सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट करने वाले लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षकों पर उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री ने कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर नाराजगी जताते हुए कहा- देश विरोधी मानसिकता के बड़बोले शिक्षकों पर सिर्फ FIR से काम नहीं चलेगा। इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी। दरअसल, हाल ही में लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर रविकांत चंदन ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर सोनम रघुवंशी और मुस्कान जैसी महिलाओं को RSS की सोच की उपज बताया था। डॉ.रविकांत ने पोस्ट शेयर करने के बाद कहा था कि वो आंबेडकरवादी है और अपनी विचारधारा पर अडिग हैं। दैनिक भास्कर से उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा- डॉ.रविकांत जैसे वामपंथी शिक्षक RSS की विचारधारा को कभी समझ नहीं सकते। पढ़िए इंटरव्यू के प्रमुख अंश…। सवाल : लखनऊ विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षक आपकी सरकार पर, सिस्टम पर और संगठन पर सवाल उठाते हैं, और बतौर मंत्री आप कुछ नहीं बोलते हैं? जवाब : देखिए, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आजादी संविधान ने हमें दे रखी है। इसका मतलब ये नहीं कि राष्ट्रद्रोह की अभिव्यक्ति की जाए। राष्ट्र विरोधी तत्वों का समर्थन किया जाए। अगर कोई राष्ट्रद्रोह की इस श्रेणी में आता है तो निश्चित रूप से उसे पर कार्रवाई होगी। फिर भी मेरी दैनिक भास्कर के माध्यम से बुद्धिजीवी वर्ग से अपील है कि सोच समझ कर बोले, ऐसा कोई वक्तव्य न दें कि उनका मानसिक दिवालियापन साबित हो। अक्सर ये देखने को मिलता है कि अति उत्साह में आकर बुद्धिजीवी वर्ग के लोग भी या तो वामपंथी विचारधारा के प्रभाव में आकर, कांग्रेस-सपा से जुड़े हुए लोग ऐसे बयान दे जाते हैं जो अमर्यादित होने के साथ ही आ-शालीन भी होते हैं। सवाल : पहलगाम हमले के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर माद्री काकोटी पाकिस्तान में वायरल हो जाती हैं? जवाब : सिर्फ प्रोफेसर ही नहीं, ऐसा ही कुछ राहुल गांधी के बयानों को लेकर भी देखा जा रहा। उनके बयानों को देखकर लगता है कि पाकिस्तान का कोई नेता बयान दे रहा। पाकिस्तान उन बयानों के जरिए खुद को सही सिद्ध करने को कोशिश करता है। उन्होंने कहा- ऐसे लोगों के खिलाफ जो भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, उसका अध्ययन किया जा रहा और कार्रवाई भी निश्चित रूप से होगी। भारत विरोधी कोई भी वक्तव्य बर्दाश्त नहीं होगा। ये स्पष्ट है कि सिद्धांत विरोधी वक्तव्य तो बर्दाश्त हो सकता है पर राष्ट्र विरोधी वक्तव्य किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सवाल : उस प्रकरण के बाद एक अन्य शिक्षक सौरभ बनर्जी का बयान आया और अब रविकांत चंदन द्वारा RSS पर टिप्पणी की गई? इस पर क्या कहेंगे? जवाब : मेरे ख्याल से वो RSS को ना तो समझते हैं, ना जानते हैं और मानते तो है नहीं ये तो निश्चित है। इसीलिए वह ऐसे बयान दे रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारतीय संस्कृति और हिंदुत्व से जुड़ा हुआ है। नारी सशक्तीकरण के लिए काम करने वाला संगठन है। नारी को हिंसा के लिए प्रोत्साहित करना। यह विचारधारा संघ की कभी नहीं रही। उन्होंने कहा- नेहरू जी और इंदिरा जी के समय भी कोई भी घटना होती थी तो उसे आरएसएस से जोड़ दिया जाता था। आज पूरा विश्व जानता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक राष्ट्रवादी