केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने हरियाणा सरकार की चंडीगढ़ में नए विधानसभा भवन बनाने की मांग को खारिज कर दिया है। मंत्रालय ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को साफ सलाह दी है कि इस मामले में अब चंडीगढ़ प्रशासन से किसी तरह की आगे की कार्रवाई न करें। केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ को स्वतंत्र यूनियन टेरेटरी (UT) का ऐलान करने के लिए 131वें शोध बिल को वापस लेने के बाद पंजाब के लिए यह दूसरा बड़ा फैसला लिया है। यह मुद्दा तब चर्चा में आया था जब जुलाई 2022 में जयपुर में हुई उत्तरी जोनल काउंसिल की बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हरियाणा को नई विधानसभा के लिए भूमि उपलब्ध कराने की घोषणा की थी। इसके बाद जुलाई 2023 में UT प्रशासन ने 10 एकड़ जमीन हरियाणा को देने पर सहमति जताई थी। यह जमीन चंडीगढ़ के आईटी पार्क के पास रेलवे लाइट पॉइंट के नजदीक है और इसकी कीमत करीब 640 करोड़ रुपए आंकी गई। स्वैप डील फेल, हरियाणा का प्रस्ताव खारिज
योजना के तहत हरियाणा ने बदले में पंचकूला के सेक्टोरियल क्षेत्र के पास 12 एकड़ जमीन देने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन जनवरी 2024 में UT प्रशासन ने विस्तृत सर्वे के बाद इसे खारिज कर दिया। शहरी नियोजन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार यह जमीन नीची थी, बीच से नाला गुजरता था और कनेक्टिविटी भी उचित नहीं थी। इसे सार्वजनिक उपयोग के लिए अनुपयुक्त बताया गया। गृह मंत्रालय ने दी राय- मामला आगे न बढ़ाया जाए
महीनों से चल रही बातचीत के बाद केंद्र ने हरियाणा को स्पष्ट कर दिया कि मंत्रालय इस मुद्दे को आगे नहीं बढ़ाएगा। केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है, “हरियाणा को रोक नहीं सकते, लेकिन मंत्रालय इस मामले को आगे नहीं ले जाएगा, इसकी जानकारी दे दी गई है।” पंजाब का कड़ा विरोध ‘एक इंच जमीन नहीं देंगे’
जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ा, पंजाब सरकार ने इसका जोरदार विरोध शुरू कर दिया। पंजाब के मंत्री गुरलाल घनौर ने कहा कि “चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है। हरियाणा यहां सिर्फ भवन का उपयोग कर रहा है। नई विधानसभा के लिए कोई भी निर्माण पंजाब कभी मंजूर नहीं करेगा।” वर्तमान में पंजाब और हरियाणा दोनों चंडीगढ़ स्थित संयुक्त विधानसभा भवन का उपयोग करते हैं, जिसे अंतरराष्ट्रीय वास्तुकार ली कार्बुजिए ने डिजाइन किया था। यह भवन 2016 से यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में भी शामिल है, इसलिए यहां निर्माण को लेकर कड़े प्रतिबंध हैं।