वैशाली के चेहराकलां प्रखंड के सुमेरगंज गांव में एक खेती के नए तरीके को अपनाया गया है। यहां बगैर मिट्टी के पौधे उगाने की तकनीक से न सिर्फ भरपूर पैदावार मिल रहे हैं, बल्कि अन्य किसानों को भी इसके लिए ट्रेनिंग दिया जा रहा है। हाइड्रोपोनिक तकनीक फसल उगाने की एक ऐसी तकनीक है जिसमें मिट्टी का उपयोग किए बिना पौधों को उगाया जाता है। पौधे पोषक तत्वों से युक्त पानी के घोल में उगाए जाते हैं। पौधों की जड़ों को सीधे पानी में रखा जाता है, जिससे उन्हें आवश्यक पोषक तत्व और ऑक्सीजन मिलता रहता है। बिहार के प्रगतिशील किसान में आज हम बात कर रहे हैं वैशाली में सुमेरगंज के अरुण कुमार की। जिन्होंने 2 साल पहले मोबाइल पर वीडियो देखने के दौरान मनी प्लांट से इस तरह के पौधे लगाने की प्रेरणा ली। सोचा कि मनी प्लांट पानी से पोषक तत्त्व लेकर विकसित हो सकता है तो अन्य पौधे क्यों नहीं। PVC पाइप के छोटे टुकड़े में 4-5 सब्जी के पौधे लगाए अरुण ने बताया कि 2 साल पहले उसने PVC पाइप के एक छोटे टुकड़े को लेकर उसमें कई छेद बनाकर 4-5 सब्जी के पौधे को लगाया। पानी के माध्यम से उसमें रासायनिक खाद आदि दिया। पौधे का विकास काफी तेजी से हुआ। कम समय में ही पौधे में फलन भी शुरु हो गया। इसके बाद अरुण ने गूगल से सर्च कर खेती में प्रयोग होने वाली खाद, बीज, फसल लगाने के समय आदि की जानकारी हासिल की। और नई तकनीक से खेती करना शुरू किया। इस तकनीक में गूगल के माध्यम से इजराइल में होने वाली बागवानी की तकनीक को भी शामिल किया है। छोटे मोटर की मदद से पानी की सप्लाई अरुण कुमार बताते हैं कि 8-10 इंच मोटा PVC पाइप लेते हैं। इसमें 2 इंच व्यास का छेद कर सभी पाइप को एक दूसरे से कनेक्ट करते हैं। इनमें छोटे मोटर की मदद से पानी की सप्लाई की जाती है। पाइप में बने छेद में प्लास्टिक के छोटे-छोटे ग्लास में कॉकपिट डालकर शिशु पौधे लगाए जाते हैं। पौधों की जड़ तक पानी पहुंचाने के लिए ग्लास के नीचे सूती कपड़े की बत्ती लगाई जाती है। हल्दी पाउडर व सरसों की खल्ली का कर रहे प्रयोग पहले साल उन्होंने पौधों में रासायनिक खाद का प्रयोग किया था। लेकिन पिछले एक साल से रासायनिक खाद का प्रयोग बंद कर जैविक खाद के रूप में हल्दी पाउडर व सरसों की खल्ली का प्रयोग कर रहे हैं।
पूरे साल उगा सकते हैं हरी सब्जी एवं अन्य फसलें हाइड्रोपोनिक विधि से अरुण कुमार ने छत पर बैंगन, पालक, मिर्ची, खीरा, गोभी, राजमा, सेम, टमाटर, चना, मटर, धनिया आदि की फसल लगा रखी है। उगा सकते हैं ताजी सब्जी अरुण इस तकनीक के संबंध में किसानों को जानकारी देकर इस विधि से खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। खासकर शहरी लोगों को अपने छत पर इस तकनीक से खेती कर ताजी सब्जी उगा सकते हैं। जनसंख्या बढ़ने के साथ ही कम होती कृषि भूमि के लिए विकल्प के तौर पर इस तकनीक को अपनाया जा सकता है। जैसे जैसे लोगों को जानकारी मिल रही है लोग उनके घर पहुंच कर इस तकनीक के संबंध में जानकारी ले रहे है। वहीं कई किसानों ने इस विधि से खेती करने की तैयारी में जुटे हैं। इस तकनीक को लेकर कृषि विभाग पहुंचे अरुण को विभाग के वैज्ञानिकों ने बिहार में इस तरह के तकनीक से खेती को असंभव बताया था। लेकिन कुछ नया करने की जिद थी। इसमें अरुण सफल भी हुए।
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