गौतमबुद्धनगर जिले के बिसाहड़ा गांव में 10 साल पहले गोमांस खाने के शक में हुई अखलाक मॉब लिंचिंग मामले में लोअर कोर्ट ने उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें यूपी सरकार यह केस वापस लेना चाहती थी। कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि आरोपियों पर केस ट्रायल चलेगा और अब रोजाना इसकी सुनवाई होगी। कोर्ट के इस फैसले के बाद ‘दैनिक भास्कर’ ने अखलाक के भाई जान मोहम्मद से एक्सक्लूसिव बात की। वो कहते हैं– हम 10 साल से अपने गांव नहीं गए। वो घटना बकरीद के दिनों हुई थी, इसलिए हमने 10 साल से ईद नहीं मनाई। हम मुसलमान जरूर हैं, लेकिन आज तक एक मुर्गी भी नहीं काटी। भास्कर ने इस बहुचर्चित मामले में कई अधिवक्ताओं से भी बात की। ये जाना कि अब कोर्ट का अगला रुख क्या हो सकता है। गांव में अखलाक के घर की हालत कैसी है। ये रिपोर्ट पढ़िए। सबसे पहले बिसाहड़ा कांड समझिए 28 सितंबर, 2015 की रात अफवाह फैली कि ग्रेटर नोएडा के बिसाहड़ा गांव में 52 साल के मोहम्मद अखलाक के घर में फ्रिज के अंदर गोमांस रखा हुआ है। इसी अफवाह में सैकड़ों उपद्रवियों की भीड़ ने अखलाक के घर पर हमला कर दिया। अखलाक की पीट–पीटकर हत्या कर दी गई। अखलाक की पत्नी इकरामन ने 10 लोगों के खिलाफ FIR कराई। इस घटना ने ऐसा तूल पकड़ा कि देशभर में प्रदर्शन हुए। 22 दिसंबर 2015 को नोएडा की दादरी थाना पुलिस ने 18 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। बाद में आरोपियों की संख्या 19 हो गई। इसमें एक आरोपी स्थानीय BJP नेता संजय राणा का बेटा विशाल आरोपी भी है। वर्ष 2016 में एक अभियुक्त रवीन सिसोदिया की जेल में मौत हो गई थी। फिलहाल सभी 18 आरोपी जमानत पर बाहर हैं। साल–2021 में गौतमबुद्धनगर की जिला अदालत में इस केस का ट्रायल शुरू हो चुका है। कोर्ट ने यूपी सरकार की केस वापसी की अर्जी खारिज की
10 साल पुराना केस अब दोबारा कैसे चर्चाओं में आया, ये भी जानना जरूरी है। दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार के न्याय विभाग ने 26 अगस्त 2025 को एक आदेश जारी किया और इस केस को वापस लेने के लिए कहा। इस आदेश में राजभवन की अनुमति होना बताया गया। इसके बाद 12 सितंबर 2025 को गौतमबुद्धनगर के संयुक्त निदेशक अभियोजन ने DGC क्रिमिनल को एक पत्र लिखा और शासन के आदेश पर आगे की कार्रवाई शुरू करने को कहा। 15 अक्टूबर 2025 को राज्य सरकार की तरफ से CRPC की धारा–321 के तहत ट्रायल कोर्ट में ये केस वापस लेने की अर्जी दी गई। 23 दिसंबर 2025 को गौतमबुद्धनगर जिला अदालत ने इस अर्जी को खारिज करते हुए केस ट्रायल जारी रखने का फैसला लिया। फास्ट ट्रैक कोर्ट–एक के अपर सत्र न्यायाधीश सौरभ द्विवेदी ने अपनी टिप्पणी में कहा– हत्या का गंभीर अपराध समाज के विरुद्ध किया गया अपराध है। राज्य इसी कारण मुकदमों की पैरवी करता है, ताकि समाज में कानून व्यवस्था का भय बना रहे। दंड शास्त्र का सिद्धांत समाज के बेहतर भलाई के लिए स्थापित किया गया है। नोएडा की अदालत में इस केस की अगली सुनवाई 6 जनवरी 2026 को होगी। मृतक के भाई बोले– हमने 10 साल से बकरीद नहीं मनाई
बिसाहड़ा कांड के बाद अखलाक और उनके भाइयों का परिवार गांव छोड़ चुका है। अखलाक की पत्नी और बच्चे गाजियाबाद जिले में एक अज्ञात जगह रह रहे हैं। दो भाई ग्रेटर नोएडा के कस्बा दादरी में अलग–अलग रहते हैं। हम जान मोहम्मद के घर पहुंचे, जो नोएडा की एक कंपनी में प्राइवेट जॉब करते हैं और वही इस पूरे मुकदमे की पैरवी भी कर रहे हैं। कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए जान मोहम्मद कहते हैं– जब यूपी सरकार की तरफ से कोर्ट में ये एप्लिकेशन डाली गई, तब हमें थोड़ा झटका लगा। बल्कि मैं कहूंगा कि हमारे लिए ये अफसोसजनक खबर थी। क्योंकि 10 साल से हम न्याय की लड़ाई लड़ रहे थे। हमें बड़ा धक्का लगा। हमें कानून की ज्यादा जानकारी नहीं थी। हमने अपने अधिवक्ता से बात की और फिर कोर्ट में अपना पक्ष रखा। कोर्ट के फैसले से मुझे ऐसा लगा है कि कानून का राज कायम है और न्याय इस देश में है। जान मोहम्मद कहते हैं– जब बकरीद आती है, तब हमें वही सीन याद आता है। क्योंकि बकरीद से 3 दिन पहले ही हमारे भाई अखलाक की पीट–पीटकर हत्या कर दी गई थी। कुर्बानी न हम पहले करते थे, न आज। मैं दादरी कस्बे में जहां रहता हूं, वहां 25–30 हजार मुस्लिम आबादी है। यहां भी हमने कुर्बानी नहीं दी। हमने अपने हाथ से आज तक एक मुर्गी भी नहीं काटी। मैं चैलेंज के साथ कहता हूं अगर कोई एक व्यक्ति ये बात साबित भी कर दे। कुर्बानी से हमारा कोई मतलब नहीं है। ‘भरोसे की दीवार टूटी, इसलिए गांव छोड़ना पड़ा’
