हाथरस भगदड़ के बाद से भोले बाबा अंडरग्राउंड:एक साल से कहां हैं, किसी को नहीं पता; एक भी सत्संग नहीं किया

यूपी के हाथरस में 2 जुलाई, 2024 को सत्संग में हुई भगदड़ को एक साल पूरे हो गए हैं। इस भगदड़ में 121 मौतें हुई थीं। इसके बाद नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल उर्फ भोले बाबा ने एक भी सत्संग नहीं किया। बाबा कहां हैं, किसी को नहीं पता। जिस आश्रम से बाबा का नया दौर शुरू हुआ, वहां भी वो सालभर से नहीं आए। भक्त कहते हैं- बाबा का जब मन होगा, तब आ जाएंगे। बीते एक साल में बाबा के उन भक्तों ने थोड़ी दूरी जरूर बनाई है, जिनके परिवार में भगदड़ से मौतें हुई थीं। बाकी भक्तों की भक्ति में कोई कमी नहीं दिख रही। वो बाबा के साथ पूरी आस्था से जुड़े हैं। बाबा अब कहां है? आश्रम की क्या स्थिति है? यहां आने वाले अनुयायी क्या सोचते हैं? ये सब जानने के लिए दैनिक भास्कर हाथरस में ग्राउंड जीरो पर पहुंचा। पढ़िए इस खास सीरीज की तीसरी और आखिरी रिपोर्ट… सेवादार बोले- भगदड़ वाली रात आए थे बाबा, फिर कुछ नहीं पता
76 साल के नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल का जन्म कासगंज जिले के बहादुर नगर गांव में हुआ था। शुरुआत में सूरजपाल ने यूपी पुलिस में नौकरी की। फिर कई मामलों में जेल गए। जेल से छूटने के बाद सूरजपाल ने अपना नाम नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल उर्फ भोले बाबा रख लिया। उन्होंने पहले आश्रम की शुरुआत अपने पैतृक गांव कासगंज से की। दैनिक भास्कर बहादुर नगर गांव के उसी आश्रम पर पहुंचा। कासगंज से कस्बा पटियाली को जाने वाले रास्ते पर बहादुर नगर गांव है। मुख्य रास्ते पर करीब 20 फीट ऊंचा एंट्री गेट लगा हुआ है। इस पर लिखा है- नारायण साकार हरि की संपूर्ण ब्रह्मांड में सदा-सदा के लिए जय-जयकार रहे। हम समस्त मानव प्रेमी उपासकगण आपके आगमन पर शुभकामनाओं के साथ स्वागत करते हैं। इसी गेट के पास 3 हैंडपंप लगे हैं। पता चला कि जो भी भक्त दूर-दूर से इस आश्रम पर आते हैं, वो पहले इन्हीं हैंडपंप पर हाथ-मुंह धोते हैं। फिर आगे बढ़ते हैं। इस एंट्री गेट से आश्रम की दूरी करीब डेढ़-दो किलोमीटर होगी। पूरा रास्ता ऊबड़-खाबड़ पड़ा है। चलते-चलते हम आश्रम से करीब 300 मीटर पहले विश्रामस्थल पर पहुंचे। दरअसल, ये जगह दूरदराज से आने वाले भक्तों के वाहन पार्क करने, फ्रेश होने के लिए है। यहां पर 15 से ज्यादा बाथरूम बने हैं। विश्राम करने के लिए लकड़ी के तख्त पड़े हैं। हमें अलीगढ़ के एक सेवादार मौजूद मिले, जो बाबा से लंबे वक्त से जुड़े हैं। पिछले 2 साल से इसी विश्रामस्थल पर सेवादार के रूप में कार्यरत हैं। हमने पूछा- बाबा आश्रम पर कब आए थे? वो बताते हैं- जब भगदड़ मची, उसी दिन एक रात के लिए आश्रम पर आए और चले गए। उसके बाद दोबारा यहां नहीं आए। बाबा अब कहां रहते हैं, कुछ पता नहीं है। आश्रम की हो रही रंगाई-पुताई
यहां से हम सीधे आश्रम पर पहुंचे। यहां पहुंचने वाले भक्तों में महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। आश्रम पर रंगाई-पुताई का काम चल रहा है। कई मजदूर आश्रम की बाहरी दीवारों को पेंट करने में जुटे हैं। कुछ महिलाएं सत्संग स्थल पर झाड़ू लगा रही हैं। सेवादार हाथ में डंडे लेकर पहरा दे रहे हैं। एक बड़े गेट पर सेवादार डंडा लेकर पहरे पर बैठा है। पता चला कि ये गेट सिर्फ बाबा के आने पर खुलता है, बाकी वक्त बंद रहता है। ऐसे में जो श्रद्धालु आ रहे हैं, वो गेट पर ही मत्था टेक रहे हैं। आश्रम की बाउंड्री की परिक्रमा लगा रहे हैं। बोर्ड पर लिखा- 2014 से मानव मंगल मिलन बंद
