बलरामपुर से टेरर फंडिंग का मामला सामने आया है। पहले चाइनीज एप के जरिए लोगों को बिना ब्याज के लोन का लालच देते। पैसे लेने के प्रोसेस में ही उनका पर्सनल डेटा हैक करते। फिर पर्सनल तस्वीरों-वीडियो को एडिट करके उन्हें ब्लैकमेल करते थे। उनसे पैसे मंगाकर पाकिस्तान भेज देते थे। साइबर ठग लेन-देन के लिए गरीबों के खाते का यूज करते थे। इसके एवज में उन्हें हर महीने 10 रुपए कैश देते थे। इसके लिए बाकायदा टारगेट सेट होता था। बलरामपुर पुलिस ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार करके मामले का खुलासा किया है। जांच में सामने आया है कि एक साल में पाकिस्तान के 30 बैंक अकाउंट में 8 करोड़ से ज्यादा भेजे गए। पुलिस का मानना है कि 10 साल में करीब 700 करोड़ का फ्राड किया गया है। इनका नेटवर्क यूपी से लेकर दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश और बिहार तक फैला है। गैंग पाकिस्तान से ऑपरेट हो रहा था। अब पढ़िए पूरा मामला… जेल से बाहर निकलते ही एसओजी की टीम ने चारों को उठाया
बलरामपुर के थाना ललिया पर तैनात उपनिरीक्षक बब्बन यादव को 17 जुलाई को सूचना मिली कि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर टेरर फंडिंग चल रही है। पुलिस ने 18 जुलाई को मुकदमा दर्ज किया। मुखबिर की सूचना पर 4 लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेजा। 23 जुलाई को इन आरोपियों को जमानत मिल गई। हालांकि जेल से बाहर आते ही SOG ने इनको उठा लिया। चारों से नए सिरे से पूछताछ की, तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। इस ठगी का सरगना बिहार के नवादा के मुफास्सिल का रहने वाला सस्पियर है। जो नई दिल्ली में बैठकर पूरे नेटवर्क को संचालित कर रहा था। अब तक इस ठगी में 700 करोड़ का घोटाला हो चुका है। जिन एप्स के जरिए ठगी की गई है, वो अभी भी प्ले स्टोर पर ऑनलाइन हैं। ये परेशान लोगों को लूटते और गरीबों के खाते में पैसे मंगाते
एसपी विकास कुमार ने बताया- जब हम लोग इस मामले की जांच कर रहे थे तो कई चीजें निकलकर सामने आईं। इन लोगों के टारगेट पर आर्थिक रूप से परेशान लोग रहते थे। ये लेन-देन के लिए गरीबों के खाते ही यूज करते थे। मुख्य आरोपी दिल्ली में रहने वाला सस्पियर है। इसके अलावा फर्रुखाबाद निवासी प्रदीप कुमार, बलरामपुर के रहने वाले सत्यदेव, लवकुश और जय प्रकाश शामिल हैं। अभी इस मामले की जांच चल रही है। ये गैंग बहुत बड़ा है। इस केस में पीड़ितों की भी पहचान कर रहे हैं। ये लोग चाइनीज एप का यूज करते थे। ये गैंग करीब 10 साल से एक्टिव है। इन सालों में करोड़ों का घोटाला हुआ है। सरगना सस्पियर की 1 साल पहले यूपी के फर्रुखाबाद के रहने वाले प्रदीप से मुलाकात हुई थी। दोनों लखनऊ में मिले थे। सस्पियर ने प्रदीप को पूरा सिस्टम समझाया। प्रदीप ने इस गैंग में और साथियों को जोड़ा। इसके बाद ये गैंग यूपी में भी फैल गया। गैंग लोगों को कैसे फंसाता था… बिना ब्याज के बड़ा लोन देने का ऑफर देते थे आरोपी ऑनलाइन डेटा की मदद से लोगों तक पहुंचते थे। उनसे कहते थे कि हम आपको सबसे सस्ता लोन देंगे। हम 2000 रुपए का लोन देंगे। अगर आप 7 दिन के अंदर 800 रुपए ब्याज के साथ पैसे लौटा देंगे तो आपको बिना ब्याज के बड़ा लोन ऑफर करेंगे। अगर आप समय पर पैसा नहीं दे पाएंगे तो हम ब्याज के साथ पेनल्टी भी लगाएंगे। इतने कम पैसों के लिए हर कोई आसानी से मान जाता और इनके जाल में फंस जाता था। लोगों के फंसने के बाद क्या करते थे… आरोपी लोन देने के लिए उधार लोन, क्विक लोन, रुपए फैक्ट्री, क्रेडिट बी, साइबर सोर्स, पे-लैब, ईबीआई गेट-वे, ईडब्लूए बिल जैसे चाइनीज और सिंगापुर के एप का इस्तेमाल करते थे। इन ऐप में सिस्टम है कि कोई भी बिना पर्सनल डेटा शेयर किए बिना इन्हें डाउनलोड नहीं कर सकता। लोग पैसा लेने के चक्कर में बिना टर्म्स और कंडीशन पढ़े एप डाउनलोड कर लेते थे। AI से एडिट वीडियो भेजकर ब्लैकमेल करते थे
