हरियाणा छात्र परिवहन योजना के बिल समय पर अपलोड नहीं:शिक्षा निदेशालय ने लापरवाह अफसरों को थमाया नोटिस, CM विंडो पर शिकायतें पहुंचीं

हरियाणा में विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए नोटिस जारी किए हैं। यह कार्रवाई विद्यार्थी परिवहन सुरक्षा योजना से संबंधित बिल MIS पोर्टल पर अपलोड न करने के मामले में की गई है। निदेशालय ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों (DEEO) को निर्देश दिए हैं कि जिन अधिकारियों ने इस योजना के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया है, उन्हें कारण बताओ नोटिस (शो कॉज नोटिस) जारी किया जाए। गौरतलब है कि हरियाणा में यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई है। इसके अंतर्गत स्कूलों की ओर से की गई परिवहन बजट की मांग प्रतिमाह सीधे उनके खातों में भेजी जाती है। लेकिन MIS पोर्टल पर बिल अपलोड न करने से बजट प्रक्रिया बाधित हो रही है। शिक्षा निदेशालय ने यह भी साफ किया है कि लापरवाही करने वाले अधिकारियों को जवाब देना होगा कि बिल अपलोड क्यों नहीं किए गए, और भविष्य में ऐसी गलती न हो, इसके लिए क्या कदम उठाए जाएंगे। हर माह 15 तारिख तक अपलोड करने होते हैं बिल हरियाणा में विद्यार्थी परिवहन सुरक्षा योजना के तहत बिल हर महीने की 15 तारीख तक एमआईएस पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य है। इस योजना का लाभ कक्षा 1 से 12वीं तक के सभी विद्यार्थियों को मिलता है। लेकिन कई स्कूलों द्वारा बिल समय पर अपलोड नहीं किए जा रहे हैं, जिससे योजना की कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है। शिक्षा निदेशालय ने बताया कि अप्रैल माह के बिल 15 मई तक और मई माह के बिल 15 जून तक अपलोड होने चाहिए थे, लेकिन स्कूलों के प्राचार्य बार-बार फोन कर या पत्राचार के जरिए बिल भेज रहे हैं, वह भी 2 से 3 महीने की देरी से। इससे संबंधित शिकायतें सीएम विंडो पर भी दर्ज की गई हैं। इस पर शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) और मौलिक शिक्षा अधिकारियों (DEEO) को निर्देश दिए हैं कि अपने-अपने जिले में ऐसे सभी लापरवाह स्कूल मुखिया या ट्रांसपोर्ट इंचार्ज को कारण बताओ नोटिस जारी करें और उनसे स्पष्टीकरण लें कि बिल निर्धारित समय पर पोर्टल पर क्यों नहीं अपलोड किए गए। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि ऐसे कर्मचारियों/अधिकारियों के नाम और पदनाम निदेशालय को भेजे जाएं, ताकि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सके। निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि अब इस मामले में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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