‘जिस तरह से जया प्रदा को प्रताड़ित किया गया, उसी तरह का कुछ लोग ख्वाब देख रहे हैं। लेकिन, मुझे डराने की कोशिश न करें। रामपुर की जनता मेरे साथ खड़ी है। आजम खान ने 2024 के चुनाव का बहिष्कार किया, उनके लोगों ने बसपा को वोट दिया।’ ये कहना है रामपुर के समाजवादी पार्टी के सांसद मौलाना मोहिबुल्ला नदवी का। उन्होंने कहा, पहले के लोगों ने रामपुर में एक मेडिकल कालेज तक नहीं बनवाया। पहले रामपुर खुशहाल शहरों में हुआ करता था। रामपुर में अब आजमवादी गैंग खत्म हो गया है। आजम खान के कायद और आलिम फाजिल जैसे तंज पर कहा, मैं तो मुझे मस्जिद का लोटा कहिए। मोहिबुल्ला नदवी का दैनिक भास्कर के साथ खास इंटरव्यू …पढ़िए क्या कुछ कहा… सवाल: रामपुर से आप सांसद हैं, क्या आपकी आजम खान से अब तक कोई मुलाकात हुई? मोहिबुल्ला नदवी: आजम खान पार्टी के बड़े नेता हैं। जब वे जेल में थे, उस वक्त भी हम लोगों की तरफ से दुआओं का सिलसिला जारी था। जब उनकी रिहाई हुई तो हमने उनके पास मैसेज भेजा कि हम मिलना चाहते हैं। कोई जवाब नहीं आया। उनके बेटे अब्दुल्लाह को मैसेज भिजवाया, उसका भी जवाब नहीं आया। मौलाना आजाद के बाद रामपुर की जनता ने एक इमाम को जिस तरह से चुना है, हम लोगों को लग रहा था कि वे दुआओं से नवाजेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सवाल: नाराजगी की वजह क्या है? मोहिबुल्ला नदवी: ये तो अल्लाह ही जान सकता है कि नाराजगी की वजह क्या है? और मैं तो इस पर हैरान हूं कि इस वक्त पूरे हिंदुस्तान में इतने मसले हैं, उन्हें सिर्फ ले दे के मेरी ही जात का मसला सबसे अहम लग रहा है कि एक गांव में पैदा होने वाला मस्जिद का इमाम रामपुर का सांसद कैसे बन गया। हमारे बुजुर्ग कई सौ साल पहले पलायन होकर यहां आए। वहां के लोग मुझे जानते हैं। सवाल: आजम जिन लहजों का इस्तेमाल कर रहे हैं, तकलीफ पहुंचती है आपको? मोहिबुल्ला नदवी: जाहिर सी बात है कि एक इतने बड़े जिम्मेदार आदमी से इस तरह की बातें…। एक बुजुर्ग आदमी हैं, क्या तकलीफ पहुंचेगी। सवाल: क्या आपकी और आजम खान की कभी मुलाकात हुई है? मोहिबुल्ला नदवी: जब मैं यहां से सांसद बना तो वे जेल में थे, जेल में मुलाकात नहीं हुई। जहां तक पहले कभी मुलाकात की बात है तो साथ में खाना खाया है एकाध बार, वो मुझे याद है। ऐसे बिल्कुल नहीं हैं कि दोनों लोग एक दूसरे को न जानते हों। ये अव्यवहारिक होगा। सवाल: अखिलेश यादव आपको बरेली में छोड़ कर अकेले आपके संसदीय क्षेत्र रामपुर चले गए, आपकाे कैसा लगा? मोहिबुल्ला नदवी: देखिए माननीय अखिलेश यादव हम सबके लिए सम्मानित हैं। देश की राजनीति में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के मुखिया हैं। उनका जो व्यवहार है, वह मेरे साथ ही नहीं, दूसरे