आश्रम की चौकी नंबर-1 के पास एक बोर्ड लगा है। इस पर लिखा है- यहां किसी भी तरह का फोटो या वीडियो बनाना वर्जित है। कृपया मोबाइल जेब से बाहर न निकालें। यहीं पर एक दूसरा बोर्ड लगा है। इस पर लिखा है- श्री नारायण साकार हरि धाम, जहां मानव मंगल मिलन सद्भावना का आयोजन होता था, वो नवंबर-2014 में ही समाप्त कर दिया गया है। अब यहां किसी भी प्रकार का कोई आयोजन नहीं होता है। धाम पर रात्रि में ठहरने का कोई प्रावधान नहीं है। हमने आसपास के कई दुकानदारों से बात की। इसमें पता चला कि हर महीने के पहले मंगलवार को यहां आस्था उमड़ती है। दूर-दूर से कई हजार भक्त यहां आते हैं। हमें कई दुकानदार ई-रिक्शा में अपना सामान लेकर आते भी दिखे, जिन्होंने इस खास मंगल पर आश्रम के आसपास अपनी दुकानें लगाईं। सामने नहीं आए आश्रम के व्यवस्थापक
हमने एक सेवादार से बात की और आश्रम के अंदर जाने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि आश्रम के व्यवस्थापक कृष्ण कुमार हैं। वही यहां के कर्ता-धर्ता हैं। हमने कृष्ण कुमार को खोजने का प्रयास किया। वो वहां मौजूद नहीं मिले। हमने कई सेवादारों के जरिए उन्हें संदेश भिजवाया, लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला। सेवादारों ने हमसे साफ कह दिया कि आप यहां बिना अनुमति कोई कवरेज नहीं कर सकते। मोबाइल तो बिल्कुल भी जेब से बाहर मत निकालना। हमने यहां पर कई सेवादारों से भी बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन वो भी ऑन कैमरा बोलने को तैयार नहीं हुए। सालभर से एक भी कार्यक्रम में बाबा की मौजूदगी नहीं
बाबा कहां हैं, क्या कर रहे हैं? ये जानने के लिए हमने उनसे जुड़े सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म खंगाले। पता चला, भगदड़ के बाद से आज तक उन्होंने एक भी सत्संग नहीं किया है। जितने भी आश्रमों में भजन-कीर्तन होते हैं, वहां भी बाबा की मौजूदगी नहीं दिखी। इन कार्यक्रमों में एक सोफा बिछाकर उस पर बाबा की तस्वीर रख दी जाती है और मान लिया जाता है कि बाबा मौजूद हैं। 21 फरवरी, 2025 को बाबा के पटियाली, मैनपुरी, लखीमपुर खीरी आश्रमों पर जश्न आयोजित किए गए। दरअसल, उस दिन न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट सामने आ गई थी, जिसमें भोले बाबा को क्लीन चिट दी गई थी। इस जश्न के कई वीडियो भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद हैं, जिसमें भक्त नाचते-गाते नजर आ रहे हैं। कासगंज, लखीमपुर खीरी, फिरोजाबाद, मैनपुरी में बाबा के आश्रम पहले से बने हैं। अब गाजियाबाद के वेव सिटी इलाके में भी नया आश्रम बनकर तैयार हो रहा है। ये है बाबा का आखिरी बयान, इसके बाद से अंडरग्राउंड ‘होनी को कौन टाल सकता है’
भगदड़ के बाद से अंडरग्राउंड चल रहे नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल का आखिरी बयान उस घटना के एक दिन बाद सामने आया था। उन्होंने समाचार एजेंसी IANS से कहा था- हम 2 जुलाई की घटना के बाद से बहुत ही अवसाद से ग्रसित हैं। लेकिन, होनी को कौन टाल सकता है। जो आया है, उसे एक दिन तो जाना ही है। भले कोई आगे-पीछे हो। हमारे वकील डॉक्टर एपी सिंह एवं हमें भी जैसा प्रत्यक्षदर्शियों ने विषैले स्प्रे के बारे में बताया, वह पूर्णत: सत्य है कि कोई न कोई साजिश जरूर हुई है। सनातन रूप से संचालित कार्यक्रम, जिसे कुछ लोग बदनाम करने में लगे हैं। हमें एसआईटी और न्यायिक आयोग से पूरा भरोसा है कि वह दूध का दूध और पानी का पानी करते हुए साजिशकर्ताओं को बेनकाब करेंगे। हमने वकील एपी सिंह के माध्यम से विनती की थी कि दिवंगत आत्माओं के परिजनों और घायलों के साथ जीवनभर खड़े रहेंगे। हम उन्हें धन्यवाद प्रेषित करते हैं। अभी हम स्वास्थ्य लाभ के लिए जन्मभूमि बहादुर नगर (कासगंज) में हैं। सभी महामंत्र का सहारा न छोड़ें। वर्तमान कठिन समय में भी वही माध्यम है। सभी को सदमति और सदबुद्धि प्राप्त हो। एक सेवादार ने कहा- बाबा के पूरनपुर में होने की बात पता चली थी
