‘आपका चयन आयुष चिकित्सक पद पर हुआ है। आपको सूचित किया जाता है कि दिनांक 20 दिसंबर 2025 तक संबंधित स्वास्थ्य केंद्र में योगदान करना है। आपकी सैलरी 32 हजार रुपए प्रतिमाह निर्धारित की गई है।’ यह जॉइनिंग लेटर 15 दिसंबर को सभी आयुष डॉक्टरों को दिया गया था। यही जॉइनिंग लेटर नुसरत परवीन को भी मिला, लेकिन हिजाब विवाद के चलते नुसरत ने जॉइन नहीं किया। 20 दिसंबर को पूरे दिन यह इंतजार होता रहा कि नुसरत आएंगी और सिविल सर्जन को रिपोर्ट करेंगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसी बीच उन्हें झारखंड से 3 लाख की सैलरी का ऑफर मिला। अब नुसरत के पास क्या ऑप्शन हैं, सरकार इस मामले में क्या करेगी, क्या झारखंड में 3 लाख की सैलरी मिल सकती है..? पढ़िए रिपोर्ट नुसरत परवीन के पास अब दो विकल्प हैं… 1. सरकार ने 10 दिनों का एक्टेंशन बढ़ाया नुसरत परवीन ने निर्धारित डेट पर जॉइनिंग नहीं की है, इसलिए सरकार ने अब उन्हें 10 दिनों का एक रिमाइंडर नोटिस भेजा है। इसमें उन्हें 10 दिनों का समय दिया गया है। यह लेटर कुछ इस तरह की भाषा में होगा… नुसरत परवीन, बिहार विषय: योगदान की अवधि बढ़ाने के संबंध में आपको सूचित किया जाता है कि आयुष चिकित्सक पद पर चयन के बाद आप निर्धारित तिथि 20.12.2025 तक योगदान नहीं कर सकी हैं। विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सरकार आपको 10 दिनों (31 दिसंबर) का अंतिम अवसर प्रदान करती है। आपसे अपेक्षा की जाती है कि इस पत्र की प्राप्ति के 10 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से अपने आवंटित अस्पताल में जॉइन करें। निर्धारित अवधि में जॉइन नहीं करने की स्थिति में आपकी नियुक्ति पर विभागीय निर्णय लिया जाएगा। आदेशानुसार राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार (यह लेटर उसी तरह का है जैसा पहले अन्य डॉक्टरों को एक्सटेंशन देने में इस्तेमाल किया गया है, यानी यह कोई नई बात नहीं है, जो भी डॉक्टर समय पर जॉइन नहीं कर पाता है, उसे 10 दिनों का समय दिया जाता है।) 2. 10 दिन मे जॉइनिंग के बाद स्टडी लीव ले सकती हैं नुसरत परवीन के पास दूसरा विकल्प लॉग लीव का है। वह रिमाइंडर लेटर रिसीव करने के बाद नौकरी जॉइन कर सकती हैं। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग को लिखित रूप से यह जानकारी दे सकती हैं कि वह वर्तमान में राजकीय तिब्बी कॉलेज से पीजी की पढ़ाई कर रही हैं। ऐसे में उन्हें अपनी स्टडी पूरी करने के लिए एजुकेशन लीव की जरूरत होगी। विभागीय नियमों के तहत आवेदन देने पर उन्हें पढ़ाई पूरी करने के लिए अवकाश या समय-सीमा में विस्तार (एक्सटेंशन) दिया जा सकता है। पीजी की पढ़ाई पूरी होने के बाद वह विभाग को सूचना देकर नियमित रूप से अपनी सेवा जॉइन कर सकती हैं। अब क्या झारखंड में तीन लाख सैलरी मिल सकती है… सबसे पहले बिहार में आयुष डॉक्टर का स्ट्रक्चर और जॉइनिंग 3 पॉइंट में… फिक्स सैलरी, सीमित विकल्प बिहार में जॉइनिंग मुख्यतः संविदा आधारित और तय वेतन मॉडल पर होती है। आयुष या अन्य डॉक्टरों को लगभग 32 हजार मासिक वेतन मिलता है। पोस्टिंग और सुविधाओं को लेकर विकल्प सीमित होते हैं। जॉइनिंग पूरी तरह नियमों से बंधी है। समय-सीमा और कागजी प्रक्रिया बिहार में जॉइनिंग की प्रक्रिया हार्ड टाइमलाइन और मल्टी-ऑफिस वेरिफिकेशन से जुड़ी होती है। सिविल सर्जन, राज्य