सॉफ्टवेयर हैक कर 5-6 मिनट में SUV कार की चोरी:नोएडा के चोर गैंग जंगी ऐप से करते प्लानिंग, पंजाब- राजस्थान में बेचते थे

यूपी से गायब होने वाली SUV कारें राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में बेची जाती थीं। यही वजह है कि उनकी ट्रेसिंग नोएडा पुलिस के सिरदर्द बनी हुई थी। पुलिस ने एनकाउंटर करके 3 बदमाशों को अरेस्ट किया। पुलिस की गोली से फरमान घायल हो गया। कस्टडी में पुलिस ने कार चुराने के तरीके से पूछे, बदमाशों ने कहा- लग्जरी SUV कार को चोरी करने के लिए उन्हें सिर्फ 5 से 6 मिनट लगते हैं। स्पॉट को छोड़ते ही हम GPS ट्रैकर को या तो निकाल देते हैं या हैक कर लेते हैं। पुलिस सर्विलांस से बचने के लिए पूरा गैंग जंगी ऐप से बात करता था, इसको ट्रेस नहीं किया जा सकता है। फिर खुद कार मैकेनिक बनकर यूपी के बाहर दूसरे स्टेट में लेकर जाते थे। इन कारों को बेचने की स्ट्रैटजी क्या थी? कैसे साफ्टवेयर की मदद से कार चोरी करते थे? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर ऐप टीम ने पुलिस के अलग-अलग अधिकारियों से बात की। पढ़िए रिपोर्ट… स्विफ्ट कार से भाग रहे बदमाशों से मुठभेड़
भास्कर टीम ने पुलिस से पूछा कि नोएडा में गैंग एक्टिव होने की जानकारी कैसे हुई? DCP यमुना प्रसाद ने कहा- नोएडा और ग्रेटर नोएडा में SUV कारों की चोरी की वारदात हो रही थीं। गाड़ियों के GPS भी ट्रेस नहीं हो रहे थे। ऐसे में पुलिस ने चेकिंग बढ़ा दी। बुधवार रात को नोएडा के थाना सेक्टर 113 पुलिस को चेकिंग के दौरान एक स्विफ्ट कार सवार लड़कों के भागने पर शक हुआ, पीछा करने पर पर्थला डूब क्षेत्र में कब्रिस्तान सर्विस रोड पर फायरिंग शुरू हो गई। पुलिस की घेराबंदी और जवाबी फायरिंग में एक लड़के के पैर में गोली लगी। हमने 3 लोगों को पकड़ा। उनके नाम फरमान उर्फ छोटे, असलम और मकसूद थे। पता चला कि फरमान पर 40 से ज्यादा केस हैं, 50 हजार का इनाम है, उनके पास से 3 चोरी की गाड़ियां मिलीं, इनकी वैल्यू 1 करोड़ है। बदमाशों ने कहा- SUV चोरी के लिए हम स्विफ्ट डिजायर जैसी साधारण कार का इस्तेमाल करते, ताकि किसी को शक न हो। 5 मिनट में कैसे चोरी करते थे कार, ये जानिए फरमान ने कहा- हम पार्किंग और होटल या मार्केट के बाहर खड़ी कारों को ही टारगेट करते थे। हमारा सेट पैटर्न था, CCTV में आए बिना ही कार चोरी करते थे। इसके अलावा, कार चोरों के पास से कारों के लॉक को तोड़ने की मास्टर की भी मिली है। फरमान ने कहा- हमें पता था कि पुलिस GPS ट्रैकर की मदद से गाड़ियों को ट्रेस करती है। हम GPS ट्रैकर को या तो निकाल लेते थे या फिर हैक कर लेते थे। इसलिए पुलिस हमें पकड़ नहीं पा रही थी। ज्यादातर बदमाश पेशे से मैकेनिक