10 साल में क्या मुकदमे की वापसी का प्रेशर डाला गया? इस सवाल के जवाब में वो कहते हैं– 28 सितंबर 2015 की घटना के बाद 17 अक्टूबर 2015 को हमने पूरी तरह गांव छोड़ दिया था। उसके बाद आज तक हमारी फैमिली का कोई मेंबर गांव नहीं गया। गांव छोड़ने के बाद स्थानीय लोग कई बार हमारे पास आए। कई ग्राम प्रधान तक आए। पांच–छह महीने पहले तक मुझ पर केस वापसी का दबाव बना। शर्त यही थी कि मैं अखलाक मर्डर केस वापस लूं तो मेरे ऊपर दर्ज गोमांस का केस वापस ले लिया जाएगा। गांव क्यों छोड़ा? इस पर जान मोहम्मद कहते हैं– जब एक विश्वास की दीवार सदियों से खड़ी हो, उसे कुछ इंसान अकारण गिरा दें और वो दीवार इतनी बुरी तरह से गिरे कि दोबारा खड़े होने की कोई गुंजाइश न रहे। हम गांव छोड़कर दूसरी जगह रह रहे हैं, तब भी मुकदमा वापसी के लिए हम पर दबाव डाला जाता है। इसी से समझ सकते हैं कि अगर हम बिसाहड़ा गांव में रहते तो ये दबाव कितना गुना ज्यादा होता। इस घटना के चश्मदीद, गवाह कैसे सुरक्षित रह पाते, यही गांव छोड़ने की वजह बनी। अखलाक को हम खो चुके, लेकिन अब खुद या बच्चों की जान नहीं खोने देना चाहते। ‘सरकार की साम्प्रदायिक सौहार्द की दलील निराधार’
सरकार के मुकदमा वापसी के फैसले पर क्या प्रतिक्रिया है? इसके जवाब में जान मोहम्मद कहते हैं– हम नॉन क्वालिफाइड लोग नहीं हैं। जिस दिन ये घटना हुई, उस दिन सद्भाव खराब होना चाहिए था। जब अखलाक की डेडबॉडी जेपी हॉस्पिटल में रखी थी, तब मेरे स्थानीय लोगों ने मुझे खूब उकसाया कि डेडबॉडी लेकर दादरी आ जाओ, यहीं चौराहे पर रखकर जाम लगाएंगे। तब मैंने डीएम को सलाह दी कि दादरी के बाहर जंगल के एक रोड से बॉडी लेकर गांव में जाइए। मैंने अपनी सूझबूझ से बवाल टलने से बचाया। तब भी मैंने सद्भाव बिगाड़ने की बात नहीं की। मैंने कभी नहीं कहा कि हम उस घटना का बदला लेंगे। मैं आज भी कह रहा हूं कि मेरे गांव के लोग बहुत अच्छे हैं। चंद लोग बुरे हैं, जिन्होंने ये हरकत की थी। कोर्ट में अब होगी अखलाक की पत्नी की गवाही
अखलाक पक्ष के अधिवक्ता मोहम्मद यूसुफ सैफी ने बताया– कोर्ट ने माना है कि मर्डर जैसे मामले में CRPC-321 बनती ही नहीं है। जब गवाहों की गवाही हो गई हो, केस ट्रायल पर चल रहा हो। आरोप भी तय हो चुके हैं। चार्जशीट भी पुलिस की तरफ से आई है। कोर्ट ने ये सारी चीजें देखीं और उप्र सरकार की केस वापसी की अपील खारिज कर दी। कोर्ट ने गवाहों की सुरक्षा को लेकर नोएडा पुलिस कमिश्नर और DCP ग्रेटर नोएडा को अलग से आदेश जारी किया है। इस मुकदमे में अभी तक मृतक अखलाक की बेटी शाइस्ता की गवाही हो पाई है। अखलाक की मां मुकदमे के दौरान एक्सपायर हो चुकी हैं। अब अखलाक की पत्नी की गवाही कराई जाएगी। ……………. ये खबर भी पढ़ें… मोदी ने योगी के लिए 2027 की स्क्रिप्ट लिखी:दोनों नेता गुफ्तगू करते दिखे, PM ने सोशल इंजीनियरिंग को धार दी पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लखनऊ के प्रेरणा स्थल से भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग को नई धार दी। उन्होंने मंच से भगवान बिरसा मुंडा, बिजली पासी, राजा सुहेलदेव, राजा महेंद्र प्रताप सिंह, प्रभु राम के सखा निषादराज का जिक्र कर करीने से इनके वोट बैंक को भी साधा। इसी के साथ सरदार वल्लभ भाई पटेल और अम्बेडकर को इतिहास में उचित स्थान न दिए जाने पर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया। परिवारवाद का जिक्र कर उन्होंने कांग्रेस, सपा सहित विपक्षी दलों पर कटाक्ष किया। मंच पर जिस तरीके से सीएम योगी के साथ वे गुफ्तगू करते नजर आए, इससे साफ है कि 2027 की चुनावी स्क्रिप्ट में योगी की बड़ी भूमिका रहेगी। पढ़िए पूरी खबर…