हाथरस जिले में गांव सोखना के राकेश कुमार पिछले 25 साल से नारायण साकार हरि से जुड़े हैं। वो कहते हैं- एक नियम, एक कानून होता है। बाबा भी संविधान के अनुसार काम करते हैं। सत्संग होते हैं। हर महीने के पहले मंगलवार को इस तरह के सत्संग सभी आश्रमों पर होते हैं। वहां खूब भक्त आते हैं। बाबा के प्रति भक्तों की श्रद्धा में कोई कमी नहीं आई है। हमने पूछा- बाबा कहां हैं? इस पर राकेश कहते हैं- कुछ महीनों पहले पूरनपुर (लखीमपुर खीरी) में उनके होने की बात सामने आई थी। ऐसा भी हमें कुछ सेवादारों ने बताया था। पिछले एक साल में आपने बाबा को देखा? इसका जवाब देते हुए वो कहते हैं- नहीं साहब। मेरे तो हृदय में विराजमान रहते हैं। वो गुरु हैं, सदगुरु हैं। उन्होंने हमको ईश्वर का एक नाम बता दिया है। उसी नाम को हम जपते हैं। बाबा के वकील अब भी साजिश की बात पर कायम
सूरजपाल बाबा की तरफ से दिल्ली के वकील डॉ. एपी सिंह केस लड़ रहे हैं। हमने उनसे पूछा कि आप भगदड़ के बारे में कोर्ट में क्या दलील दे रहे हैं? वे कहते हैं- हमने 80 हजार लोगों की परमिशन ली थी। मैरिज लॉन, स्टेडियम हो या क्लब, इनकी एक क्षमता होती है। हमारा कार्यक्रम खुले मैदान में था। आयोजन में कितने लोग आए, ये गिनने के लिए हमारे पास, पुलिस-फायर ब्रिगेड के पास कोई सिस्टम या मशीन नहीं थी। मेरा कहना है कि साजिश के तहत लोगों पर जहरीला स्प्रे किया गया। उन्हें मारा गया। एक दिन पहले 1 जुलाई को कुछ लोगों ने मुख्य आयोजक मधुकर को धमकी दी थी कि अगर उनके आदमी को समिति का अध्यक्ष नहीं बनाया, तो आयोजन नहीं होने देंगे। उसी के बाद साजिश के तहत भगदड़ कराई गई। अभी कोर्ट में क्या चल रहा है? इस पर डॉ. एपी सिंह कहते हैं- कोर्ट में पुलिस अफसरों का बयान होना है। हमने 1200 लोगों के एफिडेविट दिए हैं। पुलिसवालों ने तो कहा है कि हमारे सेवादारों ने ही अपने लोगों को मार दिया। ऐसा संभव नहीं कि कोई अपने ही भक्तों पर हाथ उठाए। नारायण साकार हरि तो अपनी गाड़ी से उतरे ही नहीं। पुलिस की चार्जशीट झूठी है। वे अपने को बचाना चाहते हैं। ———————————————— हाथरस भगदड़ कांड के दोनों पार्ट पढ़ें… पार्ट-1: सब-इंस्पेक्टर के बयान के बावजूद चार्जशीट में बाबा का नाम नहीं 2 जुलाई, 2024…हाथरस जिले के फुलरई मुगलगढ़ी गांव में निरंकार साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मची। 121 लोग की जान चली गई। सैकड़ों लोग घायल हुए। इस केस को कल 1 साल पूरा हो जाएगा। जेल गए सभी 11 आरोपी जमानत पर बाहर हैं। दैनिक भास्कर को 3200 पेज की चार्जशीट में एक अहम बयान हाथ लगा है। पढ़ें पूरी खबर पार्ट-2: पीड़ित परिवार बोले- शक्ति होती तो हाथरस भगदड़ में इतने लोग नहीं मारे जाते यूपी के हाथरस में निरंकार साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में हुई भगदड़ को 2 जुलाई को एक साल पूरा हो गया। इसमें 121 लोगों की मौत हुई थी। जिन परिवारों में मौतें हुईं, उनमें ज्यादातर का नजरिया भोले बाबा को लेकर एकदम बदल चुका है। पढ़ें पूरी खबर…

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