सांसदों और दूसरी पार्टी के सांसदों के साथ-साथ आम जनमानस के साथ जो उनका सुलूक है, उससे मैं खुद मुतास्सिर हूं। जब मुझे बरेली में रुकने के लिए कहा गया तो मुझे उस समय याद आया कि रामपुर के जो नवाब जो थे, उनके अपने कानून हुआ करते थे। मौलाना मोहम्मद अली जौहर गांधी जी को लेकर रामपुर आए थे। उस समय नवाबों के यहां टोपी पहनना वाजिब था। बी अम्मा, जो मोहम्मद अली जौहर की मां थी, उन्होंने टोपी सिल कर दी, तब वहां उन्हें जाने का मौका मिला। मैं समझता हूं कि जब कोई आदमी किसी जगह की लंबे समय तक नुमाइंदगी करता है, तो ऐसी चीजें हो जाती हैं। लेकिन ये याद रखने की जरूरत है कि वो दौर अलग था। डेमोक्रेटिक कल्चर में जनता राजा होती है, वही ताज पहनाती है और वही ताज उतार देती है। नवाब कहां से आए थे, कोई ऊपर से नहीं आए थे। यहां की जमीन पर आने के बाद वो नवाब बने। मुझे दुख होता है कि लोगों को इतना लंबा समय मिला। एक भी मेडिकल कालेज रामपुर में नहीं बनवा सका। आज भी अच्छे इलाज के लिए सर गंगा राम जाना जाता है। आजादी के 75 साल बाद भी 20 लाख की आबादी में एक मेडिकल कालेज नहीं है। इसका जिम्मेदार कौन है? एक दौर था, जब कानपुर के बाद सबसे खुशहाल जिलों में रामपुर की गिनती हुआ करती थी, आज स्थिति ये है कि रामपुर का रेवेन्यू टांडा से भी कम है। टेक्सटाइल का काम बंद हो गया, गन्ना मिल बंद हो गई, उर्दू जुबान बंद हो गई। मदरसा आलिया बंद हो गया। कितने कब्रिस्तान उजाड़ दिए गए। कितनी जमीनों के लैंडयूज बदल गए। सवाल: आजम खान ने दैनिक भास्कर के साथ बातचीत में कहा कि मौलाना को बरेली जाना चाहिए, पीड़ित से मिलना चाहिए, लोगों को समझाना चाहिए? क्या उनकी राय आप मानेंगे? मोहिबुल्ला नदवी: देखिए मेरी जरूरत तो हर जगह है। कभी कभार चीजें ऐसी होती हैं, जिनमें कड़ियों से कड़ियां मिलती हैं। रामपुर में जैसे किसी ने लोगों की खुशहाली को छीन लिया है। हमें ये गौर करना पड़ेगा। सवाल: आप पार्लियामेंट मस्जिद के इमाम भी हैं और सांसद भी, दोहरी जिम्मेदारी कैसे संभालते हैं? मोहिबुल्ला नदवी: तीन–दिन यहां रहता हूं, तीन दिन वहां रहता हूं। रामपुर यहां से ढाई घंटे के रास्ते पर है। कई बार लोग भी यहां आ जाते हैं। मैं भी चला जाता हूं, कहीं कोई दिक्कत नहीं है। सवाल: मस्जिद में सपा के लोग आए, विपक्ष ने मुद्दा बनाया, आप पर भी फतवा लगा, क्या आपको नहीं लगता कि मस्जिद को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए? मोहिबुल्ला नदवी: मस्जिद तो अहले ईमान के लिए सबसे अहम जगह होती है। रसूल अल्लाह के दौर से सारे कारोबार मस्जिद से ही होता था। लेकिन जैसे–जैसे लोगों के अंदर से दीन-ए-इस्लाम निकलता गया, लोगों ने तवज्जो देना बंद कर दिया और चीजें यहां तक पहुंच गईं। एक समय