चंडीगढ़ में स्थित फर्नीचर मार्केट को लेकर आज हाईकोर्ट में सुनवाई है। मंगलवार को हाईकोर्ट में इस पर दोनों पक्षों द्बारा काफी दलीलें दी गई थी, जिसे सुनने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला आज के लिए सुरक्षित रख लिया था। प्रशासन द्वारा कार्रवाई करते हुए 20 जुलाई को तोड़ा जा चुका है। उसे लेकर पहले से ही फर्नीचर मार्केट के कारोबारियों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। फर्नीचर मार्केट एसोसिएशन के प्रधान संजीव भंडारी ने अदालत में अपनी बात रखी थी, जिस पर हाईकोर्ट ने मामले में 22 जुलाई को सुनवाई तय की थी। हाईकोर्ट ने कारोबारियों से 2002 से पहले के कागज मांगे थे, जब वे यहां किराए पर रह रहे थे। दरअसल, करीब 4000 करोड़ रुपए कीमत वाली इस जमीन का प्रशासन ने साल 2002 में अधिग्रहण किया था। कारोबारियों का कहना है कि उस समय वे लोग वहां किराए के तौर पर मौजूद थे। जमीन के मालिकों को किराया दिया जाता था। हालांकि जब जमीन अधिग्रहण किया गया तो हमें कोई जानकारी नहीं हो पाई। बोले – अब अपने वायदे से मुकर रहा प्रशासन कारोबारियों का कहना है कि 30 जनवरी को प्रशासन के साथ बैठक हुई थी। उस समय मांग की गई थी कि जगह को खाली कराने से पहले हमें डीसी रेट पर बल्क मार्केट में जगह उपलब्ध कराई जाए। सेक्टर-56 में तैयार हो रहे बल्क मार्केट में प्रशासन ने हमें जगह देने का मौखिक वादा भी किया था। तब हमसे कहा गया था कि इस मामले में बात के लिए व्यापारियों को बुलाया जाएगा। 6 महीने तक कोई बुलावा नहीं आया। अब अचानक बाजार में जगह खाली करने के लिए मुनादी कराई जाने लगी है। 400 करोड़ की जमीन करवाई खाली डीसी निशांत यादव बोले काफी लंबे समय से 10-12 एकड़ जमीन में गैर कानूनी तरीके से फर्नीचर मार्किट बनी हुई थी। इस जमीन की बाजार कीमत करीब 400 करोड़ है, जिसे अब इंजीनियरिंग विभाग को सौंपा गया है ताकि आगे चलकर इस जमीन का इस्तेमाल शहर की सड़क, सीवरेज, पार्क और दूसरी विकास योजनाओं में किया जा सके। यह जमीन चंडीगढ़ शहर के आगे बढ़ने के तीसरे चरण का हिस्सा है और जगह के हिसाब से बहुत जरूरी मानी जा रही है।