लखीसराय के सूर्यगढ़ा प्रखंड में किसान इन दिनों प्रकृति और प्रशासन की दोहरी मार झेल रहे हैं। प्रखंड के कई इलाकों में क्यूल और गरखई नदियों का उफान किसानों की फसलें डुबो रहा है। वहीं कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर बसे गांवों में किसान पानी की एक-एक बूंद को तरस रहे हैं। गरखई नदी, जो क्यूल नदी की सहायक है, इन दिनों अपने रौद्र रूप में है। इसका जलस्तर इतना बढ़ चुका है कि किनारे के खेत पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। किसानों की महीनों की मेहनत उनकी आंखों के सामने बर्बाद हो रही है। कई गांवों में सूखा दूसरी ओर, सूर्यगढ़ा थाना और मानिकपुर थाना क्षेत्र के कई गांवों में खेत सूखे पड़े हैं। धान की रोपनी ठप हो गई है। दरारें पड़ी हुई जमीन किसानों की उम्मीदों को तोड़ रही है। इस समस्या की जड़ में है गरखई नदी पर 2019 में सिंचाई के उद्देश्य से बनाया गया फ्लडगेट। इस गेट के जरिए क्यूल नदी का पानी आसपास के गांवों तक पहुंचाया जाना था। लेकिन विडंबना यह है कि बाढ़ की स्थिति में भी यह गेट आज तक नहीं खोला गया। किसानों की आजीविका को खतरा स्थानीय किसानों का कहना है कि प्रशासन को बार-बार सूचना देने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही है। एक ही इलाके में बाढ़ और सूखे का यह विरोधाभास किसानों की आजीविका को खतरे में डाल रहा है। साथ ही यह सरकारी तंत्र की लापरवाही को भी उजागर करता है।