वो था, जब इमाम-ए-वक्त ही हाकिम-ए-वक्त हुआ करता था। सवाल: ‘आई लव मोहम्मद’ को लेकर जो विवाद हो रहा है, उसे आप कैसे देखते हैं? मोहिबुल्ला नदवी: मुसलमानों को तंग करने के लिए ये कुछ लोगों की सोची समझी साजिश थी। ये साजिश थी- मुस्लिमों के मकान, दुकान, इदारों को खत्म करने, स्कूलों और मस्जिदों पर बुल्डोजर चलाने की। ये सब कानून के खिलाफ हैं। जो लोग ऐसा कर रहे हैं, वो सब संविधान के खिलाफ है। सवाल: आपको रामपुर का सांसद बने डेढ़ साल हो गए, अभी तक की क्या बड़ी उपलब्धि रही आपके हिसाब से? मोहिबुल्ला नदवी: पार्लियामेंट हाउस में सबसे पहली मांग ही मेरी यही थी कि एम्स के टक्कर का अस्पताल यहां खोला जाए। क्योंकि आसपास के इलाकों बरेली, संभल, मुरादाबाद, बदायूं जैसे जिलों को मिलाकर यहां की आबादी डेढ़ करोड़ की है। ज्यादातर रामपुर के लोग होते हैं, जो इलाज न मिलने की वजह से अपनी जान गंवा देते हैं। बड़ा अफसोस होता है। हम तो इस लाइन में अभी आए हैं। समय भी ऐसा है कि न तो केंद्र में हमारी सरकार है और न राज्य में। काश हमसे पहले के लोगों ने कुछ पहल की होती। शायद हम से पहले के लोगों ने इसकी जरूरत ही नहीं समझी हो। सवाल: अगले चुनाव में आप रामपुर से ही चुनाव लड़ेंगे या किसी और सीट से? मोहिबुल्ला नदवी: अगले चुनाव में बहुत वक्त है। कौन लड़ेगा ये पार्टी और रामपुर की जनता तय करेगी। हमें जो वक्त मिला है, उसे इबादत समझ के गुजार रहे हैं। बहुत थोड़ा सा वक्त है। लोगों की जरूरतें बहुत हैं। लोगों की उम्मीदें ज्यादा हैं। यहां ज्यादातर विधायक भी दूसरी पार्टी के हैं, जिनका सहयोग कम मिल पाता है। सवाल: सांसद के तौर पर आजम खान के मुकाबले आप खुद को कहां देखते हैं? मोहिबुल्ला नदवी: ऊपर वाले का मुझ पर एहसान है। वक्फ जैसे मसले पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बोलने का मौका दिया। उन्होंने कहा, ये धार्मिक मामला है, इस पर इमाम साहब बोलेंगे। जेपीसी में भी मुझे रखा गया, ये मेरे लिए सम्मान की बात थी। स्पीकर ने पूछा कि ये आपका कौन सा टर्म है? मैने कहा- पहला टर्म है, इस पर ओम बिड़ला ने कहा कि आपकी स्पीच पहली बार की नहीं लग रही है। सवाल: रामपुर में काफी बड़ी शख्सियतें रहीं, क्या आप आजम खान साहब को बड़ा नेता मानते हैं? मोहिबुल्ला नदवी: इसमें कोई शक नहीं है कि आजम खान एक बड़े नेता हैं। उनके अंदर कई खूबियां भी रही हैं। उनका जो यूनिवर्सिटी का जो ख्वाब है, जो सच भी हुआ। खुदा करे कि वो बेहतर चले। हम सब की यही ख्वाहिश भी है कि सब चीजें बेहतर चले, नार्मल अंदाज में चले। हम चाहते हैं कि हमारे जिले में एक यूनिवर्सिटी बनी है, वह बेहतर तरीके से चले। खुदा करे कि ये जाया न हो जाए। सवाल: रामपुर आप आखिरी बार कब गए और अब कब जाएंगे? मोहिबुल्ला नदवी: रामपुर में मैं 6 अक्टूबर को था। अलग अलग कार्यक्रमों में शिरकत की। 