वाराणसी में 30 हजार परिवार बाढ़ में घिरे:400 परिवार रेस्क्यू हुए, 1 हजार से सामान शिफ्ट किया; लोग बोले- नाव से सब्जी-दवा पहुंच रही

वाराणसी के 30 हजार घरों तक वरुणा नदी का पानी पहुंच चुका है, बाढ़ जैसे हालात हैं। 400 परिवारों को सुरक्षित सेफ कैंप में लाया गया है। जो परिवार पानी के बीच इन इलाकों में रहने को मजबूर हैं, उनकी मदद के लिए 2 नाव लगातार चलाई जा रही हैं। 1 हजार परिवार घरों के ऊपर की मंजिलों पर अपने सामान शिफ्ट कर चुके हैं। कई परिवार ऐसे हैं, जो 2 महीने के लिए कमरा किराये पर लेकर शिफ्ट हो चुके हैं। दैनिक भास्कर वाराणसी जिला मुख्यालय से सिर्फ 2Km दूर बाढ़ जैसे हालात का जायजा लेने के लिए 8 इलाकों में पहुंचा। पढ़िए रिपोर्ट… गंगा-वरुणा में उफान से बढ़ा खतरा
बता दें कि वाराणसी में गंगा और वरुणा उफान पर हैं। पहले गंगा नदी के किनारे घाट डूबे, अब नदियों का पानी रिहायशी इलाकों तक पहुंच गया है। वरुणा नदी के किनारे बसे 8 इलाकों के परिवार बाढ़ के पानी से घिर चुके हैं, उनकी रोजमर्रा की जिंदगी बुरी तरह प्रभावित है। लोगों ने बताया कि शहर के 8 मोहल्ले दनियालपुर, ढ़ेलवारिया, कोनिया, नक्खीघाट, सलारपुर, हुकुलगंज, सरैया और नई बाजार के आसपास छोटे मकान के लोग अपनी जरूरत के सामान को समेटकर अब पलायन शुरू कर चुके है। यहां लोगों से बातचीत करने के बाद पता चला कि 400 से ज्यादा परिवार राहत शिविरों में पहुंच चुके हैं। नाव की ड्यूटी लगी, लोग मदद को बुलाते हैं…
बाढ़ जैसे हालात को समझने के लिए भास्कर टीम सबसे पहले नक्खीघाट इलाके में पहुंची। यहां पुलपार मुस्लिम बस्ती पूरी तरह से जलमग्न हो चुकी है। यहां लोगों की मदद के लिए 2 नाव की ड्यूटी लगा दी गई है। मगर यहां आबादी के हिसाब से नाव कम पड़ रही थीं। लोग नाव का इंतजार करते हुए दिखे। कुछ लोग रोजमर्रा की जरूरत की चीजों को लेकर घर तक जाना चाहते थे, कुछ शहर जाने के लिए नाव का इंतजार करते हुए दिखे। नाविक बोले- 1 दिन में 500 से ज्यादा लोगों को पहुंचा पाते हैं
भास्कर टीम भी एक नाव पर सवार हो गई। नाविक मनोज साहनी से हालात समझने का प्रयास किया। वह कहते हैं- हम सभी यहां रात 10 बजे तक रहते हैं। लोकल लोगों को हमारे नंबर दिए गए हैं, अगर कोई इमरजेंसी होती है तो हम रात में भी पहुंच जाते हैं। वरुणा क्षेत्र के नक्खी घाट के मुस्लिम बस्ती में नाव चला रहे मनोज साहनी ने बताया- हम लोग 3 किलोमीटर दायरे की कॉलोनी को कवर करते हैं। दिन भर में 500 से ज्यादा लोगों को हम लोग घर से लेकर सुरक्षित स्थान पर छोड़ते हैं और फिर वहां से उनके घर तक छोड़ते हैं। यह सिलसिला रात 8 बजे तक जारी रहता है। इस समय दो स्टीमर और दो हाथ वाली नाव लगाई गईं हैं। इसका किसी को पैसा नहीं देना होता है। अहमद बोले- इलाके के 300 घर डूबे
इस नाव पर अहमद भी बैठे हुए थे। उन्होंने बताया कि इस कॉलोनी में कुल 300 मकान हैं, जो पूरी तरह से पानी में डूब गए हैं, इस कॉलोनी से निकलने के लिए सिर्फ नाव की ड्यूटी लगाई गई है। जब हमें जरूरत होती है, तो हम नाव वालों को बुलाते हैं और फिर सड़क तक पहुंच पाते हैं। हमने पूछा- कैसी समस्याएं फेस कर रहे हैं? उन्होंने बताया कि मुश्किलें काफी ज्यादा हो गई है, अगर घर में कोई बीमार हो जाता है, तो उसे अस्पताल ले जाने में भी काफी दिक्कत होती है। सरकार से उम्मीद है कि हमें पर्याप्त राशन मिले, जिससे हम लोगों को थोड़ी राहत मिले। जब बच्चों को स्कूल जाना होता है तो सुबह इसी नाव से जाते हैं। सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि बाढ़ का पानी घरों तक न पहुंचे। फरीदा बानो ने कहा- हम दूसरी मंजिल पर शिफ्ट हुए
