उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने विधायक अब्बास अंसारी की मऊ विधानसभा सीट को रिक्त घोषित कर दिया है। मऊ MP/MLA कोर्ट ने शनिवार को अब्बास अंसारी को हेट स्पीच मामले में 2 साल की सजा सुनाई थी। कोर्ट का आदेश मिलते ही रविवार के दिन विधानसभा सचिवालय खोला गया। विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने अब्बास अंसारी की सदस्यता समाप्त कर दी। साथ ही मऊ सीट को रिक्त घोषित करने का आदेश जारी कर दिया। विधानसभा सचिवालय की ओर से मुख्य निर्वाचन अधिकारी को मऊ विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव करने का प्रस्ताव भेज दिया गया। सूत्रों का कहना है- प्रदेश सरकार का प्रयास रहेगा कि बिहार चुनाव से पहले की मऊ में उपचुनाव कराया जा सके। अब हेट स्पीच का पूरा मामला समझिए… बात 3 मार्च, 2022 की है। अब्बास ने मऊ के पहाड़पुर मैदान में चुनावी रैली की। इसमें कहा- यहां पर जो आज डंडा चला रहे हैं। अगले मुख्यमंत्री होने वाले अखिलेश भैया से कहकर आया हूं। सरकार बनने के बाद छह महीने तक कोई तबादला और तैनाती नहीं होगी। जो हैं, वह यहीं रहेगा। जिस-जिस के साथ जो-जो किया है, उसका हिसाब किताब यहां देना पड़ेगा। इस बयान के बाद चुनाव आयोग ने तब अब्बास अंसारी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 24 घंटे तक प्रचार पर रोक लगा दी थी। 4 अप्रैल, 2022 को तत्कालीन एसआई गंगाराम बिंद की शिकायत पर शहर कोतवाली में FIR दर्ज की गई थी। इसमें अब्बास, उनके छोटे भाई उमर अंसारी और चुनाव एजेंट मंसूर के अलावा 150 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया था। इन पर IPC की धाराएं- 506 (धमकी), 171F (चुनाव प्रक्रिया में बाधा), 186 (लोक सेवक को बाधित करना), 189 (लोक सेवक को धमकाना), 153A (साम्प्रदायिक वैमनस्य) और 120B (षड्यंत्र) जैसी गंभीर धाराएं लगाई गई थीं। अब्बास का वह वीडियो देखिए, जिस पर उन्हें दोषी ठहराया… 21 मार्च को 2 साल 8 महीने बाद जेल से रिहा हुए थे अब्बास
मनी लॉन्ड्रिंग और गैंगस्टर एक्ट मामले में अब्बास अंसारी 21 मार्च को 2 साल 8 महीने बाद जेल से रिहा हुए थे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 7 मार्च को ही जमानत दे दी थी। कोर्ट ने कहा था- अब्बास अंसारी कब तक जेल में रहेगा? कोर्ट के आदेश के 15 दिन बाद रिहाई का परवाना कासगंज जेल पहुंचा, जिसके बाद अब्बास की रिहाई हुई। अब्बास को नवंबर, 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हिरासत में लिया था। उन पर आरोप था कि वह आपराधिक नेटवर्क का हिस्सा थे और अवैध तरीके से धन इकट्ठा करते थे। ईडी ने जांच के बाद उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। बिना इजाजत अब्बास से मिलने पर पत्नी निखत को हुई थी जेल
11 फरवरी, 2023 को निखत अंसारी बिना अनुमति के चित्रकूट जेल में बंद अब्बास अंसारी से मिलने पहुंची। वह जेलर के कमरे में पति अब्बास से मुलाकात कर रही थी, तभी एसपी और डीएम अचानक पहुंच गए। हालांकि, अब्बास को छापेमारी से थोड़ी देर पहले ही जेलकर्मियों ने कमरे से निकाल दिया था। मामला सामने आने के बाद 15 फरवरी को अब्बास अंसारी को चित्रकूट जिला जेल से कासगंज जेल ट्रांसफर कर दिया गया था। हालांकि, निखत को चित्रकूट जेल में ही रखा गया था। करीब 154 दिन जेल में रहने के बाद निखत को रिहा किया गया था। आखिर में पढ़िए अब तक किन-किन नेताओं की विधायकी या सांसदी गई- इस नियम के तहत जाती है सदस्यता
रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951’ की धारा 8 (3) के तहत अगर किसी सांसद या विधायक को किसी अपराध में दोषी ठहराया जाता है और उसे 2 साल या इससे ज्यादा की सजा सुनाई जाती है, तो उसकी संसद या विधानसभा सदस्यता खत्म हो जाएगी। वह रिहाई के 6 साल बाद तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएगा। ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट’ की धारा 8 (4) कहती है कि दोषी सांसद या विधायक की सदस्यता तुरंत खत्म नहीं होती। उसके पास तीन महीने का समय होता है। इस दौरान अगर वह हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर देता है तो उस अपील की सुनवाई पूरी होने तक सदस्यता नहीं जाती। अगर वह अपील नहीं करता है तो तीन महीने बाद उसकी सदस्यता समाप्त कर दी जाती है। हालांकि, जुलाई 2013 में लिली थॉमस vs यूनियन ऑफ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951’ की धारा 8 (4) के तहत मिली छूट को असंवैधानिक बताया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि सांसद या विधायक दोषी करार दिए जाते हैं और उन्हें 2 साल या इससे ज्यादा साल की सजा सुनाई, तो दोषी करार होते ही उनकी संसद या विधानसभा सदस्यता खत्म हो जाएगी। खबर लगातार अपडेट की जा रही है…