47 साल का सहाराश्री का साम्राज्य अब ढलने लगा है। कभी लखनऊ की हवा में सहारा इंडिया का रुतबा घुला रहता था। हजारों कर्मचारियों, भव्य इमारतों और चमकते कारोबार से शहर की पहचान जुड़ गई थी। लेकिन अब सहाराश्री सुब्रत रॉय का ये साम्राज्य बिखरने की कगार पर है। लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) और जिला प्रशासन ने सहारा को लीज पर दी गई 19 संपत्तियों की समीक्षा शुरू कर दी है। इनमें से 3 की लीज पहले ही खत्म की जा चुकी है, 1 को खाली करा लिया है और 3 को हाल ही में सील कर दिया गया। बाकी 13 पर तलवार लटकी है। जिन संपत्तियों की लीज खत्म हो चुकी वो हैं सहारागंज मॉल, सहारा बाजार और सहारा श्री की खुद की कोठी। इन कार्रवाइयों की मुख्य वजह है कई संपत्तियों को कॉमर्शियल उपयोग के लिए लेकर पर्सनल यूज करना। समूह की बड़ी देनदारी (लखनऊ जिला प्रशासन के रिकॉर्ड में 19 करोड़ 80 लाख 51 हजार 62 रुपए) बाकी होना। LDA की लिस्ट में सहारागंज मॉल (हजरतगंज), सहारा शाहरुख रोड स्थित सहारा श्री का आवास, गोमतीनगर की कॉमर्शियल और रिहायशी प्रॉपर्टीज, पार्किंग और ऑफिस स्पेस है। LDA अधिकारियों ने बताया कि शासन को इस संबंध में रिपोर्ट भेजी जा रही है और जल्द ही बड़ी कार्रवाई की संभावना है। इस रिपोर्ट में आप पढ़ेंगे सहारा की लखनऊ की संपत्तियों की मौजूदा स्थिति, प्रभावित होने लोगों की बातचीत और सहारा श्री का साम्राज्य कैसे ढला… 3 तस्वीरों में देखिए सहारा बिल्डिंग और उस पर कार्रवाई… लखनऊ की संपत्तियों में रिहायश और बाजार सहारागंज मॉल – लखनऊ के दिल में बसा यह मॉल फिलहाल 100 से ज्यादा ब्रांडेड स्टोर्स, मल्टीप्लेक्स, रेस्त्रां और शोरूम्स का घर है। रोजाना हजारों लोग यहां आते हैं। सहारा श्री का आवास – गोमती नगर का एक बेहद आलीशान कोठी, जो बीते वर्षों तक भव्य पार्टी और राजनीतिक हलचलों का केंद्र रही। गोमतीनगर की संपत्तियां – कई ऑफिस स्पेस, सहारा मीडिया ऑफिस, और कर्मचारियों के लिए बनाए गए रिहायशी फ्लैट्स। सहारा भवन – कपूरथला में कॉम्पलेक्स, अलीगंज में 2 सहारा भवन सहारा बाजार – विभूति खंड में सहारा बाजार की लीज समय से 50 साल पहले खत्म कर दी गई। यहां की दुकानों पर ताला भी लगा दिया है। सहारा श्री की कुल 19 संपत्तियों की समीक्षा की जा रही है। ये संपत्तियां लगभग 75,000 वर्ग मीटर जमीन पर हैं। इनमें से करीब 50% कॉमर्शियल, बाकी रिहायशी और संस्थागत उपयोग में हैं। करीब 1200 लोग इन परिसरों में रह रहे या काम कर रहे हैं। 500 से ज्यादा दुकानें हैं। जमीन के कॉमर्शियल उपयोग की शर्तें थीं 90 के दशक से 2010 तक सहारा को LDA और अन्य एजेंसियों से बड़ी संख्या में जमीनें लीज पर दी गईं। इनमें से कई पर कॉमर्शियल उपयोग की शर्तें थीं, लेकिन आरोप है कि इनका अनधिकृत इस्तेमाल भी किया गया। अब प्रशासन लीज नियमों के उल्लंघन और बकाया अदायगी के आधार पर कार्रवाई कर रहा है। सहारा बाजार को खाली कराया जून 2025 में विभूति खंड स्थित सहारा बाजार की लीज खत्म कर दी गई। यहां की दुकानों को खाली कराकर ताला लगा दिया गया। व्यापारियों के पास सारे कागज मौजूद होने के बावजूद उन्हें असमय और बिना नोटिस बेदखल होना पड़ा। पढ़िए उनका दर्द… पेंशन से नहीं चलता घर, दुकान से ही थी उम्मीद व्यापारी सुनीता तिवारी बताया- रिटायरमेंट के बाद ₹8000 पेंशन मिलती है, इतने में घर नहीं चलता। हमने टैक्स भी नियमित दिया है और सभी कागजात भी हमारे पास हैं, लेकिन न कोई चेतावनी दी गई, न कोई बातचीत। सीधे एक दिन आकर ताले लगाने लगे। 18 साल तक सब ठीक था, अब रोज़ी-रोटी पर संकट व्यापारी गीता गुप्ता ने कहा- वे पिछले 18 सालों से यहां दुकान चला रही थीं। कभी कोई परेशानी नहीं हुई। लेकिन अब अचानक एक महीना पहले से दबाव बढ़ गया। पहले सहारा वालों ने कहा कि दुकान खाली कर दो, फिर LDA के अफसर खुद आकर बोले कि आज ही दुकान खाली करनी है। बिल्डिंग जर्जर नहीं है, फिर भी हमें हटाया जा रहा है। यह रोजी-रोटी का सवाल है, हम कहां जाएंगे? रजिस्ट्री हमारे पास, फिर भी हमें बेदखल किया गया जयप्रकाश सिंह, जो करीब 30 साल से इस बाजार में व्यापार कर रहे हैं, ने बताया- हमने 1994 में सहारा से यह दुकान खरीदी थी। सहारा ने बताया था कि जमीन की 90 साल की लीज है। अब प्राधिकरण कह रहा है कि लीज खत्म हो गई। हमने जब दिल्ली से संबंधित दस्तावेज मांगे तो कोई जवाब नहीं मिला। लगता है बाजार को किसी बिल्डर को बेचा जाने वाला है, इसलिए हम लोगों को हटाया जा रहा है। 1997 में दुकान ली थी, आज एक झटके में सब कुछ खत्म व्यापारी राकेश पांडे, जो 1997 से दुकान चला रहे हैं, बताते हैं- 130 स्क्वायर फीट की दुकान हमने LDA से ही खरीदी थी। वन टाइम मेंटेनेंस शुल्क भी भर चुके हैं। कभी कोई नोटिस नहीं मिला, न कोई अधिकारी मिला। अब अचानक अधिकारी आए और बोले कि दुकान खाली करो वरना कार्रवाई होगी। इतनी बड़ी कार्रवाई हो गई, लेकिन प्राधिकरण की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। अब पढ़िए सहारागंज मॉल के व्यापारी क्या बोले… लखनऊ की पहचान पर बट्टा लगेगा सहारागंज मॉल में सेवा चिकन शॉप चलाने वाले शिवम बाजपेई कहते हैं- चिकन लखनऊ पहचान है। एक तरह से सहारागंज मॉल भी यहां की पहचान है। अगर इस बिल्डिंग को कुछ होता है तो हम लोगों का भारी नुकसान होगा ही, लखनऊ की पहचान को भी बट्टा लगेगा। अचानक से ये सब खाली कराने की बात डराने वाली है। किसी से भी इस तरह अचानक धंधा-पानी नहीं छीन लेना चाहिए।” रोज 300 से ज्यादा ग्राहक आ रहे सहारागंज मॉल में “The Label Suitings” चलाने वाले व्यापारी अभय कहते हैं- “15 साल से यहीं दुकान चला रहे हैं। रोज 300 से 400 ग्राहक आते हैं। अगर लीज खत्म कर मॉल खाली कराया गया, तो हमारी रोजी-रोटी छिन जाएगी। दुनिया उजड़ जाएगी।” लीज पर एक्शन सहारा तक सीमित नहीं रहेगा शासन स्तर पर सहारा की वित्तीय और कानूनी स्थिति की भी समीक्षा की जा रही है। अगर सारी 19 संपत्तियों की लीज रद्द हुई, तो यह सहारा समूह पर अब तक की सबसे बड़ी कानूनी कार्रवाई होगी। वहीं, हजारों परिवारों की आजीविका और रहने की व्यवस्था भी इससे सीधे तौर पर प्रभावित होगी। LDA सूत्रों के मुताबिक, यह कार्रवाई केवल सहारा तक सीमित नहीं रहेगी। अन्य लीजधारी संस्थानों की संपत्तियों की भी जांच शुरू हो चुकी है। अब पढ़िए सहारा इंडिया परिवार की अब तक की पूरी कहानी ढहते साम्राज्य की कहानी- संपत्तियों के जाल में फंसी न्याय की राह लखनऊ से शुरू होकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बनाने वाले सहारा इंडिया परिवार का कभी करोड़ों लोगों की उम्मीदों और निवेश का केंद्र रहा साम्राज्य अब विघटन की कगार पर खड़ा है। 14 नवंबर 2023 को समूह के संस्थापक सुब्रत रॉय सहारा के निधन के बाद सहारा समूह की वित्तीय स्थिति और भी अस्थिर हो गई है। सुप्रीम कोर्ट, सेबी और भारत सरकार अब इस समूह की अचल संपत्तियों की नीलामी के जरिए वर्षों से न्याय की राह देख रहे निवेशकों का पैसा लौटाने में जुटे हैं। सहारा का स्वर्णकाल: 2 लाख करोड़ की चमक 1978 में लखनऊ से शुरुआत करने वाले इस समूह ने दो दशकों के भीतर ही भारत के 80 से अधिक कारोबारी क्षेत्रों में पैर जमा लिए। रियल एस्टेट, वित्त, मीडिया, हॉस्पिटैलिटी, स्वास्थ्य, रिटेल