संस्थान है। देशभक्ति के विचार आज के युवाओं में भरती है। RSS पर ऐसे आक्षेप लगाने वाले और बयान देने वाले लोग ओछी मानसिकता के प्रतीक हैं। सवाल : आप तो एक्शन की बात कर रहे हैं पर विश्वविद्यालय प्रशासन का बेहद नरम रुख रहा है, क्या ये रुख ऐसे बयानों को बढ़ावा तो नहीं दे रहा? जवाब : ऐसा तो नहीं होना चाहिए। यदि विश्वविद्यालय प्रशासन सिर्फ FIR कराकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ रहा है, तो ये भी अच्छा नहीं है। मैं खुद विश्वविद्यालय प्रशासन यानी कुलपति और वहां के रजिस्ट्रार से बात करूंगा। ऐसी मानसिकता के लोगों के खिलाफ यदि फिर होती है तो उन्हें कड़े से कड़ा दंड दिया जाए। यदि फिर नहीं हुई तो बिना देर किए FIR दर्ज भी कराएं। सवाल : वापस एकेडमिक पर लौटते हुए..विश्वविद्यालयों में NAAC इवैल्यूएशन पर क्या कहेंगे? जवाब : योगी सरकार आने से पहले यूपी का कोई भी विश्वविद्यालय इंटरनेशनल ग्रेडिंग में शुमार नहीं था। यहां तक कि एशियाई ग्रेडिंग में किसी विश्वविद्यालय का नाम नहीं था। NAAC इवैल्यूएशन में भी बी प्लस प्लस या बी के ग्रेडिंग ही हासिल थी। पर आज विश्व रैंकिंग में यूपी के 2 विश्वविद्यालय का नाम है, जबकि एशिया की रैंकिंग में 3 विश्वविद्यालयों का नाम है। इसके अलावा 6 सरकारी और 4 निजी विश्वविद्यालय NAAC इवैल्यूएशन के बाद बेस्ट ग्रेडिंग हासिल कर चुके हैं। इतनी बड़ी संख्या में विश्वविद्यालयों का इंटरनेशनल और नेशनल रैंकिंग हासिल करना ये दर्शाता है कि यूपी में शिक्षा का स्तर और गुणवत्ता दोनों बढ़ रहा है। सवाल : नए सत्र की शुरुआत हो रही है, विश्वविद्यालय में दाखिले के दौर भी जारी है, इस बार क्या विशेष तैयारी है? जवाब : नए सत्र को लेकर पूरी तैयारी हो चुकी है। सभी विश्वविद्यालयों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि पहले से ही शैक्षिक कैलेंडर तैयार करना है। उसका कड़ाई से पालन करना है।हर विश्वविद्यालय को सितंबर से दिसंबर के बीच तक में ही दीक्षांत समारोह कराना होगा। जब दीक्षांत समारोह का समय फिक्स है तो समय रहते सभी को परिणाम भी जारी करने होंगे। इसके लिए परीक्षा भी समय पर लेनी पड़ेगी। इस पहल से सत्र भी नियमित होगा और पूरा वातावरण भी शैक्षिक लिहाज से अनुकूल रहेगा। सवाल : अंत में ये बताए कि आगे का क्या लक्ष्य है? जवाब : पहले जहां विश्व के टॉप 500 विश्वविद्यालयों में यूपी का कोई भी विश्वविद्यालय नहीं था। आज टॉप 100 में यूपी की 3 यूनिवर्सिटी है। हमारा लक्ष्य है कि जिन विश्वविद्यालयों को NAAC का A++ का ग्रेड मिला है। उनसे हमारी यह अपेक्षा है कि वह इंटरनेशनल रैंकिंग में टॉप 50 यूनिवर्सिटी के बीच में जगह बनाएं। ऐसी की एक विदेशी यूनिवर्सिटी के साथ MOU किया है। दुनिया में 29वें नंबर की रैंक हासिल करने वाली मोनाश यूनिवर्सिटी के साथ अभी हाल ही में MOU किया गया है। इससे 2 बड़े फायदे मिलेंगे। एक तो विदेश जाने वाले स्टूडेंट्स हो को घर बैठे, टॉप ग्लोबल एजुकेशन का मौका मिलेगा। एक अलावा गरीब और कमजोर आय वर्ग के बच्चों को ऐसी वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटी में पढ़ने का मौका मिलेगा। ————————— यह खबर भी पढ़िए लखनऊ में खुली यूपी की पहली फ्रूट वाइनरी, ₹10 करोड़ खर्च आया, खराब फलों से 12 फ्लेवर में तैयार होगा ‘देवताओं का अमृत’ लखनऊ की मंडियों में फल खराब होने पर अब किसानों को घाटा नहीं उठाना पड़ेगा। इनके इस्तेमाल से फ्रूट वाइन बनाई जाएगी। लखनऊ में प्रदेश की पहली फ्रूट वाइनरी खोली गई है। जहां 12 फ्लेवर की वाइन तैयार की जाएगी। यह वाइनरी लखनऊ के माल… पढ़ें पूरी खबर