लाइव मर्डर देखने वाला डॉन है अजय वर्मा:IPS की संगत में आया, 90’s में बड़ा क्रिमिनल बना; गोपाल खेमका मर्डर केस से जुड़ा कनेक्शन

अपराध की दुनिया में अजय वर्मा उस कुख्यात का नाम है, जिसने 1990 के आसपास अपराध की दुनिया में अपना कदम रखा था। दहशत ऐसी कि नाम सुनने के बाद लोग खौफ में आ जाते थे। अपने ही घर के सामने रहने वाले कुख्यात पिंकू चौधरी की हत्या से उसने पटना में अपराध की दुनिया में एंट्री की थी। जुर्म की दुनिया में धीरे-धीरे वो आगे बढ़ा और फिर खुद की गैंग बनाई। अजय वर्मा खुद शार्प शूटर बन गया। शुरुआती सालों में सुपारी लेकर लोगों की हत्या करना उसका मुख्य पेशा रहा। फिर रंगदारी और अपहरण का दौर चला। एक वक्त ऐसा आया कि अजय वर्मा का नाम बिहार के टॉप कुख्यात अपराधियों की लिस्ट में शामिल हो गया। उसने बिहार से लेकर झारखंड तक अपने गैंग का नेटवर्क फैलाया। अभी वो पटना के बेऊर जेल के गंगा खंड में बंद है। उसके टच में आज भी 50 से अधिक शूटर हैं। अब आपके जेहन में यह सवाल होगा कि आखिर अचानक इस कुख्यात अपराधी की चर्चा क्यों हो रही है? दरअसल, 4 जुलाई को बड़े कारोबारी गोपाल खेमका की हत्या के बाद पुलिस की टीम बेऊर जेल पहुंची थी। बताया जाता है कि जेल में अजय वर्मा से भी पूछताछ हुई है। पहले समझिए गोपाल खेमका की हत्या कहां हुई गोपाल खेमका की हत्या और उसके बाद की 3 तस्वीरें देखिए… पिता साइंस कॉलेज में क्लर्क तो बड़े भाई रहे IFS अधिकारी अजय वर्मा घघा घाट रोड, सुल्तानगंज का रहने वाला है। नाम न छापने की शर्त पर सुल्तानगंज इलाके के रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया, ‘कायस्थ परिवार से आने वाले अजय वर्मा के पिता पटना साइंस कॉलेज में क्लर्क थे। वो वहां बड़ा बाबू के रूप में काम कर चुके हैं। ‘अजय वर्मा तीन भाई हैं। सबसे बड़े भाई देवेंद इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (IFS) में केरल कैडर के अधिकारी रहे हैं, अब रिटायर हो चुके हैं।’ ‘दूसरे भाई ने वकालत की और कुछ समय तक उन्होंने प्रैक्टिस भी की। भाभी सीमा वर्मा वर्तमान में नगर निगम की पार्षद भी हैं। भाइयों में अजय वर्मा सबसे छोटे है’। कुख्यात की हत्या के बाद शुरू हुआ डॉन बनने का सफर अजय वर्मा बड़ा अपराधी बन चुका है। यह बात उनके परिवार और इलाके के लोगों को लंबे वक्त तक पता ही नहीं थी। पिंकू चौधरी की हत्या के बाद जब पुलिस की जांच हुई तो उसमें नाम सामने आया। पुलिस ने कार्रवाई शुरू की तब घर वालों को पता चला। दरअसल, पिंकू चौधरी और अजय वर्मा की बनती नहीं थी। दोनों के बीच लड़ाई चलती थी। एक बार पिंकू चौधरी ने अजय वर्मा को मारा था। इसके बाद अजय ने उसकी हत्या कर दी। यहीं से उसके डॉन बनने का सफर शुरू हुआ। अंधेरे में टारगेट होता था पूरा बढ़ते समय के साथ अजय वर्मा की पहचान सेटर, शार्प शूटर और फिर सुपारी किलर के रूप में बन गई। हत्या की वारदातों को प्रॉपर तरीके से प्लान कर ये अंजाम देता था। 