हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के देहरा में कश्मीरी शॉल विक्रेता जहांगीर अहमद पर आज हमला हुआ है। कथित तौर पर कुछ लोगों ने उन्हें बेरहमी से पीटा, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं और फ्रैक्चर भी हुआ। जहांगीर अहमद को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है। जहांगीर अहमद पिछले 15 वर्षों से देहरा क्षेत्र में शॉल बेचकर जीवन यापन कर रहे थे। उन्होंने बताया कि हमलावरों ने उन्हें शॉल बेचने से रोका, गाली-गलौज की और जान से मारने की धमकी देते हुए राज्य छोड़ने को कहा। इस दौरान उनका सामान क्षतिग्रस्त कर दिया गया और वीडियो बनाने की कोशिश करने पर उनका मोबाइल फोन भी तोड़ दिया गया। अल्पसंख्यक व्यापारियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल यह वर्ष 2025 में हिमाचल प्रदेश में कश्मीरी शॉल विक्रेताओं पर हमले का 16वां मामला बताया जा रहा है। इन लगातार हो रही घटनाओं से राज्य में कश्मीरी और अन्य अल्पसंख्यक व्यापारियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। इस घटना के बाद सामाजिक संगठनों और नागरिक समाज ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। सामाजिक संगठनों और नागरिक समाज ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ सख्त धाराओं में मामला दर्ज कर जल्द गिरफ्तारी की जाए, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। संगठनों ने यह भी दोहराया कि कश्मीरी भारत के समान नागरिक हैं और उन्हें संविधान द्वारा प्रदत्त सभी अधिकार और सुरक्षा मिलनी चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जताई थी नाराजगी इससे पहले उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में कश्मीरी शॉल विक्रेता पर हुए हमले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने कड़ी नाराजगी जताई थी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि कश्मीरी व्यापारी भी देश के समान नागरिक हैं और उन्हें भारत में कहीं भी काम करने का पूरा संवैधानिक अधिकार है। पुलिस प्रशासन का कहना है कि मामला संज्ञान में ले लिया गया है। देहरा के एसपी मयंक चौधरी ने बताया, “पुलिस पीड़ित का बयान दर्ज कर रही है। अभी मेडिकल प्रक्रिया चल रही है। डॉक्टर द्वारा एमएलसी में जिन चोटों का उल्लेख किया जाएगा और पीड़ित के बयान के आधार पर आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज कर एफआईआर की जाएगी।” लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि कश्मीरी व्यापारियों के खिलाफ बढ़ती घटनाओं पर तत्काल लगाम लगाई जाए और यह स्पष्ट संदेश दिया जाए कि सांप्रदायिक नफरत, हिंसा और भेदभाव के लिए हिमाचल प्रदेश में कोई स्थान नहीं है।