नाव पर बातचीत करते हुए हम एक सफेद घर तक पहुंच गए। घर के अंदर 5 फीट तक पानी भरा हुआ था। दरवाजे पर एक महिला खड़ी थीं। बातचीत में सामने आया कि वो फरीदा बानो थीं, उन्होंने बताया– मेरा पूरा घर डूब गया है, मैं और मेरे पति घर की दूसरी मंजिल पर रहते हैं। 2022 में हमने यहां पर घर बनवाया था, तब से यह परेशानी हर साल होती है। सरकार की अगर कोई मदद आती भी है, तो वह सभी के घरों पर नहीं पहुंचती है, इस पर ध्यान देना चाहिए। मुकेश बोले- सामान पड़ोसी के घर रखकर बचाया करीब के घर मुकेश का था। उनसे भी मुलाकात हुई। वह कहते हैं कि मैं परिवार में अकेला हूं, माता-पिता का निधन हो गया है। पूरा घर डूब जाने के कारण अपने घर का सामान अपने पड़ोसी के घर में शिफ्ट कर दिया हूं। क्योंकि हमारा घर 1 मंजिल का है, पड़ोसी का घर 3 मंजिला है। अब राहत शिविर में रहने के लिए चला जाता हूं। अभी घर देखने आया था कि कहीं और नुकसान तो नहीं हो गया। डर तो बना ही रहता है। यहां के हालात समझते हुए टीम दीनदयालपुर पहुंचती हैं… 3 फीट पानी से होकर जा रहे मार्केट इसी इलाके में रहने वाले निजामुद्दीन कहते हैं – हमारा मकान दीनदयालपुर में आता है, पानी से होकर हम लोग घर का सामान लेने के लिए जाते हैं, अभी हमारी तरफ सरकार की कोई व्यवस्था नहीं हुई है। सड़क पर 3 फीट पानी भर गया है। बाढ़ के कारण काम धंधा भी बंद हो गया है। हम लोगों के कॉलोनी में 4 से 5 दिन पहले पानी पहुंचा था। सरकार से हम यह अपील करते हैं कि हमारे रहने और खाने की व्यवस्था की जाए। डरते हैं, कहीं अचानक जलस्तर बढ़ न जाए
यही हमारी मुलाकात अब्दुल से हुई। वह कहते हैं- इलाके में बाढ़ का पानी भर जाने के कारण रात में हमारे परिवार का एक व्यक्ति जागता रहता है, कहीं अचानक गंगा का जलस्तर ना बढ़ जाए। हम लोगों को डर लगा रहता है। बच्चों पर भी ध्यान देना रहता है कि कहीं वह खेलते हुए पानी में ना चले जाए। कभी भी हादसा हो सकता है। मगर यहां से जा भी नहीं सकते क्योंकि हमारे कहीं और रहने की कोई व्यवस्था भी नहीं है। अब मारुतिनगर का हाल 50 से ज्यादा मकानों तक पानी पहुंचा
अब टीम मारूति नगर पहुंची। इस कॉलोनी में गंगा नदी का पानी पहुंचा हुआ है। 50 से ज्यादा मकान में रहने वाले लोगों को आने-जाने में परेशानी हो रही है। बढ़ते जलस्तर के कारण बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। फिलहाल यहां जलभराव की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए ज्ञान प्रवाह नाले के पास एक बड़ा और चार छोटे पंप लगाए गए हैं, जिनके जरिए पानी को खींचकर गंगा में वापस छोड़ा जा रहा है। लोग बोले- मदद नहीं मिली, तो सड़क पर उतरेंगे
मारुति नगर के रहने वाले अनिल जायसवाल से हमारी मुलाकात हुई, वह कहते हैं- हम लोग काफी परेशान हो गए हैं, इसकी शिकायत हमने अपने पार्षद से भी की है। कॉलोनी में भरे नदी के पानी को जल्द से जल्द निकाला नहीं जाता है तो पब्लिक रोड पर आने को मजबूर हो जाएगी। उन्होंने बताया कि हर साल हम लोगों से कहा जाता है कि इस इलाके में बाढ़ का पानी नहीं घुसेगा, ऐसी व्यवस्था की जा रही है, मगर हर साल नाले के जरिए पानी घरों तक पहुंचता है, यहां रहना बहुत दूभर हो जाता है। अब प्रशासन का पक्ष डीएम बोले- कंट्रोल से निगरानी रख रहे
डीएम सत्येंद्र कुमार ने कहा – जिला प्रशासन की तरफ से बाढ़ राहत के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है, जो 24 घंटे एक्टिव रहता है। कोई बाढ़ में फंसा है या खाद्य सामग्री नहीं है, तो कंट्रोल रूम से जुड़े इन नंबरों पर कॉल करके मदद मांग सकता है। नगर निगम के अधिकारियों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों, राहत शिविरों और आसपास के इलाकों में साफ-सफाई, एंटी-लार्वा छिड़काव, फॉगिंग और चूने का छिड़काव करने को कहा गया है। 24 घंटे यहां नाव तैनात है। हादसा न हो, इसके लिए पुलिस ड्यूटी भी लगा दी गई है। हेल्पलाइन नंबर : …………………………….. यह भी पढ़ें : काशी में अंतिम संस्कार के लिए वेटिंग: मणिकर्णिका-हरिश्चंद्र घाट डूबे, 3000 नाविकों का काम ठप; 10 हजार दुकानदार शिफ्ट काशी का महा श्मशान मणिकर्णिका घाट गंगा में डूब गया है। घाट से करीब 15 फीट ऊपर एक रूफ टॉप पर श्मशान चल रहा है। यहां अंतिम संस्कार के लिए लाशों की लाइन लगी है। आलम ये है कि एक साथ 5-6 लाशें ही जलाई जा रही हैं। बाकी जितनी भी लाशें आ रही हैं, उनको चिता तक लाने के लिए 2 से ढाई घंटे इंतजार करना पड़ रहा है। लोग कफन से लिपटी लाशों के बीच बैठकर अपनी बारी आने की राह देख रहे हैं। जल चुकी लाशों पर नजरें टिकी हुई हैं। पढ़िए पूरी खबर…

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