23 दिन पहले सड़क हादसे में जख्मी पिता की मौत:औरंगाबाद में बेटी को परीक्षा दिलाने ले जा रहे थे, तेज रफ्तार बुलेट ने मारी थी टक्कर

औरंगाबाद में 23 दिन पहले सड़क दुर्घटना में जख्मी एक शख्स की मौत मंगलवार को इलाज के दौरान हो गई। देर रात उसका शव पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल लाया गया। मृतक 45 साल का दिलीप सिंह उर्फ गोरे सिंह फेसर थाना क्षेत्र के रघौलिया गांव निवासी स्वर्गीय सरजू सिंह का बेटा था। अस्पताल पहुंचे मृतक के परिजनों ने बताया कि 26 मई की दोपहर 1 बजे वह अपने स्प्लेंडर बीआर 26 यू 8420 पर सवार होकर अपनी बेटी मनीषा कुमारी को परीक्षा दिलवाने सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज ले जा रहा था। इस क्रम में जैसे ही बाकन घाट नदी से पहले अदरी नहर रोड पर छात्रावास के पास पहुंचा, उल्टी दिशा की ओर से आ रहे तेज रफ्तार बुलेट के ड्राइवर ने तेजी और लापरवाही से चलाते हुए उसकी बाइक में जोरदार टक्कर मार दी। ठोकर के कारण बाइक चला रहे दिलीप और बाइक पर सवार युवती गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना के बाद बुलेट चालक गाड़ी छोड़कर फरार हो गया। दुर्घटना के बाद वहां मौजूद लोगों ने दोनों घायलों को इलाज के लिए सदर अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने हायर सेंटर किया था रेफर घटना की जानकारी उसके परिजनों को दी गई। जानकारी मिलते ही जख्मी के परिजन भी सदर अस्पताल पहुंच गए। डॉक्टरों ने बाइक चालक दिलीप की हालत नाजुक देखते हुए प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर कर दिया। जबकि, दुर्घटना में जख्मी युवती को सदर अस्पताल में इलाज के बाद घर भेज दिया गया। डॉक्टरों के रेफर किए जाने के बाद जख्मी दिलीप को ट्रामा सेंटर वाराणसी ले जाया गया। वहां भी उसकी हालत में सुधार नहीं होने के बाद डॉक्टरों ने उसे रेफर कर दिया। इलाज के लिए उसे पटना एम्स में ले जाया गया। जहां इलाज के दौरान मंगलवार को उसकी मौत हो गई। मौत के बाद परिजन उसके शव को लेकर मुफस्सिल थाना पहुंचे। जहां पुलिस ने पंचनामा तैयार कर शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अशोक कुमार ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद शव अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सौंप दिया गया है। दुर्घटनाग्रस्त दोनों वाहनों को कब्जे में लिया गया था। परिजनों के आवेदन मिलने के बाद बुलेट चालक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। धक्का मार कर भागने वाले बुलेट चालक का पता लगाया जा रहा है। परिजनों ने बताया कि मृतक अपने घर पर ही किराना दुकान चलाकर परिवार का भरण पोषण करता था। उसके निधन के बाद उसके तीन बेटे बेसहारा हो चुके हैं।

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