हरियाणा में 140 दिन में रेप के दोषी को फांसी:1683 केस फास्ट-ट्रैक से निपटाए, 54 हजार पुलिसकर्मियों को नई कानून की ट्रेनिंग

हरियाणा में लागू हुए नए आपराधिक कानूनों और तेज न्याय प्रक्रिया की बदौलत एक नाबालिग से बलात्कार के मामले में सिर्फ 140 दिनों में दोषी को मौत की सजा सुनाई गई है। यह जानकारी राज्य के गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने दी। उन्होंने बताया कि कई गंभीर आपराधिक केस ऐसे भी रहे हैं जो 20 दिनों से कम समय में निपटा दिए गए। डॉ. मिश्रा के अनुसार, चिह्नित अपराधों में कई जिलों में सजा दर 95% से अधिक पहुंच गई है। “चिह्नित अपराध पहल” के तहत अब तक 1,683 जघन्य मामलों को फास्ट-ट्रैक कर उच्च स्तर पर निगरानी में लाया गया है। इस उपलब्धि की चर्चा हाल ही में नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित नेशनल फोरेंसिक प्रदर्शनी में भी हुई। मीडिया से बातचीत करते हुए डॉ. मिश्रा ने बताया कि हरियाणा ने आधुनिक तकनीक, उन्नत फोरेंसिक सुविधाओं और नए कानूनों के तहत अधिकारियों को दिए गए प्रशिक्षण के दम पर न्याय व्यवस्था में एक नया मॉडल पेश किया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा अब न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर मानक तय कर रहा है, बल्कि देश की न्यायिक सुधार प्रक्रिया में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। 54 हजार पुलिस कर्मियों को दी गई ट्रेनिंग एसीएस ने कहा, विशाल क्षमता निर्माण पहल हरियाणा के सुधारों की रीढ़ है। भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के सूक्ष्म प्रावधानों में 54,000 से अधिक पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। इस प्रशिक्षण के दौरान न केवल कानूनी समझ बल्कि पीड़ित-संवेदी जांच, डिजिटल एकीकरण और आधुनिक साक्ष्य प्रबंधन पर भी बल दिया गया। राज्य पुलिस बलों के बीच कानूनी शिक्षा को बढ़ावा देने के मकसद से, 37,889 अधिकारियों को आईजीओटी कर्मयोगी प्लेटफॉर्म पर डाला गया है। 91.37% ई-समन भेजे जा रहे डॉ. मिश्रा ने बताया कि ई-समन और ई-साक्ष्य जैसे प्लेटफार्मों के सफल कार्यान्वयन के बल पर हरियाणा ने डिजिटल पुलिसिंग में लंबी छलांग लगाई है। अब 91.37 फीसदी से अधिक समन इलेक्ट्रॉनिक रूप से जारी किए जाते हैं, जबकि शत-प्रतिशत तलाशी और जब्ती डिजिटल तरीके से दर्ज की जाती हैं। उल्लेखनीय है कि 67.5 प्रतिशत गवाहों और शिकायतकर्ताओं के बयान ई-साक्ष्य मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए दर्ज किए जा रहे हैं। इससे न केवल साक्ष्य संग्रह का मानकीकरण हो रहा है बल्कि जांच में पारदर्शिता भी बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि गुरुग्राम, फरीदाबाद और पंचकूला में पॉक्सो अधिनियम के तहत फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों के मार्फत राज्य के लिंग-संवेदी न्याय के दृष्टिकोण को मजबूती मिली है। इससे महिलाओं और बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराधों में तेजी से सुनवाई सुनिश्चित हो रही है। गवाहों की हो रही जांच गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. मिश्रा ने बताया कि नए आपराधिक कानूनों के तहत, गवाहों की जांच अब पारंपरिक अदालतों से आगे बढ़ चुकी है। गवाहों की जांच अब ‘विशेष स्थानों’ पर की जा सकती है। इनमें सरकारी कार्यालय, बैंक और सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाने वाले अन्य स्थान शामिल हैं। प्रदेश के सभी जिलों में ऑडियो, वीडियो इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से गवाहों की जांच के लिए 2,117 ‘विशेष स्थान’ बनाए गए हैं, जिससे पहुंच और सुविधा में काफी वृद्धि हुई है। इसके अलावा, सभी जिलों में महिलाओं, कमजोर गवाहों के लिए विशेष रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम, सुविधा उपलब्ध कराई गई है। 68.70 करोड़ रुपए से खरीदे गए फोरेंसिक उपकरण ​​​​​​​राज्य ने अपने फोरेंसिक बुनियादी ढांचे का भी विस्तार किया है। हर जिले में मोबाइल फोरेंसिक वैन और बड़े जिलों में दो वैन तैनात की गई हैं। इसके अलावा, 68.70 करोड़ रुपए की लागत से आधुनिक साइबर फोरेंसिक उपकरण खरीदे गए हैं। राज्य सरकार ने 208 नई फोरेंसिक पदों को मंजूरी दी है। इसमें 186 पद भरे जा चुके हैं, जिससे सघन जांच को और मजबूती मिली है।

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