स्वास्थ्य समिति और PHC तीनों स्तर पर प्रक्रिया पूरी करनी होती है। किसी भी स्तर पर देरी होने पर जॉइनिंग खतरे में पड़ जाती है। यहां पोस्टिंग कहां मिलती है बिहार में आयुष डॉक्टरों की नियुक्ति संविदा के आधार पर होती है। इसकी पोस्टिंग PHC/CHC स्तर पर की जाती है। सुविधाएं सीमित होती हैं, कोई सरकारी आवास अनिवार्य नहीं है। सरकार का तर्क है कि यह नियुक्ति अनुभव और सेवा अवसर देने के लिए है, न कि स्थायी उच्च वेतन वाली नौकरी। ज्वॉइनिंग लिस्ट में डॉ. नुसरत परवीन का नाम शामिल है और उन्हें पटना सदर CHC/PHC से संबद्ध किया गया है, जैसा कि जारी सूची में दर्ज है। अब झारखंड में डॉक्टर की जॉइनिंग 3 पॉइंट में पॉलिसी के तहत जॉइनिंग: नेता जी का बयान नहीं, पूरा सिस्टम है झारखंड में डॉक्टरों की जॉइनिंग अब केवल परंपरागत वेतन ढांचे तक सीमित नहीं रही है। राज्य ने पॉलिसी आधारित एक मॉडल बनाया है। जिसमें डॉक्टरों को उनकी विशेषज्ञता और उपलब्धता के आधार पर आकर्षक पैकेज दिया जाता है। यहां जॉइनिंग सिर्फ एक मंत्री के बयान पर निर्भर नहीं होती, बल्कि NHM और स्वास्थ्य विभाग के तय फ्रेमवर्क के भीतर होती है। यही कारण है कि बोली-आधारित या विशेष पैकेज वाली नियुक्तियां भी सरकारी प्रक्रिया का हिस्सा मानी जाती हैं। इस मॉडल में डॉक्टरों को पहले से यह स्पष्ट रहता है कि वे किस योजना, किस अवधि और किन शर्तों पर जॉइन कर रहे हैं। वेतन और सुविधाएं: सैलरी के लिए लगती है बोली झारखंड में डॉक्टरों को सिर्फ मासिक सैलरी नहीं, बल्कि सरकारी आवास/फ्लैट, पोस्टिंग में प्राथमिकता, सुरक्षा और प्रशासनिक सहयोग जैसी सुविधाएं भी ऑफर की जाती हैं। झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां डॉक्टर अपनी सैलरी खुद तय करते हैं। बाकायदे सरकार इसकी बिडिंग करवाती है। इसमें कौन डॉक्टर कितनी सैलरी लेगा, वह बोली में बताता है। पोस्टिंग की लचीलापन: जिस शहर में पोस्टिंग वैसी सैलरी झारखंड सरकार ने पोस्टिंग में बहुत लचीलापन रखा है। डॉक्टर अपने शहर के अनुसार सैलरी सेलेक्ट करते हैं, अच्छे शहरों में सैलरी 60 हजार रुपए से शुरू होती है। जब डॉक्टर पिछड़े औ दूर दराज वाले इलाके में जाने को तैयार हो जाते हैं तो उन्हें तीन लाख तक सैलरी दी जाती है। बाकी सुविधाएं अलग से मिलती हैं। महिला डॉक्टरों और विशेषज्ञों के लिए यह पैकेज और भी बड़ा हो जाता है। झारखंड का यह मॉडल डॉक्टरों को प्रोफेशनल एसेट की तरह ट्रीट करता है। झारखंड की बिड-आधारित भर्ती (25 जुलाई 2025) झारखंड में 3 लाख सैलरी देंगे: स्वास्थ्य मंत्री झारखंड सरकार के मंत्री इरफान अंसारी ने कहा, प्रदेश में बेटियों और डॉक्टर के सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं होता है। बिहार में उन्हें 32 हजार रुपए मिलेंगे। वे झारखंड में नौकरी जॉइन करें, उन्हें तीन लाख रुपए वेतन, सरकारी फ्लैट, मनचाही पोस्टिंग और पूरी सुरक्षा दी जाएगी।’ वहीं, रांची के विधायक सीपी सिंह ने कहा कि ‘डॉ नुसरत परवीन के बुर्के को नीतीश कुमार ने हटाया, क्योंकि वो महिला डॉक्टर को एक बेटी के नजर से देख रहे थे। उन्होंने कोई गलत भावना से नकाब नहीं हटाया। इस प्रकरण को कुछ लोगों ने ऐसा तुल दे दिया कि मामला पाकिस्तान तक पहुंच गया। डॉ नुसरत की जांच करनी चाहिए कि कही उसके तार दिल्ली लाल किले के पास हुए ब्लास्ट से तो नहीं जुड़े हैं।’