कार चोर पेशे मैकेनिक हैं, जो लग्जरी कार के एक-एक पुर्जे के बारे जानते हैं। हर सिक्योरिटी फीचर का उन्हें पता होता है। इन्होंने ये खुलासा नहीं किया है कि कार किन लोगों को बेच रहे थे। इसके लिए पुलिस हरियाणा समेत 3 राज्यों की पुलिस से संपर्क कर रही है। अब जानिए कैसे चोरी की गाड़ी को नई पहचान देते 4-5 दिन कार को छिपा देते, चेसिस, इंजन नंबर बदल देते
चोरी करने के बाद कार को किसी जगह पर 4-5 दिन तक खड़ी कर दिया जाता। गाड़ी जहां खड़ी होती है, उसकी चाबी भी उसी में छिपाई होती है। सेटिंग ऐसी रहती कि कस्टमर तक कार को पहुंचाने के लिए गैंग का दूसरा साथी इस कार को अपने कब्जे में ले लेता, फिर कार को कस्टमर की बताई जगह पर पहुंचा दिया जाता, मगर उन्हें हैंडओवर नहीं किया जाता। क्योंकि अब कार को नई पहचान देने का काम शुरू होता था। गाड़ी को एक जगह से दूसरी जगह छोड़ने वाले को 10 से 15 हजार रुपए दिया जाता था। इसके बाद कार की चेसिस और इंजन नंबर बदला जाता। नए दस्तावेज तैयार किए जाते। कार को कैसे नई पहचान देते
इंश्योरेंस कंपनियां एक्सीडेंट में डैमेज गाड़ियों को कबाड़ में बेचती हैं, जिसके सभी दस्तावेज भी देती हैं। बड़े गैंग इन गाड़ियों को खरीद लेते हैं। इसी ब्रांड की गाड़ी के चेसिस और इंजन नंबर चोरी वाली गाड़ी में डाल देते हैं। यानी चोरी में गई गाड़ी को कबाड़ में खरीदी गई गाड़ी की पहचान देते हैं। आखिर में कबाड़ वाली गाड़ी के डॉक्युमेंट्स चोरी की गाड़ी खरीदने वाले को सौंप देते हैं। कुछ गाड़ियों को डिस्मेंटल करके उनके पुर्जे बाजार में बेचे जाते। जंगी ऐप से करते थे बात
जंगी कम्युनिकेशन ऐप से गैंग के सदस्य बात करते थे। इस ऐप को ट्रेस नहीं किया जा सकता है। गैंग के सदस्य इलेक्ट्रानिक कम्युनिकेशन डिवाइस का इस्तेमाल नहीं करते थे। SUV गाड़ियों की चाबी की रेंज बढ़ाकर कार चोरी से बचा सकते हैं ……….. यह भी पढ़ें : बहुएं बोलीं- बनारस की तरह वृंदावन में कॉरिडोर मंजूर नहीं:अजय राय का जवाब- पूरी कांग्रेस आपके साथ, विरोध में शामिल हुए अजय राय- हम आपके साथ हैं। बनारस में भी हमने गोस्वामी परिवार का साथ दिया। वृंदावन की एक बहू- लेकिन बनारस में कॉरिडोर बन गया न…। आपने बनारस में साथ कहां दिया? साथ ऐसा हो कि कॉरिडोर न बने और न ही अधिग्रहण हो। अजय राय- विश्वास रखिए, हम आप लोगों के साथ हैं। पूरी कांग्रेस आपके साथ है। यह बातचीत है, यूपी कांग्रेस अध्यक्ष और वृंदावन की एक बहू के बीच बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर। दरअसल, गुरुवार को बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर निर्माण का विरोध कर रहे लोगों के बीच अजय राय पहुंचे। वह मंदिर के गोस्वामियों, स्थानीय निवासियों और बहुओं के साथ 30 मिनट तक धरने पर बैठे रहे। इस दौरान बहुओं ने उनसे विरोध में साथ देने की मांग की। पढ़िए पूरी खबर…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *