वोटर वेरिफिकेशन-कागज असली या फर्जी, जांच नहीं हो रही:भास्कर के कैमरे पर 50 BLO बोले-हमारे पास जांचने का कोई तरीका नहीं, जो कागज आ रहे यही अंतिम

‘हमारे पास किसी भी वोटर का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन करने की कोई व्यवस्था नहीं है। न ही हम किसी प्रकार के कागज की जांच करते हैं। जो मिला वो फीड कर देते हैं, अब ये असली है या फर्जी हम क्या जाने। हां, ये जरूर है कि जो कागज मिल रहे वही अंतिम हैं।’ ऐसी बातें कहते हुए 50 से ज्यादा BLO भास्कर के खुफिया कैमरे में कैद हुए। अब बड़ा सवाल यह है कि जो सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट दिए जा रहे हैं, उनकी जांच कौन करेगा? अगर कोई बांग्लादेशी और रोहिंग्या पहले से जाली डॉक्यूमेंट बनवाकर वोटर लिस्ट में अपडेट करा चुका है तो उसे कैसे पकड़ा जाएगा। भास्कर इन्वेस्टिगेशन में पढ़िए और देखिए BLO खुफिया कैमरे पर क्या बोल रहे हैं? BLO-1: डॉक्यूमेंट जांचने की व्यवस्था नहीं पश्चिमी चंपारण के बगहा में हमारी मुलाकात BLO दुर्गेश कुमार तिवारी और मनोज कुमार से हुई। पढ़िए…। रिपोर्टर- वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन में क्या-क्या डॉक्यूमेंट्स लग रहा है? BLO- 2003 की वोटर लिस्ट में जिन मतदाताओं का नाम है, वह जीवित हैं तो फार्म के साथ अपना वोटर लिस्ट लगा सकते हैं। जिनका जन्म 1987 के पहले हुआ है, 2003 में वोटर नहीं है, उनको 11 दस्तावेज में से कोई एक देना होगा। रिपोर्टर- अगर कोई ऑनलाइन कर दिया और उसमें अपना मैट्रिक का डॉक्यूमेंट्स लगा दिया तो उसका हो जाएगा? BLO- उसमें भी कंडीशन है। 1987 के पहले जिसका जन्म हुआ और 2003 में वोट नहीं दिए हैं, लेकिन उनके माता-पिता का नाम है तो उसकी एक फोटो कापी लगेगी। एक मैट्रिक का सर्टिफिकेट लगेगा। जातीय या निवास में से कोई एक लगेगा। 1987 से 2004 के बीच जन्म हुआ है तो उसको 11 में से एक डॉक्यूमेंट्स देना होगा। माता-पिता में से किसी एक का डॉक्यूमेंट्स लगेगा। 2004 के बाद जिनका जन्म हुआ है, उनका निवास, मैट्रिक का सर्टिफिकेट और माता पिता दोनों का डॉक्यूमेंट्स लगेगा। रिपोर्टर- यह भी तो हो सकता है कोई फेक डॉक्यूमेंट्स बनाकर दे दे, उसकी कैसे पहचान होगी। BLO- कोई फर्जी नहीं न देगा? रिपोर्टर- मान लीजिए कोई स्कैन करके गलत नीयत से दे दिया तो कोई जांच की व्यवस्था है कि उसे डिटेक्ट कर लिया जाए? BLO- निवास और जन्म प्रमाण-पत्र तो चाहिए ही चाहिए, इसलिए गड़बड़ी नहीं होगी? रिपोर्टर- अगर दोनों लगा दिया, लेकिन वह फर्जी है कि सही है, क्या इसकी जांच आप लोग कर सकते हैं? BLO- इसकी जांच के लिए तो हमारे पास कोई व्यवस्था नहीं है। मान लीजिए मैट्रिक का सर्टिफिकेट है, वह कंप्यूटर से अपना नाम एडिट कराकर और मां-बाप का नाम भी बदल दिया तो हम उसके अंदर