8 तारीख को अखिलेश यादव ने बुलाया था, उनके साथ ही रहा। अगले दो–तीन दिन में रामपुर फिर जाऊंगा। सवाल: किसी तरह का खौफ या डर? मोहिबुल्ला नदवी: नहीं, खौफ किससे होगा? हम डरते तो अल्लाह से हैं। हमारे अंदर जो ब्लड है, उसमें डर तो है ही नहीं। जब जया प्रदा यहां से चुनाव जीती थीं तो उन्हें प्रताड़ित किया जाता था। जबकि वो पार्टी में भी थीं। कुछ लोग वही ख्वाब देख रहे हैं कि मौलाना साहब को डरा दिया जाए, धमका दिया जाए। ये ख्वाब वो लोग देख रहे हैं जिनकी नस्लें यहां की नहीं, दूसरे जिले से आकर आबाद हुई हैं। ये सब तरीके ठीक नहीं है, बड़ी ओछी हरकतें होती हैं कि बात बिगड़ जाएगी। बहुत बुरा हो जाएगा। आप किसको धमका रहे हैं। इस लहजे में। इस उम्र में? ज्यादा बोलना भी बीमारी होती है। सवाल: आप अपनी ओर से आजम खान को कोई मैसेज देना चाहेंगे? मोहिबुल्ला नदवी: वह हमारे बुजुर्ग हैं, सम्मानित व्यक्ति हैं। सीनियर सिटिजन हैं। शहर के अंदर उनका एक सम्मान है। वो सांसद भी बने थे, लेकिन अपना टर्म पूरा नहीं कर पाए थे। किसी मोहतरमा से कुछ इख्तिलाफ भी हो गया था। पूरा मुझे नहीं मालूम। बहरहाल वो हमारे सीनियर नेता हैं। पार्टी ने हर मामले में उनकी मदद की थी और अब भी कर रही है। अखिलेश यादव भी उनके साथ खड़े हैं। पूरी पार्टी उनके साथ खड़ी है। थोड़ा सा धैर्य रखें। मैं पार्टी का छोटा सा सिपाही हूं। रामपुर के लोगों का खादिम (सेवक हूं)। मस्जिद का भी खादिम हूं। साथ-साथ शफीकुर्रहमान बर्क के पोते जियाउर्रहमान बर्क साहब हैं, बहुत अच्छा बोलते हैं। संभल मामले में पहली बार पार्लियामेंट में किसी फसाद को लेकर चर्चा हुई है। इसी तरह इकरा हसन हैं, देखिए उनके अंदर कितनी तहजीब और लियाकत है। मैं तो खुद को नेता मानता ही नहीं, मैं तो एक छोटा सा मस्जिद का खादिम, मस्जिद का लोटा कहिए। मस्जिद के लिए जो चीज इस्तेमाल कर लीजिए, कम है। ऊपर वाले का शुक्र है, रामपुर की जनता का शुक्र अदा करते हैं, पार्टी के नेतृत्व का शुक्र अदा करता हूं कि उन्होंने मुझे खिदमत का मौका दिया है। अब इसको कोई दिल से कुबूल करे या न करे, मेरी जात पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। …………… ये खबर भी पढ़ें…. आजम बोले- मुकदमा चला तो फिर जेल चले जाएंगे:रामपुर सांसद को बड़ा आलिम कहा, मिलने क्यों नहीं आए, वजह बताई मैंने रामपुर की पहचान कलम से करना चाही, उसकी सजा इतनी तो नहीं मिलनी चाहिए, जितनी मिल रही है। मैं चोर हूं। मुझ चोर पर डकैती की धाराएं लगा दी गईं।’ ये दर्द है सपा के कद्दावर नेता आजम खान का, जो उन्होंने ‘दैनिक भास्कर’ से विशेष बातचीत में बयां किया। पढ़िए पूरी खबर…