सबसे पहले ये वीडियो देखिये….। इसमें हाथ उठाकर जो शपथ दिलाई जा रही है, वो किसी पद या गोपनीयता की नहीं है। ये शपथ लेने वाले भी जन प्रतिनिधि या स्कूल-कॉलेज के छात्र नहीं हैं। ये हैं साइबर ठगी के लिए कुख्यात नूंह क्षेत्र में शातिर ठग। जो कभी OTP पूछकर, कभी मोबाइल हैक करके और कई बार डिजिटल अरेस्ट करके लोगों के खाते खाली कर देते हैं। ये वो हैं जो किसी न किसी साइबर केस में नामजद हैं और अब बेल पर जेल से बाहर आए हैं। नूंह को साइबर फ्रॉड के मामले में हरियाणा का ‘नया जामताड़ा’ माना जाता है। अब आपके दिमाग में सवाल उठेगा कि फिर ये शपथ कैसी और क्यों दिलाई जा रही है? नूंह जिले के SP राजेश कुमार बताते हैं- हम एक एक्सपेरिमेंट के तहत ये अभियान चला रहे हैं। इसमें पूर्व साइबर अपराधियों को अच्छाई का पाठ पढ़ा रहे हैं। इन लोगों को कानूनी तौर पर सजा तो दिलाई ही जाएगी, लेकिन वे दोबारा अपराध में शामिल न हों, इसके प्रयास किए जा रहे हैं। इनकी पहले काउंसलिंग की जा रही है, फिर इन्हें शपथ दिलाई जा रही है कि वे दोबारा इस तरह के अपराध में शामिल नहीं होंगे। SP के मुताबिक जो पुलिस का सहयोग करेंगे उन्हें उनके हुनर के मुताबिक नौकरी या व्यवसाय कराने में मदद की जाएगी। अब तक 300 साइबर अपराधियों को शपथ दिलाई
नूंह के पुलिस प्रवक्ता कृष्ण कुमार ने बताया कि अब तक ऐसे करीब 300 साइबर अपराधियों को शपथ दिलाई जा चुकी है, जो बेल पर जेल से बाहर आए हैं। इन्हें साइबर थाने बुलाकर और उनके गांव में जाकर शपथ दिलवाई जा रही है। इन्हें साइबर योद्धा बनाया जा रहा है, ताकि ये दूसरे साइबर अपराधियों को पकड़वाने में मदद करें। साइबर फ्रॉड के 9 महीने में ही 226 केस दर्ज
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि इस साल जनवरी से सितंबर तक साइबर फ्रॉड के 226 केस दर्ज हुए हैं। 285 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। इनके करीब एक हजार फर्जी आईडी वाले सिम कार्ड, 300 से अधिक मोबाइल, 137 से अधिक एटीएम कार्ड बरामद हुए हैं। साल 2022 में 450 से ज्यादा साइबर फ्रॉड के केस नूंह में दर्ज हुए। साल 2023 में 20,545 मोबाइल नंबर ब्लॉक किए। साथ ही 5000 पुलिस कर्मियों की 102 टीमों ने नूंह में रेड की। जो फर्जी आईडी पर सिम कार्ड ब्लॉक हुए उनमें करीब 13 हजार आंध्र प्रदेश की आईडी पर थे। इसके अलावा पश्चिमी बंगाल, असम व दिल्ली की आईडी पर थे। नूंह में हालात ये…40 गांव हॉटस्पॉट, 5 लाख से ज्यादा सिम कार्ड ब्लॉक
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नूंह जिले के 40 गांव ऐसे हैं, जो साइबर फ्रॉड के हॉटस्पॉट हैं। इन 40 गांवों में 400 से ज्यादा साइबर अपराधी आइडेंटिफाई किए गए। अरावली जंगल के पास के इन गांवों में ही 10 हजार से ज्यादा मोबाइल नंबर संदेह के घेरे में आए। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (डीओटी) और सीआईडी की रिपोर्ट के बाद इन गांवों में बड़े स्तर पर क्रैकडाउन किया गया।पिछले 4 साल में ही औसतन हर साल 300 करोड़ रुपए से ज्यादा के साइबर फ्रॉड यहां से बैठकर हुए। जिले में 5 लाख से ज्यादा मोबाइल सिम कॉर्ड ब्लॉक कराए गए। ये सिम कार्ड फर्जी आईडी पर जारी हुए थे। जामताड़ा कैसे फिशिंग कैपिटल बना
झारखंड का जिला जामताड़ा साल 2015 के बाद सुर्खियों में आया। ये वो दौर था जब भारत में डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ रहा था। इसी दौरान जामताड़ा में साइबर ठगी का खेल शुरू हुआ। वहां जंगलों और दुर्गम इलाकों तक पुलिस के लिए भी पहुंचना आसान नहीं था। इसलिए ये फिशिंग कैपिटल या “साइबर ठगी की राजधानी” कहलाने लगा। इस पर बहुचर्चित वेब सीरिज जामताड़ा-सबका नंबर आएगा…भी आई।