लुधियाना नगर निगम की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव मेयर इंद्रजीत कौर ने विधायकों की आड़ लेकर हंगामे के बीच पास करवा दिया। निगम ने यह प्रस्ताव पास तो कर दिया लेकिन अगले दो साल नगर निगम की सीमा किसी भी हाल में नहीं बढ़ सकेगी। कांग्रेस पार्षद दल ने तय किया है कि वो इस प्रस्ताव के खिलाफ पंजाब सरकार को पत्र लिखकर अपना विरोध जाएंगे। दरअसल एक जनवरी 2026 से जनगणना के लिए सभी शहरों व गांवों की बाउंड्री फ्रिज हो जाएंगी और उनमें दो साल तक कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा। विपक्ष के पार्षदों का कहना है कि जब दो साल तक सीमा में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है तो मेयर व विधायकों ने इसे जबरन क्यों पास करवाया? 2026-27 में देशभर में अलग-अलग चरणों में मतगणना होनी है। उसमें हर गांव व शहर के आधार पर जनगणना, मकान व अन्य चीजों की गणना होनी है। ऐसे में किसी गांव या शहर की सीमा में उसके बाद न तो कटौती की जा सकती है और न ही उसमें बढ़ोत्तरी की जा सकती है। विपक्ष ने मेयर पर लगाया वादा खिलाफी का आरोप विपक्ष का मेयर से इस बात को लेकर भी विरोध है कि उन्होंने ऑल पार्टी मीटिंग में साफ कहा था कि नगर निगम की सीमा बढ़ाने को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं लाया जाएगा। मेयर ने यह भी वादा किया था कि इस प्रस्ताव को न तो सप्लीमेंट्री एजेंडे में शामिल किया जाएगा और न ही इसे टेबल एजेंडे के तौर पर पेश किया जाएगा। नगर निगम हाउस की बैठक शुरू होते ही जब पार्षदों को सप्लीमेंट्री एजेंडा दिया गया तो पता चला कि उसमे इस प्रस्ताव को भी शामिल किया गया। विपक्षी पार्षदों ने कहा कि मेयर ने इस प्रस्ताव को शामिल करके वादा खिलाफी की है। निगम के पास न तो प्लानिंग न ही ड्राइंग पार्षदों ने मेयर व कमिश्नर से इसकी प्लानिंग पूछी तो उन्हें न तो इसकी ड्राइंग दी गई और न ही इस पर विस्तार से चर्चा की गई। पार्षदों ने कहा था कि सिर्फ नगर निगम के आसपास बनी कॉलोनियों को शामिल करना है तो उस पर विपक्ष की भी सहमति है। विपक्ष ने 110 गांवों को नगर निगम में शामिल करने पर एतराज जताया। कांग्रेस सरकार को भेजेगी ऑब्जेक्शन लेटर नगर निगम में विपक्ष के नेता व कांग्रेस पार्षद दल के नेता शाम सुंदर मल्होत्रा ने कहा कि नगर निगम का दायरा डेहलों, ललतों, मलकपुर, लाडोवाल, बाजड़ा, जोधां, बद्दोवाल तक बढ़ाए जाना गलत है। उन्होंनें कहा कि आसपास की जो कॉलोनियां बनी हैं उनको शामिल करने पर कोई एतराज नहीं है लेकिन दूर-दूर के गांवों को शामिल करना सही नहीं है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस पार्षद दल इस मामले में सरकार को ऑब्जेक्शन लेटर भेजेगी। लिमिट बढ़ाने की चाबी अगली सरकार के हाथ होगी दो साल तक नगर निगम की लिमिट नहीं बढ़ाई जा सकेगी और एक साल बाद 2027 में सूबे में विधानसभा चुनाव होने हैं। नई सरकार के गठन के बाद ही लुधियाना नगर निगम की सीमा को