लुधियाना जिला भाजपा में प्रधान पद के 7 दावेदार:सूची प्रदेश कार्यसमिति के पास पहुंची, वर्तमान प्रधान भी फिर दावेदार

पंजाब में भारतीय जनता पार्टी ने जिला स्तर पर संगठन का पुनर्गठन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। जल्दी ही भाजपा राज्य में जिला प्रधान नियुक्त कर देगी। माना जा रहा है कि जनवरी पहले सप्ताह तक पार्टी जिला प्रधानों की नियुक्ति कर देगी। जिला प्रधानों की नियुक्ति लंबे समय से पेंडिंग है। लुधियाना शहरी जिले से प्रधान पद के लिए सात नेताओं ने दावेदारी जताई है। सातों दावेदारों की सूची प्रदेश कार्य समिति के पास पहुंच गई है और पार्टी सूची में शामिल नामों के अलावा कुछ अन्य नामों पर भी चर्चा कर रही है। दावेदारों में वर्तमान प्रधान रजनीश धीमान, उपाध्यक्ष महेश दत्त शर्मा व जिला भाजपा महिला मोर्चा की प्रधान शीनू चुघ का नाम भी शामिल है। चुनावी साल में भारतीय जनता पार्टी के लिए नए प्रधान का चुनाव करना मुश्किलें खड़ी कर रहा है। पार्टी ऐसे समय में उस नेता को बागडोर देने की सोच रही है जिसकी शहर के इंडस्ट्रियलिस्ट से लेकर जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी पकड़ हो। प्रधान पद के दावेदारों के मजबूत व कमजोर पक्ष, जानिए: रजनीश धीमान : रजनीश धीमान दिसंबर 2022 से पार्टी के प्रधान हैं। उनकी अगवाई में पार्टी ने लोकसभा चुनाव व निगम चुनावों में अच्छी बढ़त हासिल की। लोकसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में भाजपा उम्मीदवार रवनीत सिंह बिट्‌टू लुधियाना के पांच हलकों में बहुत आगे रहे और छठे हलके में भी मामूली अंतर से पीछे रहे। वहीं नगर निगम चुनाव में भी भाजपा ने 19 सीटें हासिल की। इनका कमजोर पक्ष है कि इनका जमीनी स्तर पर कोई ठोस आधार नहीं है। पुष्पिंदर सिंगल: पुष्पिंदर सिंगल पार्टी के पूर्व जिला प्रधान हैं। कार्यकर्ताओं के लिए लड़ने वाले नेताओं में से एक हैं। इनके नेतृत्व में पार्टी ने तात्कालिक कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले रखा। इसके अलावा शहर के बड़े उद्यमियों व व्यापारियों से भी इनके अच्छे संबंध हैं। इनका कमजोरी इनका गुस्सा और जमीनी स्तर पर कमजोर पकड़ है। दिनेश सरपाल: दिनेश सरपाल पंजाब व्यापार सेल के लंबे समय से अध्यक्ष हैं। शहर के बड़े व्यापारिक घरानों से इनके अच्छे संबंध हैं। पार्टी नेताओं से भी अच्छे संबंध माने जाते हैं। कमजोर पक्ष यह है कि ये भी इलेक्शन पॉलिटिक्स में नहीं रहे तो इनकी भी जमीनी स्तर पर पकड़ नहीं है। महेश दत्त शर्मा: पार्टी ने युवा चेहरे को मौका दिया तो इनकी दावेदारी सबसे मजबूत है। इनका मजबूत पक्ष यह है कि ये पार्टी के हर कार्यक्रम में सक्रियता से हिस्सा लेते हैं। कार्यकर्ताओं के साथ अच्छा कनेक्ट है। शहर के व्यापारियों व उद्यमियों से भी अच्छे संबंध माने जाते हैं। महेश दत्त शर्मा की मां व पिता कई बार पार्षद का चुनाव जीत चुके हैं। कमजोर पक्ष यह है कि इनके पास अनुभव की कमी है। सुनील मोदगिल: सुनील मोदगिल जिला महामंत्री रहे हैं और वर्तमान में पार्षद हैं। उन्होंने संगठन के साथ इलेक्शन पॉलिटिक्स मं खुद को साबित किया है। सात दावेदारों में से सिर्फ वही हैं जो चुनाव लड़कर जीते हैं। इनका कमजोर पक्ष यह है कि ये भाजपा के जिस गुट में हैं वो प्रदेश स्तर पर इस समय अलग-थलग है। शीनू चुग: जिला : शीनू चुग महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष हैं। सशक्त महिला हैं और शहर के बड़े औद्योगिक घरानों से इनके अच्छे संबंध हैं। पार्टी में शामिल होते ही इन्हें महिला मोर्चा की अध्यक्ष चुना गया था। कमजोर पक्ष यह है कि इनकी कार्यकर्ताओं पर अच्छी पकड़ नहीं है। राजेश्वरी गोसाई : राजेश्वरी गोसाईं प्रदेश कार्यकारिणी की सदस्य हैं। पूर्व मंत्री रहे सतपाल गोसाईं की बेटी हैं। सतपाल गोसाईं भाजपा के कद्दावर नेता रहे हैं। इनकी कमजोरी भी संगठन के कार्यकर्ताओं पर पकड़ न होना है।

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