तो बैठे नहीं है कि पकड़ लेंगे। वह सही है कि गलत है, हम इसका पता कैसे लगा सकते हैं। रिपोर्टर – फिर तो संदिग्ध भी वेरिफाई हो सकते हैं? BLO – कोई भी डॉक्यूमेंट्स को एडिट कर ही सकता है। निवास और अन्य डॉक्यूमेंट्स में भी फर्जीवाड़ा कर सकता है। कंप्यूटर का युग है, डॉक्यूमेंटस में आप कुछ भी कर सकते हैं। हम लोग इससे बचने के लिए वार्ड कमिश्नर और मुखिया लोगों का सहयोग ले रहे हैं। BLO-2: हमें तो सिर्फ 11 में से कोई एक डॉक्यूमेंट चाहिए छपरा के नई बाजार में हमारी मुलाकात एक BLO से हुई, उन्होंने भी साफ कर दिया कि जांच को लेकर हमारे पास कोई सुविधा नहीं है। रिपोर्टर- आप लोगों को कौन-कौन से डॉक्यूमेंट्स लेना है? BLO- निवास, जातीय, आवासीय, शैक्षणिक प्रमाण पत्र लेकर कुल 11 तरह के डॉक्यूमेंट्स हैं। रिपोर्टर- डॉक्यूमेंट्स में तो फर्जीवाड़ा भी हो सकता है? क्या आप लोग डॉक्यूमेंट्स की जांच कर सकते हैं? BLO- डॉक्यूमेंट्स की जांच हम नहीं कर सकते हैं। हमारे पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। आयोग के तय 11 डॉक्यूमेंट्स में से किसी की भी जांच हम नहीं कर सकते। बस हमें 2003 की वोटर लिस्ट से मिलान करना है। वही कर सकते हैं। कागज असली है या नकली, इसकी जांच नहीं कर सकते हैं। रिपोर्टर- कोई व्यक्ति दूसरे का एपिक नंबर दे देता है और अपना डॉक्यूमेंट्स टेंप करके फर्जी दे देता है, तब आप कैसे जांच कीजिएगा? BLO- इसकी जांच के लिए अपने पास कोई व्यवस्था नहीं है। BLO-3: नेपाल का आदमी भी बिहार का निवास देगा तो वोटर बन सकता है मधुबनी में भी BLO ने हमें वही जानकारी दी… रिपोर्टर- नाम जुड़वाने के लिए क्या-क्या डॉक्यूमेंट्स होना चाहिए? BLO- इसके लिए दो डॉक्यूमेंट़स चाहिए? एक जन्म से जुड़ा हो और दूसरा आवासीय चल सकता है। रिपोर्टर- अगर मान लीजिए कोई नेपाल का है तो उसका नाम कैसे जुड़ सकता है? BLO- इसके लिए 7 साल यहां रहना होगा फिर 8वें साल में बनेगा। रिपोर्टर- अगर किसी का जुड़वाना है तो कैसे जुड़वाया जा सकता है? BLO- अगर नेपाल का नागरिक है, यहां का निवास देता है तो बन सकता है। रिपोर्टर- अगर हम दिखा देते हैं कि यहीं पर रहते हैं तो? BLO- बन तो जाएगा, लेकिन जो BLO बनाएगा उसकी गर्दन फंस सकती है। रिपोर्टर- गलत बन तो सकता है ना ? BLO- हां बन तो सकता है, लेकिन वही है, जो बनाएगा वह नप जाएगा। आप तो बनवा कर चले जाइएगा। जिसको लालच होगा वही इस काम को कर सकता है। BLO-4: हमलोग तो अपलोड कर सकते हैं, जांच क्या करेंगे छपरा में हमारी मुलाकात वार्ड नंबर 3 और 9 के BLO से हुई…। रिपोर्टर- बाहर के लोग अगर कागजों में हेरफेर करके नाम जुड़वाने का आवेदन दे तो क्या आप पकड़ सकते हैं? BLO- हम कागजों की जांच कैसे कर सकते हैं, हम लोग तो अपलोड कर देंगे। रिपोर्टर- अगर फर्जी रिलेशन का कागज बनवाकर