और यहां तक कि इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर तक में इसकी मौजूदगी थी। Aamby Valley City (लोणावला, महाराष्ट्र) में 10,600 एकड़ में फैली लग्जरी टाउनशिप, Sahara Star Hotel (मुंबई), Sahara Shaher (लखनऊ), और लंदन व न्यूयॉर्क में अंतरराष्ट्रीय संपत्तियां — ये सब उस समय के चिह्न थे कि सहारा एक ग्लोबल ब्रांड बनने की दिशा में था। अनुमानतः यह समूह कभी ₹2.15 लाख करोड़ (लगभग 50 अरब डॉलर) की संपत्ति का मालिक था। 2011: SEBI बनाम सहारा – विवाद की शुरुआत सहारा इंडिया ने अपनी 2 कंपनियों के जरिए OFCD (Optional Fully Convertible Debentures) योजना के अंतर्गत करीब ₹25,000 करोड़ की राशि निवेशकों से जुटाई, जिसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अवैध करार दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सहारा से यह धन लौटाने का आदेश दिया। गिरफ्तारी और नीलामी की शुरुआत 2014 में सुब्रत रॉय की गिरफ्तारी ने पूरे देश में हलचल मचा दी। अदालत के आदेश पर उन्हें लखनऊ से गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेजा गया। इसके बाद सहारा की संपत्तियों को बेचकर पैसा इकट्ठा करने की प्रक्रिया शुरू की गई। 2016 से 2020 के बीच, Aamby Valley समेत देश के विभिन्न राज्यों में स्थित करीब 67 संपत्तियां नीलामी के लिए सूचीबद्ध की गईं। परंतु खरीदारों की कमी और कानूनी जटिलताओं के चलते संपत्तियों की बिक्री अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो सकी। सुब्रत रॉय का निधन और फिर से गहराता संकट 14 नवंबर 2023 को सुब्रत रॉय के निधन के बाद सहारा समूह के उत्तराधिकारी और प्रबंधन को लेकर स्थिति और अनिश्चित हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने समूह को निर्देश दिए कि वह अपने सभी शेयरधारकों, अधिकारियों और बिना कानूनी बाध्यता वाली संपत्तियों (unencumbered properties) की सूची प्रस्तुत करे ताकि बिक्री कर ₹10,000 करोड़ जुटाए जा सकें। SEBI के पास अब भी ₹25,000 करोड़ से अधिक की रिफंड राशि लंबित है, जिसे निवेशकों को लौटाना शेष है। सरकार और सेबी अब तेजी से संपत्तियों की नीलामी कर इस राशि की भरपाई की कोशिश कर रहे हैं। कहां हैं सहारा की संपत्तियां? देशभर में सहारा के पास अब भी 4,700 एकड़ से अधिक भूमि, होटल, टाउनशिप और व्यावसायिक परिसरों का नेटवर्क है। प्रमुख परियोजनाओं में शामिल हैं: इनमें से कई को SEBI ने बिक्री के लिए सूचीबद्ध किया, कुछ बिक गईं और कई अब भी कोर्ट की अनुमति की प्रतीक्षा में हैं। 2024–25 : बिक्री और रिफंड की मौजूदा स्थिति 2024 में केंद्र सरकार और सेबी ने लगभग 5,700 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्तियों की नीलामी कर निवेशकों को भुगतान शुरू किया। हालांकि, यह अभी कुल देय रिफंड का एक छोटा हिस्सा मात्र है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि सहारा समूह को यह बताना होगा कि अब तक किन-किन संपत्तियों को बेचा गया है और आगे कौन-सी बेची जाएगी। अगर सबकुछ योजनानुसार हुआ, तो आने वाले वर्षों में लाखों निवेशकों को उनकी मेहनत की गाढ़ी कमाई वापस मिल सकती है। —————- यह खबर भी पढ़िए… RO/ARO परीक्षार्थियों से स्टेशन-बस अड्डे फुल:बोले- ठहरने की जगह नहीं मिली, लखनऊ में प्रशासन की व्यवस्था हुई फेल उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (RO/ARO) प्रारंभिक परीक्षा-2023 का लखनऊ समेत राज्यभर में आयोजन होगा। शहर में कुल 129 परीक्षा केंद्रों पर 61512 अभ्यर्थी हिस्सा…पूरी खबर पढ़ें