IPS सुरेंद्रनाथ तिवारी, यूपी पुलिस में एक चर्चित नाम हैं। उन्होंने 3 दशक की पुलिस सर्विस में कई माफियाओं की रीढ़ तोड़ी। 140 बदमाशों का एनकाउंटर किया। सुरेंद्रनाथ बचपन से ही पुलिस में जाना चाहते थे। वह 1994 बैच के PPS रहे। 2016 बैच के IPS अधिकारी अभी गाजियाबाद में डीसीपी देहात जोन के पद पर तैनात हैं। बुलंदशहर में एसपी सिटी रहते हुए उन्होंने एक ही दिन में 2 बदमाशों को ढेर किया। किसान परिवार से जुड़ाव रखने वाले IPS की स्टोरी काफी अलग है। दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज खाकी वर्दी में आज IPS सुरेंद्रनाथ तिवारी की कहानी 6 चैप्टर में पढ़ेंगे… यूपी के अंबेडकरनगर में जिला मुख्यालय से 55 किमी की दूरी पर गांव पड़ता है कुरांव। यहां के शिवानंद तिवारी पेशे से किसान रहे। इन्हीं के घर 20 जुलाई 1970 को जन्मे सुरेंद्रनाथ सरकारी स्कूल से पढ़े हैं। सुरेंद्रनाथ तिवारी बताते हैं कि पिता पेशे से किसान थे, मां शांति देवी गृहिणी। बचपन में जब छोटा था तब पिता के साथ खेत पर चला जाता था। मैंने कुरांव गांव से सटे भूपतपुर गांव के प्राथमिक विद्यालय से पढ़ाई की है। गांव के दूसरे बच्चों के साथ पैदल ही पढ़ने जाता था। पांचवीं पास करने के बाद जूनियर विद्यालय में पढ़ाई की। उस समय जमीन पर बैठकर पढ़ना होता था। 8वीं करने के बाद पिता ने गांव से 6 किमी दूर राजे सुल्तानपुर इंटर कॉलेज में दाखिला करा दिया। उस समय मुझे पहली बार स्कूल आने-जाने के लिए साइकिल मिली। कई बार स्कूल से आने में देर हो जाती तो मां और पिता इंतजार करते थे। 1985 में राजे सुल्तानपुर इंटर कॉलेज से प्रथम श्रेणी में यूपी बोर्ड से हाईस्कूल पास किया। फिर 1987 में इंटर में कॉलेज का टॉपर रहा। मैं पढ़ाई के दौरान पिताजी के साथ खेती का काम भी करवाता था। सुरेंद्रनाथ तिवारी कहते हैं कि इंटर करने के बाद परिवार ने पढ़ाई के लिए लखनऊ भेज दिया। लखनऊ यूनिवर्सिटी में बीए में एडमिशन लिया। 1990 में बीए पास करने के बाद फिर राजनीतिक विज्ञान से 1992 में एमए की पढ़ाई पूरी की। सिविल सेवा की तैयारी करनी थी, ऐसे में समस्या था कि हॉस्टल का माहौल पढ़ाई के लिए सबसे अच्छा रहता था। हॉस्टल खाली करने की बात आई तो दूसरे सब्जेक्ट में फिर से एमए में एडमिशन ले लिया। लखनऊ विश्वविद्यालय से ही एलएलबी भी की। 1993 में यूपी पीसीएस की परीक्षा दी, लेकिन सफलता नहीं मिली। दूसरे प्रयास में PPS में चयन हो गया, बैच मिला 1994। जब लखनऊ से अपने घर गया तो गांव में बधाई देने वालों की भीड़ लग गई। मुझे आगे बढ़ने के लिए हमेशा पिता और परिवार ने साथ दिया। पिता भी चाहते थे कि बेटे की सरकारी नौकरी लगे। लेकिन जब लखनऊ यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की तो दूसरे सीनियर छात्रों को देखकर अफसर बनने की ही ठान ली। 7 जिलो में सीओ तैनात रहे सुरेंद्रनाथ तिवारी बताते हैं कि मैं 7 जिलों में सीओ और 5 जिलों में एडिशनल एसपी रहा। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें सिद्धार्थनगर जिले में सीओ के पद पर पहली पोस्टिंग मिली। इसके बाद सीतापुर, देवरिया, भदोही, कानपुर और वाराणसी में भी सीओ तैनात रहे। साल 2014 में एडिशनल एसपी के पद पर प्रमोशन होने के बाद कानपुर में SP ग्रामीण के पद की जिम्मेदारी मिली। यहां पर एसपी इंटेलिजेंस और जालौन में एडिशनल एसपी रहा। फिर लखनऊ मुख्यालय में तैनाती मिली। इसके बाद 3 साल बुलंदशहर में एसपी सिटी रहा। सुरेंद्रनाथ तिवारी कहते हैं कि मैं बुलंदशहर में एसपी सिटी था, उस समय संतोष सिंह SSP बुलंदशहर थे। पंचायत चुनाव शांतिपूर्ण तरह से कराने के लिए पुलिस को निर्देश दिए गए थे। 29 मार्च 2021 की बात है, बुलंदशहर के रहने वाले बीएसएफ हेड कॉन्स्टेबल के लापता होने की सूचना मिली। अगौता थाना क्षेत्र के सेगा गांव निवासी रामपाल सिंह (55) बीएसएफ की 57 बटालियन जैसलमेर में पोस्टिंग थे। 1 अप्रैल को उन्हें विशेष कोर्स के लिए बाहर जाना था। उससे पहले 28 मार्च 2021 को 1 दिन के लिए अपने गांव बुलंदशहर पहुंचे। 29 मार्च से उनका मोबाइल स्विच ऑफ हो गया। हेड कॉन्स्टेबल गैरहाजिर हो गए। उनके चचेरे भाई ने बताया कि रामपाल सिंह घर से लापता हैं। उनके साथ अनहोनी हो सकती है। मैंने अगाैता थाना प्रभारी को जांच के लिए भेजा। पुलिस ने बताया कि बेटा उन्हें हापुड़ में छावनी के पास बस में बिठाकर आया है। लापता हेड कॉन्स्टेबल रामपाल के भाई ने सितंबर 2021 में पुलिस अफसरों को बताया कि मेरे भाई की हत्या कर दी गई है। जांच में सामने आया कि रामपाल के दोनों बेटे व दोस्तों ने घटना के दिन शराब पी थी। लापता होने वाले दिन हेड कॉन्स्टेबल के मोबाइल की लोकेशन घर की निकली। यहां से पुलिस को परिवार पर शक हुआ। जांच के लिए क्राइम ब्रांच की टीम को लगाया गया। बेटे लगातार पुलिस को गुमराह करते रहे। पता चला कि रामपाल की घर में ही हत्या करके शव घर के कमरे में दबा दिया गया। जेसीबी से घर की खुदाई कराई गई, लेकिन शव नहीं मिला। फिर पुलिस ने हेड कॉन्स्टेबल के बेटे के दोस्त को हिरासत में लिया। सख्ती से पूछताछ की तो पता चला कि हेड कॉन्स्टेबल के दोनों बेटों ने 3 टुकड़े कर शव को अपने ही कुएं में फेंक मिट्टी से दबा दिया था। जिसके बाद बेटे शव बरामद कर दोनों बेटों व उनके दोस्तों को जेल भेजा। जांच में सामने आया कि बेटों ने पैसों के लालच व पत्नी पर गलत नजर रखने पर पिता की हत्या की थी। सुरेंद्रनाथ तिवारी बताते हैं कि मैं दिसंबर 2022 में एसपी सिटी बुलंदशहर था। शाम के समय बाइक सवार बदमाशों ने शहर में काली नदी से कुछ दूरी पर एक ज्वैलर्स की शॉप में घुसकर लूट की। व्यापारी ने विरोध किया तो पिस्टल से गोली चला दी। लूट के बाद बदमाश फरार हो गए। इस घटना के सीसीटीवी फुटेज भी सामने आए थे। एसएसपी की तरफ से इस घटना के खुलासे के लिए 5 टीमें लगाई गईं। बदमाशों पर 50-50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया। लगातार इस केस को सॉल्व करने के लिए करीब 40 से स्थानों पर पर लगे कैमरों का सहारा लिया। जांच में आया कि बदमाश काली नदी से अगौता रोड की तरफ फरार हुए थे। 