लुधियाना के कारोबारी का कमाल:बिना ट्रेनिंग ऊंची चोटियां फतह कर डालीं, बर्फ में फंसे, भूखे भी रहे; तिरंगा-जैन संप्रदाय का झंडा गाड़ा

पंजाब के लुधियाना का हौजरी कारोबारी भवनीश जैन 32 साल की उम्र में देश की 22 ऊंची चोटियों को फतह कर चुके हैं। भवनीश जैन को पर्वतारोहण का ऐसा जनून है कि वह बिना ट्रेनिंग के ही ऊंची चोटियों पर चढ़ने लगे। उन्होंने अपनी बेटी का नाम तक K-2 रख दिया। यही नहीं 2019 में गंभीर रूप से बीमार होने के बाद उन्होंने पर्वतारोहण का शौक नहीं छोड़ा और बीमारी से उबरने के बाद उन्होंने 6000 मीटर ऊंची 3 चोटियां फतह कर दी। भवनीश जैन एक दिन पहले ही लेह लद्दाख की 6080 मीटर ऊंची UT-कांगड़ी हिल को फतेह करके आया है। उसने UT-कांगड़ी हिल पर देश का तिरंगा व जैन संप्रदाय का झंडा फहराया। इस चोटी को फतह करने में उनके साथ नोएडा की पर्वतारोही पूजा भी शामिल थी। इस चोटी को फतह करने में उन्हें चार दिन का समय लगा। पर्वतारोहण को लेकर कारोबारी ने क्या बताया बिना ट्रेनिंग के शुरू किया था पर्वतारोहण
कारोबारी भवनीश जैन ने बताया कि पर्वतारोहण बेहद ही टेक्निकल काम है। उसके लिए काफी सारी तकनीकों की जरूरत होती है लेकिन उन्होंने बिना ट्रेनिंग और कोर्स किए ही पर्वतारोहण शुरू कर दिया था। यहां तक कि 6000 मीटर की दो चोटियां और एवरेस्ट के बेस कैंप-3 तक पर्वतारोहण बिना ट्रेनिंग के ही किया। उसके बाद बिना ट्रेनिंग के ही लेह लद्दाख की स्टोक कांगड़ी को फतह किया। फिर एवरेस्ट के बेस कैंप-3 तक फतह की। दिक्कत आई तो दार्जिलिंग से कोर्स किया
भवनीश जैन ने बताया कि 2020 में उत्तराखंड की कलंदी खाल चोटी को फतह किया तो उस दौरान लगा कि अब उन्हें तकनीकी तौर पर फिट होने के लिए ट्रेनिंग लेनी होगी। इसके बाद से ही पर्वतारोहण का कोर्स करने के लिए इंस्टीट्यूट देख रहे थे। फार्म भरे लेकिन नंबर नहीं पड़ा। 2024 में उन्हें HMI में दाखिला मिला और फिर उन्होंने अप्रैल 2025 में अपना कोर्स पूरा किया। अब वो तकनीकी तौर पर भी पर्वतारोहण के लिए फिट हैं। साथी गले तक बर्फ में फंसा, 2 दिन खाना नहीं मिला
कारोबारी भवनीश जैन बताते हैं कि जब वह गंगोत्री से बद्रीनाथ के बीच की चोटियां यानी कलंदी खान पर चढ़ने गए थे। जहां कई बुरे अनुभव हुए। 110 किलोमीटर के इस रास्ते में एक साथी बर्फ में गले तक धंस गया। उसे निकाला तो कुछ आगे जाकर मैं खुद बर्फ में धंस गया। इस दौरान लगा कि अब घर वापस नहीं जाएंगे। 13 दिन की इस यात्रा में 2 दिन बगैर खाने के चलते रहे। थोड़े से ड्राईफ्रूट्स पड़े थे सभी उनसे ही काम चला रहे थे। फिर माना टॉप की तरफ आर्मी कैंप में गए और वहां पर खाना मिला। एवरेस्ट फतह करना मुख्य लक्ष्य
भवनीश जैन ने बताया कि उनका अगला लक्ष्य दुनिया के सभी सात महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों को फतह करना है। उन्होंने बताया कि माउंट एवरेस्ट फतह करना उनका मुख्य लक्ष्य है। माउंट एवरेस्ट से पहले वो 7000 मीटर ऊंची कुछ चोटियों को फतह करेंगे और उसके बाद माउंट एवरेस्ट पर चढ़ेंगे। पर्वतारोहण कितना मुश्किल, जानिए वजहें… फोटोग्राफी के शौक ने बना दिया पर्वतारोही
कारोबारी भवनीश जैन को फोटोग्राफी का शौक है और वो फोटोग्राफी के लिए पहाड़ों पर जाते रहे हैं। फोटोग्राफी में उन्हें सनराइज व सनसेट की फोटो खींचना बेहद पसंद है। सनराइज व सनसेट की बेहतरीन लोकेशन ढूंढ़ने के लिए वो पहाड़ों की चोटियों पर जाते रहे और धीरे-धीरे पहाड़ों पर चढ़ना उन्हें अच्छा लगने लगा और वो पर्वतारोही बन गए। ट्रिप से आता था तो दादी बोलती थी फोटो दिखा
भवनीश जैन का कहना है कि उसे पर्वतारोही बनाने में उसकी दादी का अहम योगदान है। उन्होंने बताया कि उनकी दादी बुजुर्ग होने की वजह से कहीं आ जा नहीं सकती थी। उन्होंने बताया कि जब मैं किसी ट्रिप से घर आता था तो मेरी दादी सबसे पहले उस जगह की फोटो मांगती थी। इसलिए ट्रिप पर जाने से पहले वो अच्छी फोटो प्लान कर लेते थे। दादी को दिखाने के लिए फोटो खींचते-खींचते फोटोग्राफी का शौक पैदा हुआ और फिर उसी शौक ने पर्वतारोही बना दिया। बेटी के नाम K पर रखना था तो मैंने K2 रख दिया
भवनीश जैन ने बताया कि वो अपना कारोबार चलाते हैं लेकिन उनके दिमाग में दुनिया की ऊंची चोटियां घूमती हैं। जब उनकी बेटी हुई और उसका नामकरण हो रहा था तो पंडित जी ने कहा कि K पर नाम रखना है तो मैंने तुरंत कह दिया कि K-2 रख दो। घर के लोगों ने भी उसका यह नाम स्वीकार कर दिया। अब सभी उसे इसी नाम से पुकारते हैं। माउंट एवरेस्ट के बाद केटू दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है।

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