बढ़ाने की मंजूरी दी जाएगी। जिससे साफ है कि 2027 में जो सरकार बनेगी उसके हाथ में ही नगर निगम की लिमिट बढ़ाने की चाबी रहेगी। गिल और साहनेवाल हलके के गांव होंगे निगम में शामिल लुधियाना शहर के चारों तरफ गिल व साहनेवाल विधानसभा हलके के गांव हैं। ज्यादातर गांव अब शहर में शामिल हो चुके लेकिन वो अभी नगर निगम लिमिट के बाहर हैं जिसकी वजह से उन्हें शहरी सुविधाएं नहीं मिलती हैं। कई सालों से नगर निगम लिमिट बढ़ाने की डिमांड की जा रही है। नगर निगम का एरिया वर्तमान में करीब 160 वर्ग किलोमीटर है। 110 से ज्यादा गांव जोड़े जाने के बाद नगर निगम का दायरा ढाई से तीन गुणा बढ़ जाएगा और यह 400 वर्ग किलोमीटर तक हो जाएगा। तेजी से हो रहे शहरीकरण और शहर से सटे गांवों में बढ़ती आबादी को देखते हुए यह फैसला लिया जा रहा है। कई गांवों में पहले ही शहरी सुविधाएं विकसित हो चुकी हैं, लेकिन नगर निगम सीमा से बाहर होने के कारण वहां मूलभूत सेवाओं में दिक्कतें आ रही हैं। तीन दिन पहले कहा था मेयर ने सर्वे पूरा नहीं हुआ तीन दिन पहले मेयर इंद्रजीत कौर ने कहा था कि नगर निगम की सीमा बढ़ाने के लिए जो सर्वे किया जाना था वह पूरा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इसे तकनीकी तौर पर देखा जाना है इसलिए अभी वक्त लगेगा। अब सवाल यह उठता है कि जब मेयर तीन पहले कह रही थी कि तैयारी पूरी नहीं तो अब अचानक कैसे काम पूरा हो गया और प्रस्ताव पेश करके पास भी करवा दिया। लंबे समय से हो रही हैं निगम सीमा बढ़ाने की कोशिशें मेयर इंद्रजीत कौर का कहना है कि 1995 के बाद दो बार पहले भी नगर निगम की लिमिट बढ़ाने की कोशिश की गई। उन्होंने बताया कि 2009 और 2016 में भी नगर निगम की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव हाउस की बैठक में आया था। तब ये प्रस्ताव पास नहीं हुए थे। अब उन्होंने प्रस्ताव पास करवा दिया है। उन्होंने कहा कि नगर निगम की सीमा बढ़ने से निगम की आय व संपत्ति में भी बढ़ोत्तरी होगी। कमिश्नर का तर्क, 10 साल में 9 हजार करोड़ आय होगी नगर निगम कमिश्नर आदित्य डेचलवाल ने पहले नगर निगम लिमिट बढ़ाए जाने के फायदे गिनाए। उन्होंने बताया कि 110 गांवों को शामिल करने से नगर निगम को 10 साल में 9 हजार करोड़ रुपए की आय होगी। इसके अलावा पंचायतों की जमीनें भी हैं जो नगर निगम की अचल संपत्ति बन जाएंगी। उन्होंने कहा कि नगर निगम के कई प्रोजेक्टों के लिए जमीन की आवश्यकता होती है। जमीन न होने पर सरकार से मंजूरी नहीं मिल पाती है। मीटिंग के बाद बोले कमिश्नर, दो साल कुछ नहीं होना हाउस की बैठक के बाद कमिश्नर ने कहा कि अब प्रस्ताव पास हुआ है इसे लोकल बॉडी डिपार्टमेंट को भेजेंगे। उसके बाद डायरेक्टर लोकल बॉडी मंत्री के पास इसे पेश करेंगे और फिर सरकार के पास। इसी प्रक्रिया में काफी समय लग जाना है जबकि 1 जनवरी से नगर निगम व गांवों की बाउंड्रीज जनगणना के लिए फ्रिज हो जाएंगी। ऐसे में दो साल तक इस प्रस्ताव पर कुछ नहीं होना है।