नई नियमावली को कैबिनेट से मिली मंजूरी:राज्य में विज्ञापन लगाने के लिए नगर निकायों से अनुमति लेनी होगी, लाइसेंस शुल्क अनिवार्य

राज्य में अब शहरी क्षेत्रों में विज्ञापन लगाने से पहले संबंधित एजेंसी को नगर निकायों से अनुमति लेगी होगी। साथ ही लाइसेंस लेने के लिए तय शुल्क चुकाना होगा। इसके लिए बिहार नगर क्षेत्र विज्ञापन (संशोधन) नियमावली, 2025 को लागू किया जाएगा। मंगलवार को इस नई नियमावली को कैबिनेट से मंजूरी मिली। यह नियम राज्य के राजपत्र में प्रकाशित होने की तारीख से प्रभावी होगा। पिछले 10 साल से राज्य में विज्ञापन व होर्डिंग लगाने की नियमावली या पॉलिसी ही नहीं है। एजेंसियां मनमाने तरीके से अपना काम कर रही हैं, जिसमें नगर निकायों को राजस्व नहीं मिल रहा है। राजधानी पटना में ही 50 करोड़ रुपए सालाना राजस्व का नुकसान हो रहा है। जबकि राज्यभर में यह आंकड़ा 150 करोड़ रुपए का है। दैनिक भास्कर ने इस मुद्दे को गंभीरता के साथ उठाया था। नई पॉलिसी लागू होने से न सिर्फ राजस्व बढ़ेगा, बल्कि अवैध और अनियंत्रित विज्ञापन पर भी लगाम लगेगी। नगर निकायों को शुल्क लेने का अधिकार होगा नई पॉलिसी के तहत अब कोई भी व्यक्ति या संस्था भूमि, भवन, दीवार, ढांचे, वाहन या सार्वजनिक स्थल से दिखाई देने वाले किसी भी माध्यम से विज्ञापन करते हैं, तो उन्हें तय श्रेणियों के अनुसार लाइसेंस शुल्क देना होगा। यह शुल्क नगर निकायों की श्रेणियों के आधार पर तय किया गया है और इसमें जीएसटी भी लागू होगा। विज्ञापन व होर्डिंग लगाने पर नगर निकायों को शुल्क लेने और नियम नहीं मानने पर कार्रवाई करने का अधिकार होगा। सभी प्रक्रिया ऑनलाइन पोर्टल या ई-प्रोक्योरमेंट के जरिये होगी। बिना अनुमति लगे विज्ञापन पर जुर्माना लगेगा और हटाया जाएगा। जो एजेंसियां नियमों का बार-बार उल्लंघन करेंगी, उनका लाइसेंस रद्द किया जाएगा। विज्ञापन सामग्री भी नियमों के दायरे में होगी। अश्लीलता या हिंसा फैलाने वाला, किसी कानून के विरुद्ध वाला विज्ञापन हटाया जाएगा। पुराना अनुबंध 31 दिसंबर तक ही वैध ई-टेंडरिंग और ई-नीलामी से विज्ञापन स्थलों का आवंटन होगा। दुकानों और संस्थानों द्वारा लगाए गए सेल्फ-साइन बोर्ड के लिए भी प्रति वर्ग फीट के हिसाब से शुल्क तय किया गया है। पुराने विज्ञापन अनुबंध 31 दिसंबर 2025 तक वैध माने जाएंगे, इसके बाद नया लाइसेंस ऑनलाइन लेना होगा। लाइसेंस तीन वर्षों तक वैध होगा, हालांकि हर साल इसका नवीनीकरण कराना होगा। तय समय में नवीनीकरण नहीं होने पर 100 रुपए रोज के हिसाब से जुर्माना लगेगा। 30 दिनों से अधिक देर पर लाइसेंस रद्द किया जाएगा। हर प्रमंडल में मेगा स्किल सेंटर खुलेगा श्रम संसाधन विभाग हर प्रमंडल में एक-एक मेगा स्किल सेंटर खोलेगा। मंत्री संतोष कुमार सिंह ने बताया कि योजना के पहले चरण में कुल 9 मेगा स्किल सेंटर खोले जाएंगे, जिनका संचालन राज्य सरकार के साथ-साथ सरकारी, गैर-सरकारी एवं औद्योगिक संस्थानों के सहयोग से किया जाएगा। इसके लिए अनुमानित लागत 280.87 करोड़ रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति कैबिनेट से मिल गई है। इस मेगा स्किल सेंटर से प्रदेश में रोजगार की संभावनाएं बनेंगी। इसका लाभ सुदूर इलाके के युवाओं को भी मिलेगा। सचिव दीपक आनंद ने बताया कि मेगा स्किल सेंटर में युवाओं और आमजनों को बाजार की मांग के अनुरूप तकनीकी प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार से जोड़ा जाएगा। 9 एसटी समूहों को आवास योजना का लाभ प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) के तरह राज्य की अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय के 9 समूह के लोगों (असुर, बिरहोर, बिरजीया, हिलखरिया, कोरवा, मालपहाड़िया, परहईया, सौरियापहाड़िया और सावर) को पीएम आवास योजना का लाभ दिया जाएगा। इन आदिवासी समुदाय के लोगों को आवास के लिए 2 लाख रुपए चार किस्त में दिए जाएंगे। एलएनजेपी हड्डी अस्पताल में स्पोर्टस इंज्यूरी इकाई के लिए 36 पद सृजित लोकनायक जयप्रकाश हड्डी हॉस्पिटल में स्पोट्र्स इंज्यूरी इकाई शुरू की गई है। इस में 20 बेड हैं। इसके लिए 36 नए पदों का सृजन किया गया है। नवसृजित कृषि विपणन निदेशालय के लिए 14 पदों का सूजन किया गया है। कैबिनेट विभाग के अंतर्गत करीय विमान चालक के 2, कंसल्टेंट एवं सिविल इंजीनियर के 1-1 यानी कुल चार पदों के सुजन की भी स्वीकृति दी गई है। बिहार जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियमावली, 1999 के नियम-5 समेत अन्य धाराओं में संशोधन किया गया है। अब यह बिहार जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण (संशोधन) नियमावली, 2025 कही जाएगी। बिहार बाल विकास लिपिकीय संवर्ग (संशोधन) नियमावली व बिहार खेल सेवा संवर्ग (भर्ती एवं सेवा शर्ते) नियमावली को स्वीकृति दी गई। जल संसाधन की 100 करोड़ की दो योजनाएं स्वीकृत की गई, जिसमें बख्तियारपुर में गंगा चैनल के दाएं तट पर सुरक्षात्मक व कटाव कार्य शामिल है।

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