बेगूसराय के सिमरिया में अखिल भारतीय सर्वमंगला आध्यात्म योग विद्यापीठ द्वारा ‘भारतीय संस्कृति एवं संस्कार में सिंदूर का महत्व’ विषय पर आयोजित किए जा रहे राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन के सत्र का शुभारंभ केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह एवं उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने दीप प्रज्वलित कर किया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि सिंदूर भक्ति और शक्ति के सामंजस्य का प्रतीक है। इसलिए सिंदूर के प्रतीक मां जानकी के इस धरा धाम को सजना ही चाहिए। इसके लिए बिहार सरकार प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही मिथिला का प्रवेश द्वार सिमरिया धाम का संपूर्ण विकास भी किया जाएगा। सिमरिया संपूर्ण मिथिला और बिहार पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र बन जाएगा। बोले- असुरी प्रवृति का नाश करने के लिए हमें क्रांति पुत्र बनना होगा समारोह के मुख्य अतिथि गिरिराज सिंह ने कहा कि अब हमें सनातनी संस्कृति की रक्षा के लिए ओम शांति के बदले ओम क्रांति के पाठ का प्रयोग करना चाहिए। दुनिया की कोई शक्ति हमारे सनातनी संस्कृति को क्षति नहीं पहुंचा सकता है। जिस तरह से यज्ञ की रक्षा के लिए प्रभु श्रीराम का अवतरण हुआ था, उसी तरह हमें असुरी प्रवृत्ति को नाश करने के लिए क्रांति पुत्र बनना होगा। केंद्र और बिहार सरकार मिलकर लोगों के कल्पना से भी बढ़कर सिमरिया धाम का विकास कर रही है, जल्द ही यहां जानकी पौड़ी भी बनेगी। 2029 में जब सिमरिया धाम में पूर्ण कुंभ होगा तो यहां वृहद कार्यक्रम होगा और यहां से श्रीराम एवं जानकी की रथ भी निकलेगी। पहले सिमरिया धाम आने वाले लोगों को 200 रुपया बैरियर लगता था, लेकिन राजस्व मंत्री ने इसका पुनः मूल्यांकन कर दिया। स्वामी चिदात्मन जी ने कहा कि आदि कुंभस्थली सिमरिया धाम सुशासन की सरकार में जागृत हो रहा है, यह गर्व की बात है। सिमरिया धाम में रीवर फ्रंट समेत अन्य सुविधाएं मिलने के बाद श्रीरामजानकी घाट पर स्थाई सीढ़ी घाट का निर्माण किया जा रहा है। अभी उसी श्रीरामजानकी घाट पर श्रीराम रथ और जानकी रथ का शिलान्यास किया गया है। सिमरिया में डबल ट्रैक रेल पुल निर्माण के दौरान आश्रम क्षतिग्रस्त हो गया था। आज फिर से सर्वमंगला विद्यापीठ कार्यालय का उद्घाटन उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा एवं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा किया जाना गौरवान्वित पल है। इस अवसर पर सर्वमंगला द्वारा प्रकाशित कुंभ संस्कृति एवं विघ्न विनाशक स्त्रोत्र संग्रह का लोकार्पण किया गया। आज के संगोष्ठी में मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रभाकर पाठक, इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. फुलेश्वर सिंह, प्राचार्य डॉ. विपिन कुमार झा, डॉ. रामकिंकर सिंह, मनोहर सिंह, प्रो. अवधेश झा ने व्याख्यान प्रस्तुत किया। संचालन डॉ. घनश्याम झा, विषय प्रवेश श्याम सहाय एवं धन्यवाद ज्ञापन दिनेश सिंह ने किया।