सफर-ए-शहादत… कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे संगत ने किया नाम सिमरन

भास्कर न्यूज | जालंधर गुरुद्वारा चरण कंवल साहिब, पातशाही छठी, बस्ती शेख में, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज की माता जी माता गुजरी जी, चारों साहिबजादों तथा चमकौर साहिब के समस्त शहीदों की स्मृति को समर्पित “सफर-ए-शहादत” समागम श्रद्धा, भावना और सम्मान के साथ मनाए गए। प्रधान मनजीत सिंह टीटू और जनरल सेक्रेटरी हरजीत सिंह बाबा ने बताया कि 7 दिनों तक चले इस समागम में उसे समय का संगत को एहसास करने के लिए गुरुद्वारा साहिब के खुले आंगन में प्रतिदिन नाम सिमरन, कीर्तन और काव्य रचनाओं के माध्यम से संगत ने अपनी हाजिरी भरकर अपने जीवन को सफल बनाया। संगत ने महान शहीदों की अनुपम शहादत को स्मरण करते हुए श्रद्धा सहित नतमस्तक होकर उनके चरणों में शीश नवाया। इस समागम का मुख्य उद्देश्य संगत को उस समय की कड़कती हुई ठंड का एहसास कराना था, जिस समय कड़कती ठंड में गुरु गोबिंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब की पावन पवित्र धरती को छोड़ा। परिवार का बिछुड़ना और चार साहिबजादों का शहीद होना आदि के इतिहास संबंधी संगत को रूबरू करवा कर उस समय की याद के साथ जोड़ना था। समागमों के दौरान बड़ी संख्या में संगत ने भाग लिया और गुरु का लंगर निरंतर चलता रहा, जिससे सेवा और सिमरन का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। इसी क्रम में विशेष रूप से बच्चों का कवि दरबार आयोजित भी किया गया। इसमें लगभग 50 से अधिक बच्चों ने शहीदों की स्मृति में विभिन्न कविताएं प्रस्तुत कर संगत को निहाल किया। बच्चों की भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने शहादत के इतिहास को सजीव कर दिया। समस्त समागम श्रद्धा, सेवा और सिमरन का एक अनोखा संगम सिद्ध हुए, जहां संगतों ने महान शहीदों की स्मृति में एकत्र होकर गुरु चरणों में अपनी सच्ची अरदास अर्पित की। यहां गुरुद्वारा साहिब के प्रधान मनजीत सिंह टीटू, जनरल सेक्रेटरी हरजीत सिंह बाबा, अमरप्रीत सिंह रिंकू, इंदरजीत सिंह बब्बर, तरलोचन सिंह छाबड़ा, प्रीतपाल सिंह लक्की, जसप्रीत सिंह हनी, हरप्रीत सिंह सहित असंख्य सेवादारों ने दिन-रात निष्काम सेवा करके महान शहीदों की स्मृति को समर्पित इन समागमों को सफल बनाया।

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