जो लोग इनके ब्याज के पैसे नहीं देते थे, उनको ठग पर्सनल वीडियो और फोटो एडिट करके भेजते थे। ब्लैकमेल करके उनसे ज्यादा पैसे लेते थे। लोग भी बदनामी के डर से इनकी डिमांड पूरी करते रहते थे। वहीं जो लोग इनके पैसे ब्याज के साथ वापस कर देते, उनको ये लोग बिना ब्याज के बड़े लोन का ऑफर देते थे। जब लोग लोन ले लेते थे तो उसपर अनचाहा ब्याज लगाते थे। जब वो लोग ब्याज फ्री लोन की स्कीम की बात करते, तो उनको भी सेम पैटर्न से धमकाते थे। उनकी एडिटेड गंदी वीडियो-फोटो बनाकर भेजते और पैसे ऐंठते। लोन का पैसा किन खातों में जाता था… ठग अपने आसपास के ऐसे लोगों को टारगेट करते थे, जो छोटा-मोटा काम करके अपना परिवार चलाते थे। उन्हें ये लोग हर महीने 10 हजार रुपए देने का लालच देते थे। साथ ही यह भी कहते कि अगर उन्होंने अपने नीचे और लोगों का खाता खुलवाया, तो कमीशन अलग से देंगे। पासबुक-एटीएम ले लेते थे आरोपी
पहले ऐसे लोगों का नया सिम लेकर खाता खुलवाया जाता था। उसके बाद इनका पासबुक और एटीएम ले लिया जाता था। गैंग का सरगना हर महीने ऐसे खाता धारकों के लिए दिल्ली से कैश भेजता था। उन्हें लिफाफे में रखकर पैसा दिया जाता था। पैसों के लालच में कोई भी इनका विरोध नहीं करता था। फिर इन लोगों के खाते में फ्राड का पैसा मंगवाया जाता था। गैंग का सरगना लेता था 10% कमीशन
ये लोग गरीबों के खातों में पैसे मंगवाते थे। ये सारा पैसा दिल्ली में निकाला जाता था। वहां से 5% खाता होल्डर को मिलता, 5% खाता खुलवाने वाले और लोन पास करवाने वाले को मिलता था। 10% दिल्ली में बैठा सरगना लेता था। बचा हुआ 80 फीसदी पाकिस्तान भेजा जाता था। ये सारा पैसा किसी UPI या फिर अकाउंट में ट्रांसफर नहीं होते थे। ये पैसा बसों के जरिए पार्सल बनाकर गरीबों और फर्जी एजेंटों के पास भेजे जाते थे। पाकिस्तान के 30 खातों में भेजे गए पैसे
एसपी विकास कुमार ने बताया कि पुलिस को आरोपियों के पास से जो फोन मिले हैं, उनमें पाकिस्तानी नंबर मिले हैं। साथ ही पाकिस्तान के 30 से ज्यादा खातों में क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से पैसा भेजा गया है। हमें शक है कि ये पूरा गैंग पाकिस्तान से चलाया जा रहा है। हम लोग पाकिस्तान के खातों की भी जांच कर रहे हैं। जिनमें पैसा भेजा गया। साथ ही उन गरीबों की भी तलाश की जा रही है, जिन्होंने अपने खाते खुलवाए थे। इस पूरे केस में अब तक 700 करोड़ से ज्यादा का घोटाला हो चुका है। ——————————- यह खबर भी पढ़ें- घर से 2KM दूर किडनैप किया, 5 करोड़ मांगे, 12 घंटे कार में बैठाकर दौड़ाते रहे; गोरखपुर के एयरफोर्स कर्मी के अपहरण की कहानी रिटायर्ड एयरफोर्स कर्मी अशोक जायसवाल साइकिल पर रेलवे स्टेडियम की तरफ बढ़ रहे थे। तभी उनको किडनैप कर लिया गया। घरवालों से 5 करोड़ की रंगदारी मांगी गई। लेकिन, पुलिस ने किडनैपर्स को गिरफ्तार कर अशोक को छुड़ा लिया। यहां पढ़ें पूरी खबर