90 के दशक में बिजली बहुत कटती थी। इसे ही अजय ने अपना मेन हथियार बनाया। हत्या के लिए जिसके नाम की ये सुपारी लेता था, उस टारगेट को बिजली कटने के बाद अंधेरे में पूरा करता था। बदलते वक्त के साथ इसने क्राइम का पैटर्न बदला। सुपारी लेने के बाद वारदात को खुद अंजाम नहीं देता था। बल्कि, गैंग में शामिल अपने गुर्गों से आपराधिक वारदातों को अंजाम देता था। इसके अलावा जमीन कब्जा दिलाने, जमीन खरीदने और बेचने के धंधे में भी उतर गया। आम लोगों से ज्यादा वर्मा का अपराधियों में बना खौफ नाम न छापने की शर्त पर इलाके के व्यक्ति ने बताया, ’90 के दशक में ही एक IPS पटना के सिटी एसपी हुआ करते थे। अजय वर्मा पहले उनके कॉन्टैक्ट में आया। उनके लिए जासूसी करने लगा। इस कारण शुरुआत में पुलिस भी उसकी मदद करती थी’। ‘पुलिस के इशारे पर उसने कई अपराधियों की हत्या की। आम लोगों से ज्यादा अपराधियों में उसके नाम का खौफ बन गया। अपराधियों की हत्या के बाद पुलिस उसे गैंगवार का रूप देती थी।’ वो वक्त ऐसा था कि अजय वर्मा साइलेंट किलर बन गया था। कहा ये जाता है कि पुलिस की कस्टडी में होने के बाद भी वो बाहर आता था। अपराधी की हत्या कर वापस चला जाता था। छोटे अपराधी से डॉन बनने का सिलसिला ऐसे ही शुरू हुआ। 2017 में अजय वर्मा को मारी गई थी गोली 29 नवंबर 2017, स्कॉर्पियो से अजय वर्मा अपने साथी के साथ घर से कोर्ट जाने के लिए निकला। रास्ते में शूटर गुड्डू मुनीर अपने साथियों के साथ मिला। पहले अजय को प्रणाम किया और फिर पिस्टल निकाल कर गोली मार दी। गोली अजय के गले में लगी। गंभीर हालत में उस वक्त इलाके के एक हॉस्पिटल में उसे एडमिट कराया गया था। पुलिस जांच में इस वारदात के पीछे दोनों के बीच भागलपुर की एक जमीन का विवाद सामने आया था। पहले भी दोनों ने एक-दूसरे को देख लेने की धमकी दी थी। वर्मा को गोली मारने के बाद मुनीर फरार हो गया। जांच में CCTV फुटेज के आधार पर अपराधी गुड्‌डू मुनीर और उसके साथियों की पहचान की थी। पटना में बैठकर देखा मुनीर की हत्या का लाइव गोली लगने से घायल हुए अजय वर्मा को ठीक होने में लंबा वक्त लगा। हालांकि उसने गोली मारने वाले शूटर गुड्‌डू मुनीर को अपने टारगेट पर ले लिया था। बात 2021 की है। सूत्रों के अनुसार, अपने गुर्गों के जरिए वर्मा ने गुड्‌डू मुनीर का लोकेशन दिल्ली में खोज निकाला। वहां के खजूरी खास थाना इलाके के तहत अपने शूटर के जरिए गोली मारकर गुड्‌डू की हत्या करा दी। 4 साल में लिया बदला वर्मा ने अपने ऊपर हुए जानलेवा हमले का बदला 4 साल के अंदर ले लिया। बड़ी बात यह है कि पटना में बैठकर अपने गुर्गे के जरिए उसने मोबाइल से इस हत्या को लाइव देखा था। इस मामले में भी खजुरी खास थाना में अजय वर्मा के खिलाफ हत्या का केस दर्ज है। वैसे इसके ऊपर सिर्फ पटना के थानों में हत्या, रंगदारी समेत क्राइम के 28 से अधिक केस दर्ज हैं। 