विवादों के बीच AAG विकास बराला ने नहीं किया जॉइन:18 जुलाई को नियुक्ति; रिटायर्ड जज की कमेटी ने सिफारिश की, थ्री रूल्स का पालन जरूरी

विवादों के बीच सहायक महाधिवक्ता (AAG) के पद पर नियुक्त होने के लगभग 10 दिन बाद भी राज्यसभा सांसद सुभाष बराला के बेटे विकास बराला ने कथित तौर पर अभी तक हरियाणा महाधिवक्ता (HAG) के दिल्ली कार्यालय में कार्यभार नहीं संभाला है। हालांकि, इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि उन्होंने कार्यभार ग्रहण किया है या नहीं। इस पूरे मामले को लेकर एजी ऑफिस के सूत्रों ने बताया कि उन्होंने अभी तक कार्यभार ग्रहण नहीं किया है। उनका नाम 18 जुलाई की सूची में तो था, लेकिन उनके कार्यभार ग्रहण करने की कोई सूचना नहीं मिली है। संकेत हैं कि उन्होंने अभी तक निर्धारित पद पर काम शुरू नहीं किया है। इसके बाद पूरी संभावना है कि विवादों को विराम देने के लिए हरियाणा सरकार विकास बराला के नियुक्ति के ऑर्डर वापस ले ले। यहां पढ़ते हैं AAG की नियुक्ति कैसे की जाती है… 1. जनवरी में निकाला था नियुक्ति विज्ञापन हरियाणा महाधिवक्ता कार्यालय में नियुक्तियों के लिए विज्ञापन जनवरी में जारी किया गया था। हरियाणा विधि अधिकारी (नियुक्ति) अधिनियम, 2016 में स्पष्ट किया गया है कि प्रारंभिक जांच-पड़ताल की सिफारिशें एक चयन समिति द्वारा विभिन्न व्यावसायिक मानदंडों, जिनमें निपटाए गए मामलों की संख्या भी शामिल है, को ध्यान में रखते हुए सरकार को की जाती हैं। 2. हाईकोर्ट के 2 रिटायरर्ड जजों की कमेटी ने की सिफारिश सूत्रों का कहना है कि विकास की नियुक्ति की सिफारिश हाईकोर्ट के दो रिटायर न्यायाधीशों वाली एक स्क्रीनिंग समिति ने की थी। नियुक्ति संबंधी आदेश गृह सचिव द्वारा 18 जुलाई को जारी किया गया था। उन्हें, पांच अन्य विधि अधिकारियों के साथ, हरियाणा सरकार द्वारा दिल्ली में राज्य के विधिक प्रकोष्ठ के लिए नियुक्त किया गया था। 3. FIR की देनी होती है जानकारी आवेदक को यह बताना ज़रूरी है कि क्या कोई एफआईआर दर्ज की गई है और क्या उसे किसी मामले में दोषी ठहराया गया है। लेकिन 2016 का कानून केवल ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति, नियुक्ति पर रोक लगाता है, जिसे नैतिक पतन से जुड़े किसी अपराध का दोषी ठहराया गया हो। विकास बराला का वह केस, जिससे नियुक्ति पर सवाल उठ रहे… तत्कालीन IAS की बेटी ने लगाए थे आरोप साल 2017 में तत्कालीन IAS अफसर की बेटी ने पुलिस से शिकायत की थी। युवती ने बताया था, ‘मैं रात 12:15 बजे सेक्टर-8 मार्केट से कार में घर के लिए निकली थी। फोन पर फ्रेंड से बात कर रही थी कि तभी सेक्टर-7 के पास पता चला कि एक टाटा सफारी गाड़ी मेरा पीछा कर रही है। मैंने रास्ता बदलने की कोशिश की, तो आरोपियों ने गाड़ी से रास्ता रोककर मुझे सेक्टर-26 की ओर चलने पर मजबूर कर दिया।’ गाड़ी भगाकर बचाई जान युवती ने आगे बताया कि अगले मोड पर दोबारा मुड़ने की कोशिश की, लेकिन आरोपियों ने फिर रास्ता ब्लॉक कर दिया। एक युवक गाड़ी से बाहर निकला और उसकी कार की ओर बढ़ा। इसके बाद मैंने कार रिवर्स कर राइट टर्न लिया और कार भगाई। इस बीच, मैंने 100 नंबर पर कॉल कर पुलिस को जानकारी दी। अपनी लोकेशन बताई। घर पर पिता को सूचना दी। पीड़िता ने बताया, ‘तभी हाउसिंग बोर्ड के पास सॉलिटेयर होटल के निकट आरोपियों ने दोबारा रास्ता ब्लॉक कर दिया। अब मेरे भागने का कोई रास्ता नहीं था। एक आरोपी गाड़ी से उतरकर मेरी तरफ आया और कार का दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन सेंट्रल लॉक होने के कारण दरवाजा नहीं खुला।’ युवती ने फोन करके गिरफ्तार करवाया पीड़िता ने बताया था कि इस दौरान सूचना पर चंडीगढ़ पुलिस की PCR आ गई। पुलिस ने पीछा कर दोनों आरोपियों को हाउसिंग बोर्ड लाइट पॉइंट के पास गिरफ्तार कर लिया। युवती ने पुलिस को फोन कर दोनों को गिरफ्तार करवाया। इसके बाद FIR दर्ज हुई तो मामला चर्चा में आया। 5 महीने बाद कोर्ट से मिली थी जमानत गिरफ्तारी के बाद विकास बराला पांच महीने जेल भी बंद रहा था। इसके बाद उसे पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। निचली अदालत ने 4 बार जमानत याचिका खारिज कर हुई थी। इसके बाद विकास बराला के वकील ने नियमित जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था। तब विकास को जनवरी 2018 में जमानत मिल पाई थी। वर्तमान में विकास बराला और उसका दोस्त आशीष इस मामले में जमानत पर है। जब घटना हुई, पिता सुभाष बराला प्रदेश अध्यक्ष थे 2017 में जब यह घटना हुई थी, उस समय विकास बराला के पिता सुभाष बराला बीजेपी के हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष थे। इसलिए विकास की गिरफ्तारी का मामला राजनीति गलियारों में सुर्खियां बना था। मामला तत्कालीन IAS की बेटी से जुड़ा होने की वजह से ही विकास की गिरफ्तारी हुई थी।

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