनरेटर नहीं चलाया। इस जांच के बाद जल निगम ने एसटीपी का संचालन कर रही कंपनी केआरएमपीएल पर एक बार फिर से 9.33 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। अब पढ़िए किस खबर का लिया संज्ञान 17 जून को प्रकाशित ‘गंगा यात्रा’ के पार्ट-4 में दैनिक भास्कर ने खुलासा किया था… ————————- दैनिक भास्कर की गंगा यात्रा सीरीज के सभी खबरों से गुजर जाइए :- यूपी में गंगा पर संकट, कई जगह सिकुड़ गई:जहां नदी सबसे गहरी थी, वहां भी टापू बने…पार्ट-1 डॉल्फिन-कछुओं की लगातार हो रहीं मौतें:यूपी में जहां सबसे ज्यादा संख्या वहां नहीं दिखती डॉल्फिन, पार्ट-2 यूपी में गंगा को मैली कर रही काली नदी:इत्र नगरी में सीवेज, औद्योगिक कचरा और केमिकल बढ़ा रहे प्रदूषण, पार्ट-3 जिसे मां कहा, उसे जहरीला नाला बना दिया:कानपुर से प्रयाग तक हर घाट पर बदबू, हर धार में मौत…पार्ट-4 गाजीपुर में सीधे नदी में बहा रहे लाशें:गंगा और शिव की नगरी में नहाने लायक नहीं पानी, ओझला, अस्सी और वरुणा बनीं नाला पार्ट-5