2 जनवरी की रात एक सूचना पर पूरे शहर में बदमाशों की घेराबंदी की गई। जिसमें कुख्यात आशीष ने पुलिस पर फायरिंग कर दी, इसमें एक सिपाही को गोली लगी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने 50 हजार के इनामी आशीष को एनकाउंटर में मार गिराया। घटना में दूसरा 50 हजार का इनामी अब्दुल भाग निकला। दो घंटे बाद उसे एनकाउंटर में मारा गिराया। यह बुलंदशहर की चर्चित लूट की वारदात थी, जिसकी लखनऊ तक गूंज पहुंची थी। इन्हीं बदमाशों के पास से पुलिस ने लूटे हुए जेवरात बरामद किए थे। जांच में सामने आया कि रेकी करने के बाद लूट की घटना को अंजाम दिया गया था। सुरेंद्रनाथ तिवारी कहते हैं कि इसी महीने 10 जून को दिल्ली बॉर्डर से सटे लोनी इलाके में नहर की पटरी पर एक 25 साल की महिला की लाश मिली। महिला के चेहरे पर खून के निशान थे। शिनाख्त के लिए पुलिस की 4 टीमें लगाईं। पुलिस ने घटनास्थल के 10Km के दायरे में लगे CCTV चेक किए। फुटेज में एक बाइक पर हरा सूटकेस लेकर जाते 2 लोग दिखे। बाइक के नंबर की जांच करते हुए पुलिस टीम दिल्ली में आरोपियों के घर पहुंची। पता चला कि सूटकेस में मिला शव उनकी बहू कविता का था। सुबह 3 बजकर 2 मिनट पर सूटकेस को नहर की पटरी पर फेंका गया। कविता का पति सागर ईंट भट्टे पर काम करता था। वह पंजाब की रहने वाली थी। दिल्ली के करावल नगर में उसकी ससुराल है। पति जब काम पर चला जाता था तो घर में देवर और ससुर परेशान करते थे। उसका घर पर रहना भी उन्हें पसंद नहीं था। 9 जून की रात कविता को देवर सुमित, गुड्डू और ससुर हरवीर ने गला दबाकर मार दिया। इसके बाद ससुर और देवर लाश छुपाने के लिए 2 घंटे तक इंतजार करते रहे। घर में रखे सूटकेस में पहले चादर में लाश को लपेटा। फिर सूटकेस में तोड़ मरोड़ के पैक किया। उसके बाद एक चादर में सूटकेस को लपेटा और बाइक से दिल्ली के करावल नगर से नहर के रास्ते होते हुए गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर पर फेंक दिया। इस घटना में दोनों देवर व ससुर को अरेस्ट कर जेल भेजा गया। सुरेंद्रनाथ तिवारी बताते हैं कि दिसंबर 2024 की बात है। गाजियाबाद में एक युवती मुस्कान और उसके साथ काम करने वाले युवक सरताज ने रेप की शिकायत की। जांच के दौरान पीड़िता बार-बार बयान बदलती रही। जिस पर उसने आरोप लगाए वह रिश्ते में चाचा लगता था। युवती लगातार आरोपी की गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाती रही। पुलिस ने जब आरोपी की लोकेशन देखी तो वह घटना के दिन दूसरे स्थान की निकली। आरोपी को पूछताछ के लिए बुलाया गया। जांच में सामने आया कि मुस्कान का अपने चाचा शकील और उनके बेटे शोएब से विवाद चल रहा था। दोनों पक्षों में पहले मारपीट भी हो चुकी थी। मुस्कान कई बार धमकी दे चुकी थी कि जेल भिजवाकर रहूंगी। जिसके बाद मुस्कान ने सरताज के साथ मिलकर यह साजिश रची कि शोएब को दुष्कर्म के झूठे आरोप में फंसाया जाए। समझौते में 5 लाख रुपए मांगे जाएं। यह केस पूरी तरह से फर्जी था। मुस्कान और उसके साथ रहने वाले सरताज को पुलिस ने अरेस्ट किया। 2004 में सीओ सिटी देवरिया रहते हुए 2 बदमाशों को एक ही दिन में ढेर किया। जिसमें 80 लाख रुपए की फिरौती के लिए व्यापारी का अपहरण किया गया था। जालौन में खनन व शराब माफिया की 7 करोड़ से अधिक की संपत्ति कुर्क की। पत्नी बीएमएस डॉक्टर सुरेंद्रनाथ कहते हैं कि परिवार की मर्जी से डॉ. दीपाली तिवारी से शादी हुई। पत्नी डॉक्टर हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि कोई बड़ी घटना हो गई तो 24 घंटे से भी अधिक समय तक घर आना नहीं होता। छोटे भाई शैलेंद्र तिवारी कानपुर में प्रोफेसर हैं। वहीं 2 भाई धर्मेंद्र और महेंद्र तिवारी गांव में खेती का काम देखते हैं। अचीवमेंट्स ……………..