मैट्रिक का प्रमाण-पत्र लगा दे तो क्या होगा। BLO – अगर कागज जो मांगा जा रहा है, वह मिल रहा है तो हम क्या कर सकते हैं। जांच का ऑप्शन होता तो असली नकली भी पकड़ लेते। रिपोर्टर- अगर आप कागज अपलोड कर दिए तो संदिग्ध भी लिस्ट में आ जाएगा? BLO- हां, अब तो विभाग जाने क्या करना है। अफसर बोले- अभी नहीं हो रही जांच, वो आगे की प्रक्रिया है किशनगंज में हमारी मुलाकात DRDA के डायरेक्टर और उप निर्वाचन पदाधिकारी से हुई। डॉक्यूमेंट्स की जांच को लेकर वह भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। रिपोर्टर- BLO बिना किसी डॉक्यूमेंट्स की डिमांड के वेरिफिकेशन कर रहे हैं? उप निर्वाचन पदाधिकारी- ऐसा नहीं होगा? जिसके पास डॉक्यूमेंट्स है वो देगा, जिसका नहीं बना है, उन्हें समय दिया गया है। बाद में डॉक्यूमेंट्स दे सकते हैं। रिपोर्टर- BLO जो डॉक्यूमेंट्स ले रहे हैं, उसका सत्यापन वह कैसे कर रहे हैं? वह ऑरिजनल है या फिर डुप्लीकेट है? कोई एप दिया गया है? उप निर्वाचन पदाधिकारी- BLO 11 दस्तावेज में से कोई एक देगा। उस पर ERO चेक करेंगे डिसीजन लेंगे। रिपोर्टर- BLO के स्तर से जांच की कोई व्यवस्था नहीं है? उप निर्वाचन पदाधिकारी- जांच की प्रक्रिया बाद में है। एक माह का दावा आपत्ति का समय दिया गया है। रिपोर्टर- जांच और डॉक्यूमेंट्स को लेकर बहुत कंफ्यूजन है? उप निर्वाचन पदाधिकारी- डॉक्यूमेंट्स कोई देगा तो उसे BLO को लेना है। अगर नहीं है तो ये अलग बात है। जो वोटर 2003 की लिस्ट में हैं, उन्हें वोटर लिस्ट की फोटो कॉपी लगानी है। 2003 में ये एक्सरसाइज हुई थी। ये सूची भी ऐसे लोगों के लिए साक्ष्य है। 1 अगस्त को जारी होगी प्री-वोटर लिस्ट बिहार राज्य निर्वाचन आयोग से जुड़े लोगों का कहना है, ‘अभी अधिक से अधिक फार्म कलेक्ट कराया जा रहा है। इसके बाद जांच होगी। सूची में जो भी शिकायत आएगी, उसकी जांच होगी। कोई गलत तरीके या जाली कागजात के सहारे वोटर लिस्ट में शामिल होगा तो वैधानिक कार्रवाई होगी।’ निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी (ERO) 1 अगस्त 2025 को प्रारूप निर्वाचक नामावली प्रकाशित करेंगे और उसमें किसी भी सूची में सुधार के लिए सुझाव आमंत्रित करेंगे। इसमें सुधार के लिए राजनीतिक दलों/मतदाताओं को एक माह का समय दिया जाएगा। चुनाव आयोग के मुताबिक, यदि किसी मतदाता को ERO के निर्णय से कोई आपत्ति हो तो वह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 24 के तहत जिला मजिस्ट्रेट एवं मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष अपील कर सकता है। ——————— इनपुट- आदित्य उपाध्याय (बगहा), धनंजय सिंह तोमर (छपरा), पिंकी झा (मधुबनी), दीपक कुमार (किशनगंज), ज्ञानशंकर (फुलवारी)। ग्राफिक- सौरभ कुमार

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