राणा बलाचौरिया हत्याकांड में पंजाब डीजीपी तलब:हाईकोर्ट ने खुद से लिया संज्ञान, अदालत जवाब नहीं मांगेगी, तो फिर कौन मांगेगा

मोहाली में कबड्डी खिलाड़ी राणा बलाचौरिया हत्या मामले का पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लिया है। कोर्ट ने पूछा कि मैच के लिए अनुमति ली गई थी या नहीं। आयोजन स्थल के बाहर कितने पुलिस कर्मी तैनात किए गए थे। डीजीपी से जवाब तलब किया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी। अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि ऐसे हालात में अदालत जवाब नहीं मांगेगी, तो फिर कौन मांगेगा? इन गंभीर परिस्थितियों को देखते हुए हाईकोर्ट ने पंजाब के डीजीपी को अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए हैं। 10 हथियारबंद पुलिसकर्मी किए थे तैनात 15 दिसंबर को मोहाली के सोहाना में कबड्डी कप चल रहा था। इस दौरान सेल्फी लेने के बहाने दो युवक आए, जिन्होंने पहले राणा बलाचौरिया के मुंह पर शॉल मारी। इसके बाद उनके सिर पर गोली मार दी। गोली लगने के बाद वह नीचे गिर गया। तुरंत लोगों ने उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां फोर्टिस अस्पताल ने उसे मृत घोषित कर दिया। अदालत ने घटना के समय किए गए सुरक्षा प्रबंधों पर गंभीर सवाल उठाया। सरकार की ओर से बताया गया कि कबड्डी मैच के दौरान लगभग 900 से 1,000 लोग मौजूद थे और हत्या शाम 5:55 बजे हुई। हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या वहां सीसीटीवी कैमरे लगे थे और सुरक्षा के लिए कितने पुलिसकर्मी तैनात थे। सरकार ने बताया कि मौके पर 10 हथियारबंद पुलिसकर्मी मौजूद थे। अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है कि दो शूटर हजारों लोगों की मौजूदगी में खुलेआम गोलियां चलाकर फरार हो गए। इससे पूरे राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। आरोपी हत्या के बाद भागने में कैसे सफल हुए मामले की जांच कर रहे मोहाली के पुलिस अधीक्षक (जांच) सौरव जिंदल भी अदालत में मौजूद थे। हाईकोर्ट ने पूछा कि दो आरोपी हत्या कर भागने में कैसे सफल हो गए। सरकार की ओर से बताया गया कि आयोजकों ने 40 निजी सुरक्षा गार्ड तैनात किए थे। अदालत ने यह भी सवाल किया कि क्या एक डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (डीएसपी) मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में मौजूद था और इतने बड़े आयोजन के लिए सरकारी स्तर पर कौन-कौन से सुरक्षा प्रोटोकॉल अपनाए जाने चाहिए थे।
अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया
अदालत ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहद खराब है और यदि अदालत ऐसे मामलों में जवाब नहीं मांगेगी, तो फिर कौन मांगेगा। सरकार ने हलफनामा दाखिल करने की पेशकश की, लेकिन अदालत ने तीखा सवाल किया कि क्या केवल हलफनामों से ही ऐसी घटनाओं पर रोक लगाई जा सकती है। अदालत ने यह भी पूछा कि सभी आरोपियों को अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। पंजाब में इतने गैंगस्टर क्यों सक्रिय इस मामले में हाईकोर्ट की सहायता कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता तनु बेदी ने कहा कि जब तक गैंगस्टरों और पुलिस के बीच कथित गठजोड़ खत्म नहीं होगा, तब तक ऐसी घटनाएं नहीं रुकेंगी। हाईकोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि जब हरियाणा में ऐसी घटनाएं अपेक्षाकृत कम हैं, तो पंजाब में गैंगस्टर इतने सक्रिय क्यों हैं। अदालत ने याद दिलाया कि करीब एक साल पहले सरकार को संगठित अपराध, जबरन वसूली और टारगेट किलिंग पर नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए थे, अदालत ने कहा कि टारगेट किलिंग के कई मामले पहले ही सामने आ चुके हैं, जिससे राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगते हैं।

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