24 जून को STF ने गिरफ्तार किया था 24 जून को बिहार STF और पटना पुलिस की टीम ने मिलकर अजय वर्मा को उसके तीन साथियों के साथ हत्या की प्लानिंग मामले में गिरफ्तार किया है। पटना में छापेमारी कर जब पुलिस ने वर्मा को पकड़ा तो पास से एक जर्मन मेड पिस्टल, एक इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का रिवॉल्वर, 98 गोली, दो मैगजीन, चार मोबाइल, एक डोंगल और एक फोर व्हीलर बरामद किया था। गिरफ्तारी के बाद से ही वो बेऊर जेल में बंद है। 4 लोगों की हत्या की थी प्लानिंग, लेकिन गुर्गे पकड़े गए साल 2016 में पटना पुलिस की टीम ने अपने इनपुट पर बड़ी कार्रवाई की थी। अजय वर्मा गैंग के 9 अपराधियों को गिरफ्तार किया था। उस टाइम अजय खुदे बेऊर जेल में बंद था। जब पुलिस ने खुलासा किया तो चौंकाने वाली बातें सामने आईं। अदावत, आमदनी और आतंक की वजह से 4 लोगों की हत्या होने वाली थी। इसमें अजय वर्मा के निशाने पर पटना के दो कारोबारी और दो अपराधी थे। इनकी ही हत्या होनी थी। एक कारोबारी की हत्या के लिए इसने 5 लाख की सुपारी ले भी ली थी। इसी तरह अपराधी लड्डू और खरगोश की भी हत्या की प्लानिंग थी। सारी वारदातों को एक के बाद एक अंजाम दिया जाना था। जबकि, एक सर्राफा कारोबारी को लूटने की तैयारी थी। कुम्हरार से चुनाव लड़ने की थी तैयारी अपराध की दुनिया में अपना राज कायम करने के बाद अजय वर्मा की तैयारी पटना के कुम्हरार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की थी। 2020 के विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी हो रही थी। चुनाव अभियान से जुड़े सोशल मीडिया पर डाले गए कई पोस्ट भी मिले हैं। उस दौरान पूरे इलाके में अलग-अलग तरह के कैंपेन चलाए गए थे। अजय वर्मा चाहता था कि कांग्रेस पार्टी से उन्हें टिकट मिल जाए। लेकिन, उस दौरान सीटों के बंटवारे में कुम्हरार की सीट राजद के खाते में चली गई। इस कारण वर्मा के अपराधी से माननीय बनने का सपना टूट गया। ——————– ये खबर भी पढ़ें पटना में गोपाल खेमका का अंतिम संस्कार,बेटे ने दी मुखाग्नि:कारोबारी के घर के बाहर से एक संदिग्ध पकड़ा गया, हर मूवमेंट पर रख रहा था बिहार के बड़े उद्योगपति गोपाल खेमका का आज यानी रविवार को पटना के गुलबी घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। छोटे बेटे गौरव खेमका ने पिता के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी। पिता की हत्या की खबर सुनकर स्कॉटलैंड से बेटी गरिमा खेमका घर पहुंचीं और पिता के शव से लिपटकर रो पड़ीं। गोपाल खेमका के घर के बाहर से एक संदिग्ध को हिरासत में लिया गया है। जब शव यात्रा निकल रही थी तो यह संदिग्ध वहीं मौजूद था। हर गतिविधि पर इसकी नजर थी। DSP लॉ एंड ऑर्डर को युवक की गतिविधि संदिग्ध लगी, उसके बाद उसे हिरासत में लेकर गांधी मैदान थाने लाया गया। जहां उससे पुलिस पूछताछ कर रही है। पूरी खबर पढ़ें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *